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इस गांव में हर घर के सामने है कब्र, बिना इसकी पूजा के नहीं करते कोई भी काम

By मेघना वर्मा | Updated: May 5, 2018 11:47 IST

इस गांव के लोग आज भी अपने घर के सामने कब्र को बनाने और उनकी पूजा करने को अपना रिवाज मानते हैं।

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भारत देश अपने आप में अनोखा है। यहां की मान्यता हो या संस्कृति, सबकी अपनी अलग सी ही खासियत है। यहां की भव्य इमारतें हो या छोटा सा गांव, पर्यटक हमेशा ही भारत आने के लिए उत्सुक होते है। यहां देखने और घूमने के लिए जहां कुछ आलिशान भवन और हवेलियां हैं वहीं कुछ ऐसी भी जगह है जो अपनी बनावट के लिए नहीं बल्कि अजीबो-गरीब मान्यताओं और संस्कृति के लिए जाने जाते हैं। आज हम आपको भारत देश के एक ऐसे ही गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जो पर्यटकों को अनायास ही अपनी ओर खींचता है। भारत के इस अनोखे गांव की खासियत ये है कि यहां हर घर के सामने एक या दो की संख्या में कब्र बने हैं। हैरानी की बात तो ये है कि गांव वाले बिना कब्र की पूजा किये कोई शुभ काम नहीं करते। आप भी जानिये क्या है इन कब्रों का राज...

आंध्र प्रदेश में है ये अनोखा गांव

आंध्र प्रदेश के कुरनूल ज़िले में अय्या कोंडा एक ऐसा गांव है, जहां हर घर के सामने एक क़ब्र है।अय्या कोंडा कुरनूल ज़िला मुख्यालय से 66 किलोमीटर दूर गोनेगंदल मंडल में एक पहाड़ी पर बसा है। इस अनोखे गांव में घुसते ही आपको जहां छोटे-छोटे घर दिखाई देंगे वहीं घर के बाहर रंग-बिरंगे कब्र भी दिखाई देंगे। ये अपने आप में हैरान करने और चौकाने वाली बात है क्युंकी यहां के लोग बड़े आराम से इन कब्रों के आस-पास से गुजरते हैं और बिना किसी दर या झिझक के अपने रोजमर्रा के काम करते हैं। हो सकता है आपको यहां आने पर ऐसा भी अनुभव हो कि आप कब्रिस्तान में आ गए हैं।

नहीं है कोई कब्रिस्तान

हर घर के सामने कब्र होने का एक सबसे बड़ा कारण यहां ये भी है कि इस पूरे गांव में कोई कब्रिस्तान नहीं है। इस कारण से मालादासरी समुदाय के कुल 150 परिवारों वाले अपने सगे संबंधियों की मौत के बाद उनके शव को घर के सामने दफ़न करते हैं। इस गांव के हर घर के सामने एक या दो क़ब्र देखने को मिलती हैं। गांव की महिलाओं और बच्चों को अपनी दिनचर्या के लिए भी इन्हीं क़ब्रों से होकर गुजरना पड़ता है.

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किसी भी शुभ काम में होती है पूजा

इस गांव के लोग आज भी अपने घर के सामने कब्र को बनाने और उनकी पूजा करने को अपना रिवाज मानते हैं। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार इस गांव के लोग रोजाना जिस तरह भगवान की पूजा करते हैं उसी तह विधि-विधान से इन कब्रों की पूजा भी करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ये क़ब्र उनके पूर्वजों की हैं जिनकी वो रोज पूजा करते हैं, प्रसाद चढ़ाते हैं और अपने रिवाज़ों का पालन करते हैं। घर में पकाया जाने वाला खाना परिवार के सदस्य तब तक नहीं छूते जब तक उसे मृतकों की क़ब्र पर चढ़ाया नहीं जाता है.

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नए सामानों को भी पहले करते हैं कब्र के हवाले

कब्र को पूजने का ये रिवाज केवल भोग लगाने और पूजा करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि जब वो नए गैजेट्स या सामन भी ख़रीदते हैं तो पहले उसे इन क़ब्रों के सामने रखते हैं, इसके बाद ही उसका इस्तेमाल शुरू करते हैं। गांव वालों के बीच अंधविश्वास की गहरी जड़ों को हटा पाना बहुत मुश्किल है। 

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