यूक्रेन सोवियत संघ के विघटन के बाद 1991 में रूस से अलग हुआ था। यूक्रेन के हालांकि बाद के वर्षों में NATO से जुड़ने की कोशिश से रूस असहमति दिखाता रहा है। रूस को लगता है कि यूक्रेन NATO से जुड़ने से उसकी सुरक्षा हमेशा खतरे में रहगी। रूस का मानना है कि अमेरिका सहित नाटो के अन्य सदस्य देशों की सेनाएं उसकी सीमा के बेहद करीब आ जाएंगी और वह एक तरह से चारों ओर से घिर जाएगा। इसी के खिलाफ रूस कदम उठाने की बात कर रहा है और यूक्रेन पर कार्रवाई की बात कर रहा है। Read More
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देश की संसद में भाषण दिया। पुतिन ने कहा कि यूक्रेन जैविक और परमाणु हथियार इकट्ठा करने की कोशिश कर रहा था। पुतिन ने कहा कि शांति बहाल करने के लिए पश्चिमी देशों की कोशिशें और वादे केवल धोखा और झूठ हैं। ...
रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुए इस शुक्रवार को एक साल पूरा हो जाएगा। हथियारों के मेले में आमतौर पर अमीराती लोग उन व्यक्तियों की मेजबानी करते देखे जाते हैं जिन्हें पश्चिमी देशों में ‘समस्या’ के रूप में देखा जा सकता है। पूर्व सूडानी कद्दावर नेता उमर अल-बशीर ...
लगभग एक साल से जारी इस युद्ध में अमेरिका शुरू से ही यूक्रेन के पक्ष में खड़ा रहा है। अब अमेरिकी राष्ट्रपति ने युद्धग्रस्त यूक्रेन को और भी ज्यादा और नए हथियार मुहैया कराने का वादा किया है। जो बाइडन के अचानक यूक्रेन पहुंचने पर अभी तक रूस की कोई प्रतिक ...
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि उसे इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि यूरोप की समस्याएं विश्व की समस्याएं हैं, लेकिन विश्व की समस्याएं यूरोप की समस्याएं नहीं हैं। ...
हिंदुस्तान को विश्व राजनीति के पटल पर शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की पीएम नरेंद्र मोदी की कूटनीति को सफल बनाने में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और एनएसए अजित डोभाल कमाल की भूमिका अदा कर रहे हैं. वास्तव में ये दोनों हिंदुस्तान के दो अनमोल रत् ...
जिस अमेरिका ने कभी नरेंद्र मोदी को वीजा देने से इंकार कर दिया था अब वही उन्हें शांति का दूत बनाना चाहता है. रूस-युक्रेन युद्ध को रोकने में क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहम भूमिका निभाने वाले हैं? क्या मोदी शांति के नोबल पुरस्कार की कतार में हैं! ...