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एकनाथ शिंदे शिवसेना के 40 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं, क्या पार्टी पर करेंगे कब्जा

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 22, 2022 04:10 PM2022-06-22T16:10:10+5:302022-06-22T16:22:43+5:30

Highlightsएकनाथ शिंदे दावा कर रहे हैं कि उनके पास शिवसेना के 40 विधायकों का समर्थन हैमौजूदा महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के पास बागी विधायकों समेत कुल संख्या 56 है इस गणित की लिहाज से देखें तो उद्धव ठाकरे के कैंप में महज 16 विधायक बचे हैं

मुंबई: महाराष्ट्र की सियासत का ऊंट किस करवट बैठेगा ये तो कहना बेहद मुश्किल है लेकिन मौजूदा सियासी संकट में फंसे शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे इस मुसीबत से निकलने के लिए संजय राउत को खुली छूट दे दी हैं।

यही कारण है कि एकनाथ शिंदे समेत पार्टी के सभी बागी विधायकों को वापस लाने के लिए संजय राउत संवाद स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। राउत लगातार कोशिश कर रहे हैं कि वो महाराष्ट्र में भाजपा के ऑपरेशन लोटस को मात दे सकें।

संजय राउत की सक्रीयता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने बुधवार की सुबह एकनाथ शिंदे से फोन पर एक घंटे बात की। स्वयं इस बात की जनकारी देते हुए संजय राउत ने कहा कि वो गुवाहाटी में मौजूद एकनाथ शिंदे समेत सभी बागी विधायकों के संपर्क में हैं।

राउत ने कहा कि भाजपा ने हमारे विधायकों को बंधक बना रखा है लेकिन हम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि पार्टी से नाराज सभी विधायक जल्द मुंबई लौट आएं।

महाराष्ट्र की सियासत में आये इस भूचाल के लिए केंद्र की भाजपा सरकार को जिम्मेदार बताते हुए संजय राउत ने कहा कि भाजपा एजेंसियों का भय दिखाकर विपक्षी दलों को विधायकों को डराने का काम कर रही है लेकिन शिवसेना महाराष्ट्र में भाजपा का सपना कभी पूरा नहीं होने देगी, वो सत्ता हथियाना चाहते हैं लेकिन यहां पर ये सब नहीं चलेगा।

राउत ने बड़े ही तल्ख लहजे में कहा कि ज्यादा से ज्यादा क्या होगा? हमारी सत्ता चली जाएगी, अगर जाती है तो जाए लेकिन पार्टी की प्रतिष्ठा सत्ता से ऊपर है और हम उसे बरकार रखेंगे।

संजय राउत ने एकनाथ शिंदे को करीबी मित्र बताते हुए कहा कि वो किस डर, दबाव और प्रलोभन में ऐसा कर रहे हैं, ये तो वही जाने लेकिन पार्टी भाजपा के इस गंदे खेल के खिलाफ एकजुट है और पूरी ताकत के साथ हम अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

इस बीच एक बड़े घटनाक्रम के तहत एकनाथ शिंदे के समर्थन में दो और विधायक संजय राठौर और योगेश कदम गुवाहाटी के लिए रवाना हो गए हैं। इस खबर के आने के बाद शिवसेना में बेचैनी और भी बढ़ गई है। 

हालांकि संजय राउत मंगलवार से लगातार बयान दे रहे हैं कि बगावत पर शिवसेना की पूरी नजर बनी हुई है और हालात शिवसेना के काबू में हैं। लेकिन मंगलवार की रात सूरत से गुवाहाटी के लिए निकले से पहले एकनाथ शिंदे ने बड़ा बयान दे दिया कि उसके साथ शिवसेना के कुल 40 विधायकों का समर्थन है और साथ में शिदें ने यह भी दोहराया कि वो शिवसेना के साथ बने हुए और पार्टी के नहीं छोड़ेंगे।

वहीं शिंदे के बागी तेवर पर सख्त हुई शिवसेना ने उन्हें विधायक दल के नेता पद से तो हटा दिया है लेकिन भीतरखाने का भय शिवसेना को बुरी तरह से डरा रहा है। ऐसे में कयास लगने लगे हैं कि क्या एकनाथ शिंदे बाला साहेब ठाकरे के नाम पर शिवसेना तोड़ देंगे और उद्धव ठाकरे को उनके पिता की बनाई पार्टी से चलता कर देंगे।

अगर आकड़ों पर नजर डालें तो महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं और सूब में सरकार बनाने के लिए किसी भी दल या गठबंधन को कम से कम 145 विधायकों का समर्थन होना चाहिए। मौजूदा समय में महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा के पास 106, शिवसेना के 56, एनसीपी के पास 53 और कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं।

इस लिहाज से अगर शिंदे शिवसेना के 40 विधायकों के साथ होने का दावा कर रहे हैं तो उस गणित से उद्धव के कैंप में महज 16 विधायक बचे। इस लिहाज से संभावना बन सकती है कि एकनाथ शिंदे शिवसेना में उद्धव ठाकरे की स्थिति 'बेगाने की शादी में अब्दुल्ला दीवाना' जैसी कर दें। यu सारी बातें कयासबाजी है और असल खेल तो पर्दे के पीछे से भाजपा खेल रही है।

लेकिन राजनीतिक धुरंधरों का मानना है कि देवेंद्र फड़नवीस और अमित शाह के बीच भीतरखाने के संबंध अच्छे नहीं हैं इसलिए बड़ा प्रश्न है कि क्या अमित शाह देवेंद्र फड़नवीस के इस सपने को पूरा करने में उनकी मदद करेंगे।

महाराष्ट्र की राजनीति में जो भी हो, शिवसेना के पास सत्ता रहे या जाए, ऑपरेशन लोटस फेल हो या पास, देवेंद्र फड़नवीस को फिर से मुख्यमंत्री की गद्दी मिले या वो महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ही रहें। अभी यह खेल लंबा चलेगा और शह और मात की बिसात पर दोनों दल एक दूसरे खिलाफ काफी लंबी पारी खेलेंगे। 

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