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तेजी से घूमने लगी है पृथ्वी! 24 घंटे से भी कम समय में पूरा हो गया चक्कर, सबसे छोटे दिन का टूटा रिकॉर्ड

By विनीत कुमार | Updated: August 1, 2022 08:55 IST

पृथ्वी 24 घंटे में अपना एक चक्कर पूरा करती है। हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि हाल के वर्षों में पृथ्वी ये प्रक्रिया 24 घंटे से कम समय में पूरा कर ले रही है। 29 जुलाई को पृथ्वी ने सबसे कम समय में एक चक्कर पूरा करने का अपना रिकॉर्ड तोड़ दिया।

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ठळक मुद्दे29 जुलाई को पृथ्वी ने मानक 24 घंटे से 1.59 मिलीसेकंड कम में ही परिक्रमा पूरी कर ली।इससे पहले 2020 में 19 जुलाई को भी धरती ने 24 घंटे से 1.47 मिलीसेकंड कम में अपने अक्ष पर परिक्रमा पूरी की थी।पृथ्वी क्यों तेजी से घूमने लगी है, इसका ठोस कारण अभी भी वैज्ञानिक नहीं जान सके हैं।

नई दिल्ली: पृथ्वी 24 घंटे में अपना एक चक्कर पूरा करती है और इसे ही एक पूरा दिन माना जाता है। हालांकि अब ऐसे सवाल उठ रहे हैं कि क्या पृथ्वी के अपने अक्ष पर परिक्रमा करने की गति में तेजी आ रही है। दरअसल, 29 जुलाई को पृथ्वी ने सबसे छोटे दिन का अपना रिकॉर्ड तोड़ दिया और इसने मानक 24 घंटे से 1.59 मिलीसेकंड कम में ही परिक्रमा पूरी कर ली।

'द इंडिपेंडेंट' की रिपोर्ट के अनुसार पृथ्वी हाल ही में अपनी गति बढ़ा रही है। साल 2020 में पृथ्वी ने 1960 के बाद अपना सबसे छोटा महीना दर्ज किया था। उस साल 19 जुलाई को अब तक का सबसे छोटा दिन मापा गया था। सामान्य 24 घंटे के दिन से यह 1.47 मिलीसेकंड कम था।

अगले साल यानी 2021 में भी ग्रह आम तौर पर बढ़ी हुई स्पीड से घूमता रहा लेकिन इसने कोई रिकॉर्ड नहीं तोड़ा। हालांकि, 'इंटरेस्टिंग इंजीनियरिंग (आईई)' के अनुसार, यह छोटे दिनों के 50 साल के चरण की शुरुआत हो सकती है।

वैसे, पृथ्वी के घूमने की अलग-अलग गति की वजह के बारे में अभी भी वैज्ञानिक ठोस कारण पता नहीं लगा सके हैं। हालांकि उनका अनुमान है कि ऐसा पृथ्वी के कोर के अंदरुनी या बाहरी सतह की प्रक्रियाओं, महासागरों, ज्वार या यहां तक ​​कि जलवायु में परिवर्तन आदि की वजह से हो सकता है।

'इंडिपेंडेंट' की रिपोर्ट के अनुसार यदि पृथ्वी बढ़ती स्पीड से घूमती रहती है तो निगेटिव लीप सेकेंड का इस्तेमाल अहम हो जाएगा। यह एक तरह से कुछ सेकेंड को हटाने जैसा या एटॉमिक क्लॉक का समय बदलना जैसा है जिससे पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा करने की गति को सुसंगत बनाए रखा जा सके।

हालांकि, निगेटिव लीप सेकेंड को जोड़ने के कुछ नुकसान भी होंगे। मसलन, इससे स्मार्टफोन, कंप्यूटर और संचार प्रणालियां काफी प्रभावित होगी जो सोलर टाइम के अनुसार सेट हैं। कई वैज्ञानिक मानते हैं कि यह जोखिम भरा अभ्यास होगा जो फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा।

आसान भाषा में इसे ऐसे समझा जा सकता है कि हमारी घड़ी 00:00:00 पर रीसेट करने से पहले 23:59:59 से 23:59:60 तक आगे बढ़ती है। अगर टाइम जंप किया जाए या दूसरे शब्दों में निगेटिव लीप सेकेंड का इस्तेमाल होता है तो ये पूरे प्रोग्राम को क्रैश कर सकता है और कई अहम डेटा को करप्ट कर सकता है।

टॅग्स :अर्थ (प्रथ्वी)
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