लाइव न्यूज़ :

वाल्मीकि जयंती 2018: डकैत थे रामायण रचयिता महर्षि वाल्मीकि, नारद मुनी से मिलने के बाद बदल गया जीवन

By मेघना वर्मा | Published: October 24, 2018 11:43 AM

Valmiki Jayanti: एक मान्यता ये भी प्रचलित है कि जब भगवान राम ने मां सीता को त्याग दिया था तो महर्षि वाल्मीकि ने ही उन्हें शरण दी थी।

Open in App

बचपन से ही हम सभी प्रचीन ग्रंथ रामायण को पढ़ते आए हैं और उनकी काहानियों को सुनकर बड़े हुए हैं। हमारे इस प्राचीन ग्रंथ की रचना महर्षि वाल्मिकी ने की थी। हिन्दू धर्म में संतों में सबसे अव्वल दर्जा महर्षि वाल्मीकि को दिया गया है। बताया तो ये भी जाता है कि संस्कृत भाषा के सबसे पहले कवि वाल्मीकि ही थे जिन्होंने रामायण की रचना की थी जिसमें कुल 24 हजार छंद है। हर साल पूरा देश इसी महान महर्षि वाल्मीकि की याद में इनकी जयंती को मनाता है। हिंदी तिथि के अनुसार हर साल अश्विन मास की पूर्णिमा को ये जंयती मनाई जाती है। इस साल वाल्मीकि जयंती 24 अक्टूबर के दिन मनाई जाएगी। 

रामायण ग्रंथ ने हमें जीने का सलीका और तरीका सिखाया है। रामायण से हम ना सिर्फ भगवान राम के आदर्श जान सके बल्कि रावण वध के बाद इस बात का भी पता चलता है कि बुराई चाहे जितनी भी ताकतवर हो अच्छाई के सामने टिक नहीं सकती। हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण जगह रखने वाले रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि की निजी जिंदगी की बात करें तो उसमें भी बहुत से उतार-चढ़ाव रहे हैं। माना जाता है कि महर्षि वाल्मीकि ने ही राम को अपने कुटिया में शरण दी थी। उनकी जंयती पर आइए जानते हैं वाल्मीकि के जीवन से जुड़े कुछ रोचक मान्यताएं साथ ही जानिए कब है पूर्णिमा तिथि। 

वाल्मिकी जयंती तिथि

पूर्णिमा तिथि 23 अक्टूबर से रात 10 बजे से 36 मिनट तक शुरू होकर 24 अक्टूबर रात 10 बजकर 14 मिनट तक चलेगी। 

डकैत थे महर्षि वाल्मीकि

हिन्दू मान्यताओं में ये बताया जाता है कि महर्षि वाल्मीकि का पहला नाम रत्नाकर था। वह डकैत हुआ करते थे। लोगों को मारना उन्हें नुकसान पहुंचाना आदि रत्नाकर का पेशा था। एक दिन उनकी मुलाकात नारद मुनी से हुई जिसके रत्नाकर, वाल्मीकि बन गए और उनकी जिंदगी बदल गई। नारद मुनि ने उन्हें जीने का सलीका बताया। नारद मुनि ने उन्हें भगवान श्रीराम के बारे में बताया और पूजा-पाठ की महत्ता से भी रूबरू करवाया। जिसके बाद महर्षि वाल्मीकि की जिंदगी बदल गई। गलत रास्ता छोड़कर वाल्मीकि श्रीराम के चरणों में आ गए। उनकी ही प्रार्थना करें लगे। 

माता सीता को दी शरण

एक मान्यता ये भी प्रचलित है कि जब भगवान राम ने मां सीता को त्याग दिया था तो महर्षि वाल्मीकि ने ही उन्हें शरण दी थी। अपनी कुटिया में ना सिर्फ उन्होंने सीता को स-सम्मान रखा बल्कि उनके बेटे लव-कुश को भी शरण दी। साथ ही लव-कुश को शिक्षा भी दी। आज भी भगवान लव-कुश के गुरूओं को रूप में महर्षि वाल्मीकि को ही जाना जाता है। 

आदि कवि बन गए महर्षि वाल्मीकि

हिन्दू धर्म में वाल्मीकि जयंती को काफी महत्वपूर्ण माना गया है। पुराणों में उनके लिखे गए ग्रंथ रामायण पूजनीय है। महर्षि वाल्मीकि को आदि कवि के नाम से भी जानते हैं। भारत में ज्यादातर उत्तरी हिस्से में इनकी जयंती को मनाया जाता है। इन शहरों में चड़ीगढ़, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश आदि शामिल हैं।  

टॅग्स :वाल्मीकि जयंतीहिंदू त्योहार
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठAkshaya Tritiya 2024 Date: मई में इस दिन है अक्षय तृतीया, जानें तिथि, खरीदारी का शुभ मुहूर्त और महत्व

पूजा पाठVaruthini Ekadashi 2024 Date: कब है वरुथिनी एकादशी? जानें तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व

पूजा पाठMay Vrat Tyohar 2024 List: मई माह में आएंगे अक्षय तृतीया, नरसिंह जयंती और बुद्ध पूर्णिमा सहित ये महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार, देखें पूरी लिस्ट

पूजा पाठHanuman Jayanti 2024: पंचमुखी हनुमान के पूजन से दूर होता है भय, बढ़ता है आत्मविश्वास, जानिए रुद्रावतार के इस महास्वरूप की कहानी

पूजा पाठHanuman Jayanti 2024: हनुमान जयंती पर जरूर करें इन पांच मंत्रों का जाप, सभी परेशानियां होंगी दूर

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 30 April 2024: आज मेष, वृषभ और सिंह राशिवालों की आज होगी बल्ले-बल्ले, मिलेगा कोई शुभ समाचार

पूजा पाठआज का पंचांग 30 अप्रैल 2024: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठLord Hanuman: हर मंगलवार सुंदर कांड के इन 15 दोहे का करें पाठ, पवनसुत हरेंगे सारे कष्ट

पूजा पाठGuru Gochar 2024: 1 मई से सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बदल रहा है अपनी चाल, जानिए आपकी राशि में क्या होगा इसका प्रभाव

पूजा पाठनरेंद्र कौर छाबड़ा का ब्लॉग: मानवीय जीवन मूल्यों के धनी थे गुरु तेग बहादुर जी