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VIDEO: मुहर्रम क्यों मनाते हैं, खुद को चाकुओं और तलवारों से ज़ख्मी क्यों करते हैं मुस्लिम?

By उस्मान | Published: September 10, 2019 10:27 AM

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मुहर्रम : इस्लामिक न्यू ईयर को अरबी नववर्ष या हिजरी नववर्ष भी कहा जाता है। शिया लोगों के लिए हालांकि यह समय खुशी का नहीं बल्कि मातम का होता है। मुहर्रम की 10वीं तारीख को इमाम हुसैन शहीद हुए थे। इसी की याद में हर साल इस दिन शिया मुस्लिम शोक मनाते हैं।इस्लाम के अनुसार मुहर्रम को रमजान के बाद दूसरा सबसे पवित्र महीना माना गया है। इस महीने में पैगंबर मुहम्मद के नाती इमाम हुसैन की शहादत और करबला के शहीदों को याद किया जाता है। कहते हैं कि इराक में यजीद नाम का एक क्रूर शासक था। उसने खुद को इस्लामी जगत का खलीफा घोषित कर दिया था। यजीद ने इमाम हुसैन को भी अपने कबीले में शामिल होने को कहा। इमाम हुसैन ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इसी के बाद यजीद ने हुसैन के खिलाफ जंग छेड़ दिया। करबला के रेगिस्तान में हुए जंग में हुसैन शहीद हुए। यह घटना मुहर्रम महीने के 10वें दिन हुई थी। इसी की याद में हर साल इस दिन शिया मुस्लिम शोक मनाते हैं। 
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