विदेश नहीं भारत में हैं एशिया का सबसे बड़ा चर्च, 10 साल में बनकर हुआ तैयार

By मेघना वर्मा | Published: May 4, 2018 04:03 PM2018-05-04T16:03:55+5:302018-05-04T16:03:55+5:30

एशिया के इस सबसे बड़े चर्च में दूल्हा-दुल्हन के लिए ड्रेसिंग रूम, पूल, कैफेटेरिया, कांफ्रेंस रूम आदि बनाए गए हैं।

Asias largest and second largest church in nagaland in hindi | विदेश नहीं भारत में हैं एशिया का सबसे बड़ा चर्च, 10 साल में बनकर हुआ तैयार

विदेश नहीं भारत में हैं एशिया का सबसे बड़ा चर्च, 10 साल में बनकर हुआ तैयार

वैसे आज तक आपने कई चर्चों को देखा होगा, उनके बारे में जाना होगा, वहां जाकर कैंडल जलाकर प्रभु ईशु से अपने मन की बात भी कही होगी। कितनी बार ऐसा भी हुआ होगा कि आप किसी भव्य चर्च में गए और उसकी सुन्दरता को देखकर आपकी आंखे चकाचौंध हो गईं। लेकिन क्या कभी आपने एशिया के सबसे बड़े चर्च में प्रार्थना की है? जी हां, आप यही सोच रहे होंगे ना कि एशिया का सबसे बड़ा चर्च कहीं विदेश में ही होगा पर ऐसा नहीं है। एशिया का सबसे बड़ा चर्च भारत में ही बनाया गया है। उत्तर पूर्वी राज्य नागालैंड में एशिया का सबसे बड़ा चर्च सुमी बैप्टिस्ट जुन्हेबोटो बनाया गया है। इस चर्च को देखने के लिए पर्यटक और श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। सबसे बड़े चर्च होने के साथ इसकी अपनी कुछ खासियतें भी हैं जिन्हें आपको जरूर जानना चाहिए।

36 करोड़ की लागत में बन कर हुआ तैयार

22 अप्रैल को खोले गए इस चर्च को बनाने में लगभग 36 करोड़ रुपए का खर्च आया। इस चर्च को सदस्यों से प्राप्त दान और मौजूदा फंड से इसे बनाया गया है। वैसे तो पूरे एशिया में लाखों की संख्या में छोटे-बड़े चर्च हैं लेकिन इसे एशिया का सबसे बड़ा चर्च बताया जा रहा है। सफेद रंग के संगमरमर से बने इस चर्च की अपनी अलग सी ही सुन्दरता है। दिन में सूरज की किरणों के बीच देखो या रात को चांद निकलने के बाद इसकी चमक हमेशा इसी तरह से बरकरार रहती है।

ड्रेसिंग रूम के साथ है कैफेटेरिया

एशिया के इस सबसे बड़े चर्च में दूल्हा-दुल्हन के लिए ड्रेसिंग रूम, पूल, कैफेटेरिया, कांफ्रेंस रूम आदि बनाए गए हैं। इस चर्च का निर्माण 5 मई, 2007 को शुरू हुआ था। इसे बनने में लगभग 10 साल का वक्त लगा। चर्च समुद्र स्तर से 1864.9 मीटर की ऊंचाई पर है।

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एक साथ बैठ सकते हैं 8500 लोग

चर्च बनाने के लिए पिछले नौ सालों में 2000 से अधिक श्रमिकों को इनर लाइन परमिट जारी किया जा चुका है।चर्च की घंटी -500 किग्रा, 93% पीतल, 1.5% रेडियल ध्वनि आउटरीच के साथ 7% टिन-पोलैंड से बनाई गई है।सिर्फ घंटी की लागत 15 लाख रुपए है। अंडे के आकार में बने इस चर्च में 8,500 लोगों के बैठने की वयवस्था है। इस इमारत की लंबाई 203 फुट, 153 फुट की चौड़ाई और 166 फुट ऊंचाई है। इस चर्च का क्षेत्र 23,73,476 वर्ग फुट में है.

एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च भी भारत में

सिटिंग कैपेसिटी के मुताबिक एशिया का दूसरे नंबर और भारत का सबसे बड़ा गिरजाघर छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के कुनकुरी ब्लॉक में है। सड़क से करीब 500 मीटर अंदर बने इस महागिरजाघर को रोजरी की महारानी के गिरजाघर के नाम से भी जाना जाता है। 17 सालों में बनकर तैयार होने वाले इस चर्च में एक साथ 10,000 लोग बैठकर प्रार्थना कर सकते हैं।

चर्च की खासियत यह है कि इसके सूत्रधार से लेकर इसकी देखरेख करने वाले सभी लोग अदिवासी समुदाय से हैं। जशपुर का इलाका उरांव जनजाति बहुल है। इस समुदाय के आदिवासियों का इस चर्च में भी वर्चस्व है। यहां प्राय: प्रार्थना से लेकर अन्य सभी कार्यक्रम उरांव भाषा में ही होते हैं।

Web Title: Asias largest and second largest church in nagaland in hindi

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