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दिल्ली: शराब के ठेकों को लेकर क्या विवाद है जो LG करवाना चाहते हैं CBI से जाँच, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के पास है आबकारी महकमा

By मेघना सचदेवा | Updated: July 23, 2022 17:21 IST

दिल्ली की राजनीति एक बार फिर से एलजी बनाम मुख्यमंत्री की राह पर चल दी है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार की नई एक्साइज पॉलिसी की सीबीआई की जांच की सिफारिश की है। इस मामले को बीजेपी और केजरीवाल सरकार आमने सामने आ गई है।

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ठळक मुद्दे2020 में लाई गई आबकारी नीति को दिल्ली सरकार ने नवंबर 2021 में मंजूरी दे दी थी।पिछले साल दिल्ली में 849 ठेकों को खोलने की अनुमति दी गई थी।एलजी ने सीबीआई से नई एक्‍साइज पॉलिसी के तहत टेंडर प्रोसेस की जांच करने को कहा है।

नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने अरविन्द केजरीवाल सरकार के खिलाफ शराब के ठेकों के लाइसेंस इत्यादि के वितरण में धांधली के आरोपों की सीबीआई से जाँच कराने के आदेश दिए हैं। शराब के ठेकों का लाइसेंस देने वाला आबकारी विभाग दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के पास है। इस तरह इस जाँच के घेरे में सिसोदिया आते दिख रहे हैं। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल वीडियो बयान जारी करके कह चुके हैं कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार सिसोदिया को जेल भेजना चाहती है। आइए जानते हैं कि क्या है यह पूरा मामला ।

दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। जिसको लेकर तभी से विरोध शुरू हो गया था जब दिल्ली सरकार इसे लेकर आई थी। जहां दिल्ली सरकार का दावा था कि नई आबकारी नीति से शराब माफियाओं का अंत हो जाएगा। वहीं बीजेपी की तरफ से आरोप लगाए गए हैं कि नई आबकारी नीति ने ही लोगों को स्कूलों और धार्मिक स्थलों के पास शराब की दुकानें खोलने की इजाजत दी है। उपराज्‍यपाल विनय कुमार सक्‍सेना ने दिल्‍ली सरकार की आबकारी नीति पर जांच बैठा दी है । पहले दिल्ली सरकार की आबकारी नीति क्या है ये जानना जरूरी है। 

क्या है दिल्ली की नई आबकारी नीति?

2020 में लाई गई आबकारी नीति को दिल्ली सरकार ने नवंबर 2021 में मंजूरी दे दी थी। नई नीति के तहत राजधानी को 32 जोन में बांटा गया। प्रत्‍येक जोन में 27 शराब की दुकानें खोलने की इजाजत दी गई। वहीं नई आबाकारी नीति के चलते अब दिल्ली सरकार शराब नहीं बेच सकती और शराब के कारोबार को अब प्राइवेट क्षेत्र के व्यापारियों के हाथों में सौंप दिया गया है। दिल्ली सरकार के मुताबिक उनके इस फैसले का मकसद है शराब माफियाओं का अंत करना, हर शराब की दुकान पर बराबर शराब की सप्लाई होना और शराब की काला बाजारी को बंद करने के साथ ही राजस्व को बढ़ाना। दिल्ली सरकार ने शराब की दुकानों के लाइसेंस की प्रक्रिया को भी आसान बनाया। अब नई आबाकारी नीति के तहत शराब की दुकान खोलने वाले शराब को अपने मन मुताबिक दामों पर बेच सकते थे। दुकानदारों को लोगों को लुभावने ऑफर और शराब की खरीद पर छूट देने की भी इजाजत थी। इस नीति का जमकर विरोध हुआ तो दिल्ली सरकार को शराब खरीद पर छूट देने वाले फैसले को कुछ वक्त के लिए वापस लेना पड़ा। 

आम आदमी पार्टी की नई आबकारी नीति का विरोध जमकर हुआ। नगर पालिका के विरोध और लोगों की शिकायतों के चलते कई लाइसेंसधारकों को दिक्कतें आई तो आबकारी विभाग ने उन्हे कहीं और शराब की दुकान खोलने की इजाजत भी दे दी। हालांकि आबकारी विभाग ने इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियां को बिना जानकारी दिए ये कदम उठाया। आंकड़ो की बात की जाए तो पिछले साल दिल्ली में 849 ठेकों को खोलने की अनुमति दी गई थी। हालांकि नुकसान के चलते कई ठेके बंद हो गए। जिसकी वजह से ये संख्या 649 रह गई। इस साल जून में अब सिर्फ 464 शराब की दुकानें ही रह गई हैं। 

स्कूलों और धार्मिक स्थलों के पास ठेके खुलने की दी गई इजाजत 

नई आबकारी नीति को लेकर विरोध तो तभी शुरू हो गया था जब इसे लागू किया गया था। विपक्षी दलों कांग्रेस और बीजेपी ने प्रदर्शन भी किया था। बीजेपी ने तो नई आबकारी नीति के विरोध में चक्का जाम भी किया था। वहीं एलजी ने सीबीआई से नई एक्‍साइज पॉलिसी के तहत टेंडर प्रोसेस की जांच करने को कहा है। अधिकारियों के हवाले से कहा कि टेंडर में जान-बूझकर प्रक्रियागत खामियां छोड़ी गईं ताकि शराब लाइसेंसियों को अनुचित फायदा पहुंचे।बता दें कि दिल्ली के मुख्य सचिव की इस महीने की शुरुआत में सौंपी गयी रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश की गयी है। इस रिपोर्ट से प्रथम दृष्टया राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार दिल्ली आबकारी अधिनियम 2009 और दिल्ली आबकारी नियम 2010 के उल्लंघनों का पता चलता है। जानकारी के मुताबिक रिपोर्ट में ठेकों के लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ देने के लिए 'जानबूझकर और घोर प्रक्रियागत खामियां करने का भी जिक्र है' । 

आरोपों पर आम आदमी पार्टी का जवाब

बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी  ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने नियमों व प्रक्रिया का उल्लंघन कर शराब कंपनियों  को फायदा पहुंचाने के लिए ‘गुटबंदी’को बढ़ावा दिया। लेखी ने कहा कि शराब के कारोबार में हुए बड़े घोटाले  की वजह से राजकोष को भारी नुकसान हुआ है।  

बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा, 'दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी पर केजरीवाल की दाढ़ी में तिनका है।  वहीं बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने कहा, 'केजरीवाल कुछ भी कहें, इन सबको जेल जाना होगा'।  सिसोदिया को जेल जाना होगा, ये केजरीवाल जी भी जानते हैं'। 

गौतम गम्भीर ने कहा, 'इस सरकार का नाम आम आदमी पार्टी सरकार नहीं, बल्कि ठेके की सरकार होना चाहिए. केजरीवाल इतने भी बड़े नहीं हैं कि बीजेपी उनको निशाना बनाएगी।दिल्ली कांग्रेसअध्यक्ष अनिल चौधरी  ने कहा कि नई शराबनीति  में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है, हमने भ्रष्टाचार की लिखित शिकायत दिल्ली पुलिस कमिश्नर से की थी । शराब घोटाले  की जांच CBIसे करवाने का स्वागत करता हूं। 

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जल्दी ही दिल्ली के डिप्टी सीएम  मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया जा सकता है।  उनके खिलाफ साजिश हो रही है।  मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मनीष सिसोदिया को जबरन फंसाने की साजिश हो रही है।  कुछ दिनों के अंदर सीबीआई मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार करने वाली है।  मैंने इस बारे में 3-4 महीने पहले ही बता दिया था। गौरतलब है कि जांच के घेरे में आबकारी विभाग के मंत्री मनीष सिसोदिया हैं। जिनको लेकर अरविंद केजरीवाल ने सफाई दी।

सिसोदिया पर लग रहे आरोपों के बीच उन्होंने ट्वीट कर कहा 'मोदीजी केजरीवाल जी से बहुत डरते हैं। मोदीजी से लोगों का मोहभंग हो गया है।अब केजरीवाल जी से ही देश को उम्मीद है। जैसे जैसे “आप” का देश भर में प्रभाव बढ़ेगा, अभी और बहुत झूठे केस होंगे। पर अब कोई जेल केजरीवाल जी और “आप” को नहीं रोक सकतीभविष्य “आप” का है, भविष्य भारत का है'। 

वहीं आप नेता संजय सिंह ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए आबकारी नीति को लेकर कहा कि अगर पॉलिसी खराब है तो 1300 करोड़ रुपये का मुनाफा कैसे हो रहा है।  उन्‍होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि आज वो लोग ऐसे झूठे आरोप लगा रहे हैं जिन्‍होंने चंद पूंजीपतियों के 11 लाख करोड़ रुपये माफ कर दिए। 

एलजी ने सीएम के सिंगापुर दौरे वाली फाइल की थी वापस

बता दें कि इससे पहले दिल्ली के एलजी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सिंगापुर दौरे वाली फाइल को वापस कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक एलजी ने फाइल लौटाते हुए सलाह भी दी कि मुख्यमंत्री को सिंगापुर समिट में नहीं जाना चाहिए क्योंकि यह मेयरों की कॉन्फ्रेंस है और एक मुख्यमंत्री का उसमें शामिल होना उचित नहीं है। इस पर अरविंद केजरीवाल ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि मानव जीवन को संविधान की तीन सूचियों में वर्णित विषयों में विभाजित नहीं किया जा सकता।

टॅग्स :अरविंद केजरीवालExcise DepartmentDelhi BJP
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