चारपाई के बारे में जानते होंगे आप, जी हां वही चारपाई जिसपर अक्सर गांव के बड़े बुजुर्ग आराम फरमाते हैं और बच्चे औरतें बैठने के लिए इस्तेमाल करती हैं। मजबूत रस्सियों से गुथा चारपाई अधिक से अधिक कितने का हो सकता है?
अंदाजा लगा लिया? हां ज्यादा से ज्यादा 1000-1500 बस । भारत के गांव में अक्सर लोग चारपाई का इस्तेमाल करते हैं, यह काफी आरामदेह होने के साथ साथ आसानी से बिछाया का सकता है। इसे एक जगह से दूसरे जगह लेने जाने में भी कोई दिक्कत नहीं होती, वजह है इसका कम वजन का होना। भारत में एक चारपाई जितनी सुलभ है इतनी ही सस्ती भी। लेकिन न्यूजीलैंड कि एक वेबसाइट पर एक भारतीय चारपाई 410000 में बेंची जा रही है। क्यों हो गए ना हैरान? ये सच है। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है, इससे पहले भी विदेशी साइट्स पर भारतीय संस्कृति से जुड़ी चीजों को बड़े दामों पर बेचा जाता रहा है।
दरअसल विदेश और हमारे देश की मुद्रा में बदलाव के कारण ये अंतर पैदा होता है। न्यूज़ीलैंड में इस चारपाई की कीमत 8000 डॉलर है जिसको भारतीय मुद्रा में बदले तो इसकी कीमत 41000 के आस पास है। जबकि भारत के किसी भी स्थानीय बाजार में इसकी कीमत 800-1000 के बीच होती है।
चारपाई को गांव की भाषा में खटिया भी कहा जाता है
चारपाई को खटिया नाम से भी जाना जाता है, इसे लेकर एक बहुत प्रसिद्ध कहावत भी है कि" खटिया खड़ी करना" यानी किसी को बहुत बुरी तरीके से परेशान करना। भारतीय गांवो में अधिकतर इसका इस्तेमाल बैठने या आराम फरमाने के लिए होता है। यह काफी आरामदेह होता है जिससे कमर संबंधी समास्याओं से भी आराम होता है।
इसके पहले ऑस्ट्रेलिया में भी इसी तरीके से एक शख्स ने भारतीय चारपाई बेचने के लिए प्रचार किया था, और कीमत लगाई थी 50000। अमेरिका में पिछले वर्ष नवरात्रि के समय गाय के गोबर से निर्मित उपलि को 50 डॉलर और नीम के दातुन को 15 डॉलर में बेचने की बी खबर आई थी।