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चोरी होता है व्हाट्सएप डेटा तो ये हैं आपके अधिकार, मांग सकते हैं हर्जाना

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 3, 2019 10:23 IST

भारत में भी फेक न्यूज, मॉब लिचिंग, बच्चा चोरी से जुड़े कई सारे मामलों में सोशल और वीडियो शेयरिंग साइट पर सवाल उठे हैं। इन सबके लिये नियम बनाने हेतु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 3 महीने का समय मांगा है।

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ठळक मुद्देयूजर्स का डेटा लीक करने के मामले में फेसबकु पर 35 हजार करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।ट्विटर ने नौ अक्तूबर 2019 को माना कि लाखों भारतीय समेत करीब 1.5 करोड़ यूजर के ईमेल, फोन नंबर आदि जानकारी लीक हुई।

व्हाट्सएप पर जासूसी के ताजा मामले के बाद से यूजर्स खुद को डरा हुआ महसूस कर रहे हैं। लोगों को अब इस बात का भय सताने लगा है कि उनका कोई भी डेटा, मैसेज सुरक्षित नहीं है। सोशल साइट प्लेटफॉर्म फेसबुक, व्हाट्सएप लोगों से कहते रहे हैं कि यूजर्स को प्राइवेसी को लेकर चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन व्हाट्सएप मामले में जासूसी के ताजा मामले ने इनके दावों की पोल खोलकर रख दी। लेकिन यूजर चाहें तो निजी जानकारी लीक होने पर कोर्ट में इन कंपनियों को घसीटकर हर्जाना मांग सकते हैं। सरकार को भी इसके लिये जिम्मेदार ठहरा सकते हैं। 

अमेरिका, ब्रिटेन जैसे कई देशों में इन सोशल साइटों को अब तक यूजर्स की प्राइवेसी से छेड़छाड़ के मामले में अरबों रुपये का हर्जाना भरना पड़ा है। साइबर विशेषज्ञ पवन दुग्गल के अनुसार, आईटी कानून 2011 की धारा 75 के तहत स्पष्ट है कि कोई भी टेक कंपनी भारत में हो या नहीं हो, लेकिन अगर देश के अंदर कंप्यूटर, मोबाइल या अन्य उपकरणों पर सर्विस दे रही है तो उसकी जवाबदेही बनती है।

डेटा लीक होने या निजी जानकारी लीक होने पर ऐसी कंपनियों से हर्जाना मांगा जा सकता है। क्लास सूट एक्शन के तहत के तहत सभी पीड़ित यूजर को हर्जाना देने के लिए कंपनी बाध्य हो सकती है। वहीं साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ मोनिक मेहरा का कहना है कि जवाबदेही के लिए कड़े कानून के साथ यूजर्स को खुद सतर्क रहने की जरूरत है। 

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस पुट्टास्वामी बनाम संघ मामले में जीवन जीने के अधिकार में निजता के अधिकार को शामिल माना था। अगर आपके निजता के अधिकार का उल्लंघन होता है तो सरकार से राहत के लिए याचिका दाखिल कर सकते हैं। हाईकोर्ट में अनुच्छेद 226 और सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 32 के तहत यह मामला दायर किया जा सकता है।     साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया से जुड़े कोई भी एप या वेबसाइट अमेरिका या किसी अन्य देश में कंपनी का मुख्यालय या सर्वर होने की दलील देकर जवाबदेही से बच नहीं सकतीं। आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत व्हाट्सएप और इंटरनेट कंपनियों की जिम्मेदारी है कि वे यूजर्स की निजता को लेकर सावधानी बरतें। 

इन मामलों में यूजर्स को खुद भी सतर्क रहने की जरूरत है। व्हाट्सएप, फेसबुक या किसी भी तरह का कोई एप या सॉफ्टवेयर इंस्टाल करते हैं तो उससे जुड़े कई नियम और शर्तें होती हैं जिन्हें लोग कई बार पढ़ते नही हैं। इन्हीं की आड़ में कंपनियां जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करती हैं। 

सावधानियां-एप को लगातार अपडेट करें और संभव हो तो ऑटो अपडेट मोड पर रखें। कंपनियों को जैसे ही कोई खामी समझ आती है तो उस कमी को अपडेट के जरिये दूर करने का प्रयास करते हैं। इससे आप छोटे-मोटे साइबर अटैक से बच सकते हैं। 

एंड टू एंड एनक्रिप्शन, टू फैक्टर अथांटिकेशन भी सुरक्षा को बेहतर बनाता है। फिंगर प्रिंट, पासवर्ड, पिन सुरक्षा की अतिरिक्त लेयर देता है। व्हाट्सएप जैसी सोशल साइट, वॉलेट सभी में इसका इस्तेमाल करना बेहतर है। 

प्ले स्टोर से कोई एप डाउनलोड करते समय लोकेशन के अलावा एसएमएस, मीडिया, फोटो, कैमरा एक्सेस करने की मंजूरी मांगी जाती है। इसमें से आप सभी को टिक न करते जायें। ध्यान से पढ़ें और देखें कि एप को वास्तव में क्या एक्सेस करने की जरूरत है सिर्फ उसी का एक्सेस दें।

अगर आप व्हाट्सएप या किसी अन्य साइट के डाटा का बैकअप क्लाउड, जीमेल ड्राइव या अन्य जगहों पर लेते हैं तो थर्ड पार्टी डाटा ट्रांसफर होते ही इंटरनेट कंपनी की जवाबदेही खत्म हो जाती है। उससे व्हाट्सएप या अन्य का डाटा सुरक्षा से जुड़ा इनक्रिप्शन खत्म हो जाता है। 

भारत में भी फेक न्यूज, मॉब लिचिंग, बच्चा चोरी से जुड़े कई सारे मामलों में सोशल और वीडियो शेयरिंग साइट पर सवाल उठे हैं। इन सबके लिये नियम बनाने हेतु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 3 महीने का समय मांगा है। सरकार ने कहा है कि सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों को देखते हुए इसका नियमन करना जरूरी है।  

फेसबुक को भरने पड़े 35 हजार करोड़ अमेरिकी संघीय व्यापार आयोग ने 18 जुलाई 2019 को यूजर का डाटा लीक करने के मामले में 35 हजार करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। यह ब्रिटिश फर्म कैंब्रिज एनालिटिका से 8.7 करोड़ यूजर का डाटा देने का मामला था। डाटा लीक से होने प्रभावित यूजर ये मामला आयोग के समक्ष ले गए थे। 

ब्रिटेन ने 25 अक्तूबर 2019 को यूजर का डाटा सुरक्षित न रख पाने पर 45 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया। इससे दस लाख यूजर प्रभावित हुए थे। 

ट्वीटर भी नहीं है सुरक्षितट्विटर ने नौ अक्तूबर 2019 को माना कि लाखों भारतीय समेत करीब 1.5 करोड़ यूजर के ईमेल, फोन नंबर आदि जानकारी लीक हुई। कंपनी के खिलाफ मामला लंबित है। 

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