लाइव न्यूज़ :

Utpanna Ekadashi 2019: पढ़ें उत्पन्ना एकादशी की पूरी व्रत कथा, जानें पूजा विधि

By मेघना वर्मा | Updated: November 20, 2019 11:05 IST

उत्पन्ना एकादशी को ही भगवान विष्णु ने मुरी नामक राक्षस का वध किया था। जिसकी खुशी में हर साल उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है।

Open in App
ठळक मुद्देउत्पन्ना एकादशी इस बार 22 नवंबर को पड़ रही है। इस एकादशी में भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी जी की पूजा का भी विधान है।

एकादशी के व्रत को सबसे महत्वपूर्ण बताया गया है। हर महीने आने वाली एकादशी को जातक व्रत रखते हैं। वहीं साल भर में कुल 24 एकादशी आती है। कहते हैं एकादशी का व्रत रखने से श्रीहरि प्रसन्न हो जाते हैं। मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को भी काफी महत्तपूर्ण बताया गया है। इसे उत्पन्ना एकादशी भी कहते हैं।

इस साल उत्पन्ना एकादशी 22 नवंबर को पड़ रही है। इस एकादशी को भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन जो जातक मन से भगवान विष्णु की पूजा कर लेता है उसके सारे पाप कट जाते हैं। 

उत्पन्ना एकादशी का शुभ मुहूर्त

उत्पन्ना एकादशी तिथि- 22 नवंबरएकादशी तिथि प्रारंभ - 09:01 AM सेएकादशी तिथि समाप्त - 06:24 AM तक

उत्पन्ना एकादशी का महत्व

बताया जाता है कि उत्पन्ना एकादशी को ही भगवान विष्णु ने मुरी नामक राक्षस का वध किया था। जिसकी खुशी में हर साल उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है। खास बात ये है कि उत्तर भारत में उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष महीने में पड़ती है। जबकि कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में यर एकादशी कार्तिक मास में मनाई जाती है। 

उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा

ऐसा माना जाता है कि श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी माता के जन्म की कथा सुनाई थी। पुरानी कथाओं की मानें तो सतयुग में मुर नाम का राक्षस था। उसने अपनी शक्ति से स्वर्ग लोक को जीत लिया। ऐसे में इंद्रदेव ने विष्णुजी से मदद मांगी। विष्णुजी का मुर दैत्य से युद्ध आरंभ हो गया। ये युद्ध कई वर्षों तक चलता रहा। अंत में विष्णु जी को नींद आने लगी तो वे बद्रिकाश्रम में हेमवती नामक गुफा में विश्राम करने चले गए। 

मुर भी उनके पीछे पहुंचा और सोते हुए भगवान को मारने की कोशिश करने लगा। तभी अंदर से एक कन्या निकली और उसने मुर से युद्ध किया। भीषण युद्ध के बाद कन्या ने मुर का मस्तक धड़ से अलग कर दिया। जब विष्णु की नींद टूटी तो उन्हें आश्चर्य हुआ कि यह कैसे हुआ? कन्या ने सब विस्तार से बताया। वृत्तांत जानकर विष्णु ने कन्या को वरदान मांगने के लिए कहा। 

कन्या ने मांगा कि अगर कोई मनुष्य मेरा उपवास करे तो उसके सारे पाप नाश हो जाएं और उसे विष्णुलोक मिले। तब भगवान ने उस कन्या को एकादशी नाम दिया और वरदान दिया कि इस व्रत के पालन से मनुष्य जाति के पापों का नाश होगा और उन्हें विष्णु लोक मिलेगा।

उत्पन्ना एकादशी की पूजा विधि

1. एकादशी का व्रत करने वाले को एक दिन पहले यानी कि दशमी से ही व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए। 2. व्रत के दिन सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान करें और स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें। 3. उत्पन्ना एकादशी का व्रत निर्जला होता है। 4. अब घर के मंदिर में विष्‍णु की प्रतिमा स्‍थापित करें। 5. विष्‍णु की प्रतिमा को तुलसी दल, फल, फूल और नैवेद्य अर्पित करें। 

टॅग्स :एकादशीपूजा पाठहिंदू त्योहारत्योहार
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठMargashirsha Purnima 2025 Date: कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा? जानिए तिथि, दान- स्नान का शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय और महत्व

पूजा पाठDecember Vrat Tyohar 2025 List: गीता जयंती, खरमास, गुरु गोबिंद सिंह जयंती, दिसंबर में पड़ेंगे ये व्रत-त्योहार, देखें पूरी लिस्ट

पूजा पाठVivah Panchami 2025: विवाह पंचमी 25 नवंबर को, वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ाने के लिए इस दिन करें ये 4 महाउपाय

भारतदरगाह, मंदिर और गुरुद्वारे में मत्था टेका?, बिहार मतगणना से पहले धार्मिक स्थल पहुंचे नीतीश कुमार, एग्जिट पोल रुझान पर क्या बोले मुख्यमंत्री

पूजा पाठKartik Purnima 2025: कार्तिक पूर्णिमा आज, जानें महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठPanchang 07 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 07 December 2025: आज इन 3 राशियों के लिए दिन रहेगा चुनौतीपूर्ण, वित्तीय नुकसान की संभावना

पूजा पाठसभ्यता-संस्कृति का संगम काशी तमिल संगमम

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 06 December 2025: आज आर्थिक पक्ष मजबूत, धन कमाने के खुलेंगे नए रास्ते, पढ़ें दैनिक राशिफल

पूजा पाठPanchang 06 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय