इटली से आ रही है 1200 साल पुरानी भगवान बुद्ध की प्रतिमा, जानिए क्या है खासियत
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: February 16, 2022 15:25 IST2022-02-16T15:18:09+5:302022-02-16T15:25:47+5:30
साल 2000 में बिहार के नालंदा जिले के देवीस्थान कुंडलपुर मंदिर से चोरों ने बुद्ध की इस प्रतिमा को गायब कर दिया था। ‘अवलोकितेश्वर पद्मपाणि’ मुद्रा वाली इस प्रतिमा में भगवान बुद्ध अपने बाएं हाथ में कमल लिए खड़े हैं।

इटली से आ रही है 1200 साल पुरानी भगवान बुद्ध की प्रतिमा, जानिए क्या है खासियत
दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार ने इस समय एक मुहिम छेड़ रखी है, जिसके तहत विदेशों में चोरी से या फिर किसी अन्य तरह से भेजी गईं प्राचीन मूर्तियां और कलाकृतियों को स्वदेश लाया जा रहा है। सरकार के इन्हीं प्रयासों के कारण साल 2014 के बाद से अब तक 42 महत्वपूर्ण मूर्तियों और पुरानी विरासतों को विदेशों से वापस लाया गया है।
इसी क्रम में अब मोदी सरकारइटली से भगवान बुद्ध की ऐसी मूर्ति को देश वापस ला रही है, जिसकी चोरी आज से लगभग 22 साल पहले हो गई थी। जानकारी के मुताबिक करीब 1200 साल पुरानी भगवान बुद्ध की यह प्रतिमा 8वीं से 12वीं शताब्दी के मध्य की बताई जा रही है।
जानकारी के मुताबिक साल 2000 में बिहार के नालंदा जिले के देवीस्थान कुंडलपुर मंदिर से चोरों ने बुद्ध की इस प्रतिमा को गायब कर दिया था। ‘अवलोकितेश्वर पद्मपाणि’ मुद्रा वाली इस प्रतिमा में भगवान बुद्ध अपने बाएं हाथ में कमल लिए खड़े हैं।
इस मामले में जो सूचना मिल रही है, उसके अनुसार चोरों ने सबसे पहले इस बुद्ध प्रतिमा को फ्रांस में बेचा, थोड़े समय फ्रांस की कला दीर्घा में रहने के बाद यह बुद्ध प्रतिमा फ्रांस से इटली पहुंची और अब सिंगापुर इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट और आर्ट रिकवरी इंटरनेशनल के प्रयासों से यह स्वदेश वापस आ रही है।
मालूम हो कि मोदी सरकार हाल ही में कनाडा से मां अन्नपूर्णा की मूर्ति को भी वापस लायी है। मां अन्नपूर्णा की ऐतिहासिकत प्रतिमा का दोबारा प्राण प्रतिष्ठा करके काशी में स्थापित किया गया। मां अन्नपूर्णा की वह मूर्ति 18वीं शताब्दी की बताई जाती है, जिसे लगभग एक सदी पहले अंग्रेजों द्वारा चोरी कर ली गई थी।
मां अन्नूपूर्णा के बाद अब लगभग 1200 साल पुरानी भगवान बुद्ध की प्रतिमा इटली से भारत आ रही है। उम्मीद है कि मोदी सरकार के संस्कृति संरक्षण अभियान के तरह अन्य देशों से और भी बहुमूल्य प्रतिमाओं को देश में लाया जाएगा, जिससे हमारे देश की वैभवशाली परंपरा को और भी बल मिलेगा।
