रूस-यूक्रेन जंग के बीच पीएम मोदी का कौन सा गुप्त संदेश लेकर पुतिन से मिले अजित डोभाल?

By हरीश गुप्ता | Published: February 16, 2023 09:44 AM2023-02-16T09:44:30+5:302023-02-16T09:44:30+5:30

जिस अमेरिका ने कभी नरेंद्र मोदी को वीजा देने से इंकार कर दिया था अब वही उन्हें शांति का दूत बनाना चाहता है. रूस-युक्रेन युद्ध को रोकने में क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहम भूमिका निभाने वाले हैं? क्या मोदी शांति के नोबल पुरस्कार की कतार में हैं!

Ajit Doval met Vladimir Putin amid Russia-Ukraine war with PM Modi secret message | रूस-यूक्रेन जंग के बीच पीएम मोदी का कौन सा गुप्त संदेश लेकर पुतिन से मिले अजित डोभाल?

अजित डोभाल के व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के क्या हैं मायने? (फाइल फोटो)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुनहरे शब्द याद रखें, ‘संकट में हमेशा एक अवसर होता है.’ उनका शांत और संयत रूप पहली बार 27 अक्तूबर, 2013 को देखा गया था जब भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उनकी एक विशाल रैली के दौरान पटना शहर में बम विस्फोट हुए थे. गुजरात के भूकंप प्रभावित इलाके हों या पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों की शहादत, हर संकट के बाद वह और मजबूत होकर उभरे. 

अब मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति समझौते में मध्यस्थता करके वैश्विक क्षेत्र में अपने लिए एक भूमिका देखते हैं. यह भारत के लिए एक उपलब्धि है कि देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ दो बैठकें कीं. ऐसा पहली बार हुआ है. डोभाल की अफगानिस्तान पर क्षेत्रीय वार्ता के हिस्से के रूप में सात देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ एक निर्धारित बैठक थी. लेकिन अचंभा तब हुआ जब पुतिन ने डोभाल को आमने-सामने की मुलाकात के लिए आमंत्रित किया, जो लगभग एक घंटे तक चली. यह एक दुर्लभ उपलब्धि है.

एक बात लेकिन और पहली बार हुई जब व्हाइट हाउस ने मोदी द्वारा किए गए प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि अमेरिका ऐसे किसी भी प्रयास का स्वागत करेगा जो शत्रुता को समाप्त कर सकता हो. प्रधानमंत्री मोदी ने कई मौकों पर रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों से बात की है और 16 सितंबर को उज्बेकिस्तान में पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक की, जहां उन्होंने कहा कि ‘आज का युग युद्ध का नहीं है’. 

मोदी ने पुतिन से संघर्ष खत्म करने के लिए कहा. यह भी ध्यान देने की बात है कि भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूसी हमले की आलोचना नहीं की है और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ नियमित संपर्क में रहा है. यह मोदी ही थे जिन्होंने युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को सुरक्षित मार्ग देने के लिए रूस और यूक्रेन को संघर्ष विराम की घोषणा करने के लिए राजी किया. 

पता चला है कि डोभाल मोदी का पुतिन के लिए एक गुप्त संदेश लेकर गए थे. निश्चित रूप से, यदि संभव हो तो, अमेरिका मोदी को शांति समझौता करने के लिए प्रेरित करना चाहता है. लेकिन यह पहली बार है जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री युद्धरत दो देशों के साथ बातचीत कर रहा है. कैसी विडंबना है! यह वही अमेरिका है जिसने मोदी को वीजा देने से इंकार कर दिया था और अब मोदी को शांति का दूत बनाना चाहता है. क्या मोदी शांति के नोबल पुरस्कार की कतार में हैं!

बेमिसाल आईएएस अधिकारी

वर्तमान में संस्कृति मंत्रालय में उपसचिव के पद पर तैनात आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने अडानी के मुद्दे पर टिप्पणी की है. उनके हालिया ट्वीट ने सरकार को चौंका दिया है. फैसल जम्मू-कश्मीर के पहले यूपीएससी टॉपर थे, जिन्होंने तीन साल पहले ‘भारत में बढ़ती असहिष्णुता’ का हवाला देते हुए सेवा से इस्तीफा दे दिया था. 

उन्होंने अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी बनाई. हालांकि, एक आश्चर्यजनक फैसले में, मोदी सरकार ने उन्हें पिछले साल आईएएस में फिर से शामिल होने की अनुमति दी क्योंकि उन्होंने अपने फैसले पर खेद व्यक्त करते हुए कहा, ‘उनके आदर्शवाद ने उन्हें निराश किया.’ लेकिन अडानी विवाद में कूदने के लिए शाह फैसल फिर से चर्चा में हैं. 

वे यह कहते हुए बहस में शामिल हुए, ‘मैं गौतम अडानी का सम्मान करता हूं.’ वह यहीं नहीं रुके और आगे कहा, ’मैं उनके भले की कामना करता हूं क्योंकि वह और उनका परिवार इस अग्निपरीक्षा का सामना कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘मैं गौतम अडानी का सम्मान करता हूं कि उन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों को खुद पर हावी नहीं होने दिया. मैं उन्हें एक महान इंसान के रूप में जानता हूं जो समाज में विविधता का गहरा सम्मान करते हैं और भारत को शीर्ष पर देखना चाहते हैं. मैं उनके भले की कामना करता हूं क्योंकि वह और उनका परिवार इस अग्निपरीक्षा का सामना कर रहे हैं.’

कांग्रेस के तीन मुख्यमंत्रियों का असमंजस

एक तरफ जहां राहुल गांधी ने हिंडनबर्ग रिसर्च विवाद के मद्देनजर भारत के शीर्ष व्यवसायी गौतम अडानी के खिलाफ अपना अभियान जारी रखा है, कांग्रेस के तीन मुख्यमंत्रियों-अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपनी चुप्पी बनाए रखी. बल्कि, अशोक गहलोत ने अडानी का जोरदार बचाव करते हुए कहा कि राज्य में अडानी के निवेश से संबंधित उनके सभी फैसले पारदर्शी हैं. आखिर इन राज्यों में भी अडानी समूह के बड़े प्रोजेक्ट हैं और अन्य विपक्षी शासित राज्यों में भी.

राहुल गांधी की दाढ़ी कुछ दिनों की मेहमान!

जनधारणा के विपरीत, राहुल गांधी अपनी उलझी हुई दाढ़ी से छुटकारा पा सकते हैं और उम्मीद से पहले अपने क्लीन शेव लुक में लौट सकते हैं. कारण; वह बेचैनी महसूस करते हैं, खासकर जब वह भोजन करते हैं. दूसरे; वह ‘अपने लोगों’ के दबाव में भी हैं. उनके अपने लोग कौन हैं? वे नहीं बताते. 

राहुल गांधी ने ऑन रिकॉर्ड जो बात कही वह काफी हद तक प्रकाश में नहीं आ पाई, ‘मुझे नहीं पता कि मैंने अपनी दाढ़ी बढ़ाने का फैसला कैसे किया. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान, मुझे लगा कि मुझे अपनी दाढ़ी नहीं बनानी चाहिए और न ही मुझे अपने बाल कटवाने चाहिए.’ 

उन्होंने धीरे से कहा कि वे कभी-कभी असहज होते हैं और उन्हें अपने मूल रूप में लौटना पड़ सकता है. क्यों? शायद इसलिए कि उनके अपने लोग (पढ़ें सोनिया और प्रियंका) उन पर दाढ़ी बनाने का दबाव बना रहे हैं. उनकी पार्टी के कुछ लोग (पढ़ें उनकी मंडली के सदस्य) भी उन्हें लंबे बाल और दाढ़ी से छुटकारा पाने के लिए कह रहे हैं. लेकिन अभी, वह इस प्रलोभन से खुद को बचा रहे हैं क्योंकि कई लोगों को लगता है कि उनके नए लुक से उन्हें राजनीतिक रूप से फायदा हुआ है और उनकी ‘पप्पू’ वाली छवि बीते दिनों की बात हो गई है.

आखिर प्रधानमंत्री मोदी ने भी कोविड के दौर में अपनी लंबी दाढ़ी बढ़ाई थी. हालांकि बाद में वह फिर छोटी हो गई. राहुल अपनी दाढ़ी ट्रिम करेंगे या यह पूरी तरह गायब हो जाएगी? देखना होगा.

Web Title: Ajit Doval met Vladimir Putin amid Russia-Ukraine war with PM Modi secret message

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