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Dr. Kafeel Khan को मिली बड़ी जीत, Yogi सरकार को लगा तगड़ा झटका | Supreme Court

By गुणातीत ओझा | Updated: December 17, 2020 17:14 IST

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डॉ. कफील खान ने योगी सरकार को दिया झटका SC से मिली राहतनागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ अलीगढ़ (Aligarh) में प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण देने के मामले में डॉ. कफील खान (Dr. Kafeel Khan) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ी राहत मिली है। कफील खान के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत कार्रवाई की गई थी। डॉ. कफील पर एनएसए के तहत कार्रवाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने खारिज कर दिया था। जिसके खिलाफ उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए डॉ. कफील खान को राहत तो योगी सरकार को झटका दिया है।डॉ कफील खान ने सुप्रीम कोर्ट के इस कदम पर ट्वीट कर आभार और खुशी जताई है। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा कि 'सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका, जो मेरे रासुका के तहत मेरे हिरासत को रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, उसको खारिज कर दिया। मुझे न्यायालय पर पूरा भरोसा था मुझे न्याय मिला। आप सब का बहुत बहुत शुक्रिया/धन्यवाद/Thank you. अल्हमदुलिल्लाह जय हिंद जय भारत।'सुप्रीम कोर्ट ने डॉ कफील खान  को बड़ी राहत देते हुए यूपी सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है। यूपी की योगी सरकार ने कफील खान के ऊपर से NSA हटाए जाने और उनकी रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट याचिका डाली थी, जिसे शीर्ष अदालत ने गुरुवार को खारिज करते हुए कहा कि 'हाईकोर्ट की टिप्पणी आपराधिक मामलों को प्रभावित नहीं करेगी और मामले खुद की मेरिट के आधार पर तय किए जाएंगे।'यूपी सरकार ने डॉ कफील खान के खिलाफ NSA के आरोपों को खारिज किए जाने का विरोध किया था। सरकार की याचिका में कहा गया था कि डा. कफील का ऐसे कई अपराध करने का इतिहास था जिनके कारण अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई है। कफील खान को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ पिछले साल अलीगढ़ में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत 29 जनवरी को गोरखपुर से गिरफ्तार किया गया था।हालांकि, इलाहाबाद कोर्ट ने उन्हें सितंबर महीने में रिहा कर दिया था। वो साढ़े सात महीने से जेल में बंद थे। हाईकोर्ट ने 1 सितंबर को अपने आदेश में उनकी हिरासत को 'गैरकानूनी' बताते हुए कहा था कि 'डॉक्टर के भाषण में नफरत या हिंसा को बढ़ावा देने के लिए कोई प्रयास नहीं दिखाई देता है।'
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