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Uttarakhand Disaster: Tapovan की सुरंग में Rescue Operation अब भी जारी, ITBP को सबने कहा Thanks|Chamoli

By गुणातीत ओझा | Updated: February 8, 2021 22:58 IST

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उत्तराखंड आपदादेवभूमि के देवदूत- ITBP बांट रही 'जिंदगी'गूंजा ‘जय हो'उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने से आई बाढ़ के बाद प्रभावित इलाकों में लोगों का संघर्ष जारी है। जोशीमठ में तबाही के मंजर का कई वीडियो वायरल हो रहा है। अब तक 19 लोगों का शव बरामद किया जा चुका है जबकि 202 लोग लापता हैं। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी , वायुसेना, आर्मी, उत्तराखंड पुलिस राहत एवं बचाव कार्य में जुटी है। देवप्रयाग से हरिद्वार तक हाई अलर्ट जारी किया गया है। इस मुश्किल घड़ी में देवभूमि में आईटीबीपी के जवान देवदूत साबित हुए हैं।  आईटीबीपी के जवान यहां सेना व अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर जॉइंट ऑपरेशन चला रहे हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में आपदा के समय आईटीबीपी के जवान देवदूत बन कर लोगों की जान-माल की रक्षा करते हैं। पहाड़ी क्षेत्र में तैनाती की वजह से राहत और बचाव कार्य की पहली जिम्मेदारी इन्हीं देवदूतों के कंधे पर होती है।भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के कर्मियों ने तपोवन विद्युत परियोजना क्षेत्र में स्थित एक सुरंग से एक-एक करके कई व्यक्तियों को सुरक्षित बाहर निकाला। आईटीबीपी के जवानों ने एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की छोटी सुरंग से 12 जबकि ऋषिगंगा पनबिजली परियोजना स्थल से 15 लोगों को सुरक्षित निकाला। बचाव और राहत अभियान जोरों से जारी है जिसमें बुलडोजर, जेसीबी आदि भारी मशीनों के अलावा रस्सियों और खोजी कुत्तों का भी उपयोग किया जा रहा है।आईटीबीपी के इस राहत बचाव कार्य का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें वे टनल में फंसे एक युवक को बाहर निकाल रहे हैं। मलबे से बाहर निकले के बाद युवक की खुशी देखते बन रही है और साथ ही वह बार-बार जवानों को धन्यवाद देता दिखाई दे रहा है। आइये अब बात करते हैं  ITBP के जांबाजी की। ITBP को पहाड़ों में बचाव और राहत कार्य में बहुत ही हाई स्टैंडर्ड की एक्सपर्टीज हासिल है। प्राकृतिक आपदा के मामले में बचाव और राहत देने में यह बल हमेशा पहले स्थान पर रहा है। हिमालयी क्षेत्र में आपदा आने पर सबसे पहले राहत और बचाव कार्य के लिए उपलब्ध रहता है। आईटीबीपी ने अपने 7 रीजनल रेस्पॉन्स सेंटर स्थापित किए हैं।ITBP ने साल 2013 में उत्तराखंड में आई आपदा के दौरान ऐतिहासिक बचाव और राहत अभियान में 15 दिन के बचाव प्रयास में उत्तराखंड में चार धाम यात्रा मार्गों से 33,009 तीर्थयात्रियों को गंभीर स्थिति से बचाया। इस बचाव अभियान के दौरान हेलीकॉप्टर दुर्घटना में 15 हिमवीर ने 25 जून, 2013 को अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी।
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