नई दिल्ली:मेटावर्स ने वर्चुअल दुनिया में सपनों और कल्पनाओं को वास्तविकता बनने की अनुमति देता है। अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो किसी व्यक्ति को मुंह, होंठ और जीभ में सनसनी महसूस करने वाले व्यक्ति को "किस" करने की अनुमति देती है। नई तकनीक को अल्ट्रासोनिक ट्रांसड्यूसर के माध्यम से वर्चुअल रियलिटी (वीआर) हेडसेट में बनाया गया है। नई तकनीक कथित तौर पर वीआर हेडसेट को संशोधित करते समय कंपन और बल लगाकर स्पर्श को उत्तेजित करती है।
तकनीक मेटावर्स में एक व्यक्ति को आभासी पानी के फव्वारे से पीने, चाय या कॉफी की चुस्की लेने और यहां तक कि सिगरेट पीने की भी अनुमति देती है। यह यूजर को मुंह के चारों ओर कंपन उत्पन्न करने की अनुमति देता है क्योंकि नई इमर्सिव तकनीक वास्तविक दुनिया के परिदृश्य के करीब की अनुमति देती है। नया हेडसेट पेन्सिलवेनिया में कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित किया गया है। यह हेडसेट में एकीकृत सभी घटकों के साथ "हैप्टिक लक्ष्य" का उपयोग करता है।
शोध में कहा गया है कि हैप्टिक सिस्टम होंठ, दांत और जीभ पर सबसे अच्छा काम करता है। अध्ययन में कहा गया है कि उपयोगकर्ता अनुभव से पता चलता है कि "सिस्टम यथार्थवाद और आभासी वास्तविकता में विसर्जन को बढ़ाता है।" इसमें आगे कहा गया है कि "प्रतिभागियों ने समान रूप से हमारे सिस्टम का उपयोग करना पसंद किया है, जिसमें कोई हैप्टिक फीडबैक नहीं है, यह संकेत देता है कि माउथ हैप्टिक्स उपभोक्ता वीआर सिस्टम के लिए एक आकर्षक अतिरिक्त हो सकता है।"
मेटावर्स है क्या?
मानव ने अपनी इंद्रियों को सक्रिय करने वाली अनेक प्रौद्योगिकी विकसित कीं मसलन ऑडियो स्पीकर से लेकर टेलीविजन, वीडियो गेम और वर्चुअल रियलिटी तक। भविष्य में हम छूने या गंध जैसी अन्य इंद्रियों को सक्रिय करने वाले उपकरण भी विकसित कर सकते हैं। इन प्रौद्योगिकियों के लिए कई शब्द दिए गए हैं लेकिन एक भी ऐसा लोकप्रिय शब्द नहीं है जो भौतिक दुनिया और वर्चुअल दुनिया के मेल को बखूबी बयां कर सकता हो।
'इंटरनेट' और 'साइबर स्पेस' जैसे शब्द ऐसे स्थानों के लिए हैं जिन्हें हम स्क्रीन के जरिए देखते हैं। लेकिन ये शब्द इंटरनेट की वर्चुअल रियलिटी (थ्रीडी गेम वर्ल्ड या वर्चुअल सिटी) या संवर्धित वास्तविकता अथवा ऑगमेंटेड रियलिटी (नेविगेशन ओवरले या पोकेमोन गो) आदि की पूरी तरह व्याख्या नहीं कर पाते।
मेटावर्स शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल साइंस फिक्शन लेखक नील स्टीफेन्सन ने 1992 में अपने उपन्यास 'स्नो क्रेश' में किया था। इसी तरह के अनेक शब्द उपन्यासों से ईजाद हुए हैं। मसलन 1982 में विलियम गिब्सन की एक किताब से 'साइबरस्पेस' शब्द आया। 'रोबोट' शब्द 1920 में कैरेल कापेक के एक नाटक से उत्पन्न हुआ। इसी श्रेणी में 'मेटावर्स' आता है। मेटावर्स का मतलब एक ऐसी दुनिया से है जहां लोग वास्तविक नहीं, बल्कि आभासी रूप से उपस्थित रहते हैं। यह इंटरनेट का भविष्य है।