एपल के आईफोन और आईपैड यूजर्स के ऑपरेटिंग सिस्टम में एक बग आने की खबर है। इससे एपल डिवाइस के यूजर्स के डेटा लीक होने का खतरा बढ़ गया है। ये जानकारी सिक्योरिटी फर्म ZecOps ने दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह बग आईफोन के मेल एप में है जिसकी वजह से लाखों यूजर्स की पर्सनल जानकारी खतरे में है।
इस हैकिंग में एपल ईमेल एप का इस्तेमाल किया गया है और कहा जा रहा है कि पिछले 8 सालों से बग के जरिए यूजर्स की जानकारी को चुराया जा रहा था। साइबर सिक्यॉरिटी फर्म ZecOps के मुताबिक इस साइबर अटैक में 50 करोड़ यूजर्स के डेटा की चोरी हुई है।
एपल ने मानी गलतीरिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इस बग की वजह से छह बड़े लोगों का डेटा भी चोरी हुआ है। वहीं एपल के एक प्रवक्ता ने एक न्यूज एजेंसी को बताया है कि आने वाले अपडेट में इस बग को फिक्स करने के लिए सिक्योरिटी पैच दिया जाएगा।
एक साइबर सिक्यॉरिटी फर्म के चीफ जूक ऐवराहम को आईफोन और आईपैड के इस साइबर अटैक के बारे में तब पता चला जब वे पिछले साल एक क्लाइंट के साथ हुए बड़े साइबर अटैक की जांच कर रहे थे। जूक के मुताबिक इस जांच के बाद उन्हें पता चला कि साइबर सिक्यॉरिटी से जुड़े कम से कम 6 मामलों में इस बग का हाथ है।
कैसे करते थे हैकZecOps का कहना है कि उसने इस बग के बारे में एपल को मार्च में बताया था लेकिन कंपनी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इस बग का फायदा उठाकर हैकर्स किसी आईफोन या आईपैड यूजर को ब्लैंक मैसेज भेज सकते हैं। इसके बाद जैसे ही यूजर्स मैसेज को ओपन करेगा तो मेल एप क्रैश हो जाएगा और रीबूट का ऑप्शन दिखाई देने लगेगा। इसी रीबूट के दौरान हैकर्स आपकी निजी जानकारियों को चोरी कर लेंगे।
इस बग के साथ हैकर्स को कोई मेहनत नहीं करनी पड़ रही है, क्योंकि इस बग के कारण आईफोन को हैक करने के लिए किसी एप या सॉफ्टवेयर को फोन में इंस्टॉल करवाने की जरूरत नहीं है। आमतौर पर किसी हैकिंग के लिए फोन में मैलवेयर डालने या फिर एप को इंस्टॉल करने की जरूरत होती है।
इस हैकिंग में जिन 6 बड़े लोगों को निशाना बनाने की बात कही जा रही है उनमें जापान की टेलीकॉम कंपनी का एक कर्मचारी, यूरोप का एक पत्रकार और सऊदी अरब व इस्रायल के दो लोग शामिल हैं।
iOS 6 से मौजूद है खतराजीरो-डे की मदद से हैकर्स को यूजर के आईफोन या आईपैड का पूरा ऐक्सेस बड़ी आसानी से मिल जाता है। आर्सटेक्निका की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह खतरा साल 2012 में रिलीज हुए iOS 6 से ही मौजूद है लेकिन हैकर्स ने इसका फायदा 2018 के बाद से ज्यादा तेजी से उठाना शुरू किया है।