By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: December 13, 2017 15:10 IST2017-12-13T15:10:41+5:302017-12-13T15:10:41+5:30
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मंदिर में माता करणी की पूजा की जाती है जो मां जगदम्बा का अवतार है। मंदिर के परिसर में लगभग 20,000 चूहों का वास है।
इस मंदिर में चूहे करते हैं आपकी मनोकामना पूरी
Highlightsसात सौ साल पुराना है मंदिरमंदिर के चूहे माता करणी के पुत्र माने जाते हैं।
अगर आप चाहते हैं कि बिना कुछ मांगे आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाए तो आपको करणी माता मंदिर जरूर जाना चाहिए। राजस्थान के बीकानेर जिले से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित माता करणी का मंदिर अद्भभुत और अनोखे मंदिरों में शुमार है।मंदिर में माता करणी के अलावा चूहों का वास है। इसलिए यह मंदिर भारत में ही नहीं बल्कि विश्व में भी विख्यात है। यह मंदिर चूहों के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस मंदिर के पूरे परिसर में लगभग 20,000 से ज्यादा काले चूहे रहते हैं। इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि अगर आपको सफेद चूहा दिख जाता है तो आपकी मनोकामना बिना मांगे ही पूरी हो जाएगी जो बहुत काले चूहों की अपेक्षा बहुत कम हैं। अगर गलती से आपके पैरों तले दबकर किसी चूहे की मौत हो जाती है तो आप पाप के भागीदार माने जाएगें। माना जाता है कि मंदिर में एक चांदी का चूहा चढ़ाने से पाप मुक्त हो सकते है।
flickr/Fulvio Spada
करणी माता मंदिर यह मंदिर राजस्थान के प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में माता करणी की मूर्ति स्थापित है जिन्हें मां जगदम्बा का अवतार माना जाता है। संगमरमर से बने इस मंदिर की खूबसूरती देखने लायक है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि आज से लगभग सात सौ वर्ष पहले यहां विद्यमान गुफा में माता करणी अपनी इष्ट देव की पूजा करती थीं। वो गुफा आज भी इस मंदिर के परिसर में स्थित है। माना जाता है कि माता करणी अपनी इच्छानुसार यहीं मूर्ति में लीन हो गई थीं। उसके बाद से इस गुफा में उनकी मूर्ति स्थापित हो गई। तब से यहां रोजाना माता करणी के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है। यहां सुबह शाम आरती का आयोजन किया जाता है। मंदिर में होने वाली आरती को कतई ना छोड़ें। सुबह पांच बजे मंदिर में मंगला आरती और शाम में 7 बजे आरती का का आयोजन किया जाता है।
मंदिर में चूहों की खास बातें 1. माता के दर्शन के लिए जो भी भक्त यहां आते हैं वो इन चूहों के लिए खाने में लड्डू और दूध लाते हैं। 2. मंदिर में आने वाले भक्तों को चूहों का जूठा प्रसाद खिलाया जाता है जिन्हें ग्रहण करने से आपकी मनोकामना पूरी हो जाएंगी। 3. इन चूहों से तनिक भी बदबू नहीं आती हैं। जिससे आपको नाक या मुंह ढकना पड़े। 4.. यहां आपको चूहों से होने वाली बीमारी 'प्लेग' नहीं होंगी। 5. यहां चूहों के प्रसाद के लिए चांदी की बड़ी सी परात रखी गई है। 6.चील, गिद्ध और अन्य खूंखार जानवरों से इन चूहों की रक्षा के लिए मंदिर में खुले स्थानों पर लोहे की बारीक जाली लगी हुई है। 7. यहां रहने वाले चूहों को 'काबा' कहा जाता है।
मंदिर में चूहों का राज मंदिर में वास करने वाले चूहों के पीछे एक कहानी बेहद ही प्रचलित हैं। कहानी के अनुसार माता करणी का एक सौतेला बेटा था जो एक तालाब में स्नान करने के लिए गया था। तालाब की गहराई इतनी थी कि वह तालाब में डूब गया। माता करणी ने अपने बेटे की प्राप्ति के लिए यमराज से कहा कि वह उनके बेटे को छोड़ दें। हालांकि यमराज के ऐसा करना संभव नहीं था तो उन्होंने माता की बात को टाल दिया लेकिन बाद में यमराज ने माता के बेटे को एक चूहा का अवतार दे दिया।