Vidur Niti: महाभारत के मुख्य पात्रों में से एक महात्मा विदुर नीति शास्त्र के भी बड़े ज्ञाता माने जाते हैं। वह धृतराष्ट्र के महामंत्री थे लेकिन उनकी चुप्पी और पांडवों के खिलाफ होने वाले अन्याय पर हमेशा अपनी बात स्पष्ट तरीके से रखी।
यही कारण है कि वे कौरवों के साथ रहते हुए भी न केवल छल-कपट से दूर रहे बल्कि महाभारत के युद्ध से भी खुद को दूर रखने में कामयाब रहे। पूरे महाभारत की कहानी में धृतराष्ट्र और विदुर के बीच जो भी संवाद हुए, वहीं विदुर नीति कहलाई। आईए जानते हैं विदुर नीति से जुड़ी कुछ अहम बातें...
करीबी मित्रों और रिश्तेदारों को परखने वाले होते हैं कमजोर: वह व्यक्ति जो हर समय दूसरों और खासकर अपने करीब रहने वाले लोगों को परखने की कोशिश करता है, वो कमजोर होता है। ऐसा वही व्यक्ति करता है जो कुछ छिपाने की कोशिश करता है। वह अपने फैसलों को लेकर भी हमेशा भ्रम में रहता है। ऐसा शख्स यदि उच्च पद पर हो तो हमेशा अपने घमंड में लोगों को परखता रहता है। वह हमेशा इस बात को जानने की कोशिश में रहता है कि कहीं उसके सम्मान में कमी तो नहीं आ रही है।
संकट के समय होती है व्यक्ति की पहचान: विदुर के अनुसार व्यक्ति की पहचान उसके अच्छे समय में नहीं बल्कि उसके सबसे बुरे समय में होती है, जब वह संकटों से घिरा होता है। विदुर नीति के अनुसार जो व्यक्ति संकट के समय अपना धैर्य खो देता है, परेशान और निराश होता है वह बिल्कुल भी गंभीर और प्रतिभा संपन्न नहीं होता। धैर्यवान इंसान वही है जो संकट काल में भी अपना आपा और विवेक नहीं खोता।
सामने वाले का मुंह देखकर बात करने वाले विश्वसनीय नहीं होते: विदुर से एक बार धृतराष्ट्र ने पूछा कि व्यक्ति कौन अच्छा होता है। इस सवाल पर विदुर बोले कि महाराज जो व्यक्ति मुख देखकर बात करता है ऐसे व्यक्ति से सदा सावधान रहना चाहिए। धृतराष्ट्र ने विदुर से कहा कि इस पर विस्तार से प्रकाश डालो। तब विदुर ने कहा महाराज जो व्यक्ति हर किसी से अलग अलग बात करे यानी किसी से कुछ कहे और दूसरे व्यक्ति के सामने कुछ और कहे, ऐसे व्यक्ति का चरित्र संदिग्ध होता है। ऐसे व्यक्ति संबंधों में संदेह पैदा कराते हैं।
किसी की सलाह पर हमेशा करें सोच विचार: विदुर के अनुसार जहर केवल पीने वाले मारता है। शस्त्र भी केवल उसी को मारता है, जिस पर छोड़ा गया है। सलाह लेकिन ऐसी चीज है जो अगर गलत है तो न जानें कितने ही लोगों का विनाश करती है। इसलिए राजा को किसी की भी सलाह मानने से पहले खुद हर बात पर विचार करना चाहिए। यह केवल राजा के लिए नहीं है। ऐसा प्रयोग हर किसी को करना चाहिए और बिना सोचे-समझे किसी की सलाह को अमल में नहीं लाना चाहिए।
बिना जप-तप के मिल सकता है स्वर्ग: महात्मा विदुर के अनुसार जिस प्रकार किसी नदी या समुद्र को पार करने के लिए नाव एक मात्र सहारा है। उसी प्रकार स्वर्ग जाने के लिए सत्य का पालन ही इकलौता मार्ग है। विदुर जी कहते हैं कि कितनी भी विषम परिस्थिति हो, एक व्यक्ति को अपने सत्य धर्म से कभी नहीं हटना चाहिए।