Ekadashi in July 2024: जुलाई के महीने में दो नहीं पड़ रहीं तीन एकादशी, जानें योगिनी एकादशी के बाद कब है देवशयनी और कामिका एकादशी?
By मनाली रस्तोगी | Updated: July 8, 2024 14:30 IST2024-07-08T14:29:10+5:302024-07-08T14:30:49+5:30
2 जुलाई को योगिनी एकादशी मनाने के बाद 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी और 31 जुलाई को कामिका एकादशी मनाई जाएगी। ऐसे में एकादशी के लिहाज से जुलाई का महीना खास है क्योंकि अमूमन किसी भी महीने में दो ही एकादशी पड़ती हैं।

Ekadashi in July 2024: जुलाई के महीने में दो नहीं पड़ रहीं तीन एकादशी, जानें योगिनी एकादशी के बाद कब है देवशयनी और कामिका एकादशी?
Ekadashi in July 2024: हिंदुओं में एकादशी का बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है। पूरे वर्ष में कुल 24 एकादशी होती हैं जो शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के दौरान आती हैं। एकादशी के लिहाज से जुलाई महीना सबसे प्रमुख महीना होने वाला है क्योंकि इस महीने में तीन एकादशी पड़ेंगी।
2 जुलाई को योगिनी एकादशी मनाने के बाद 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी और 31 जुलाई को कामिका एकादशी मनाई जाएगी। ऐसे में एकादशी के लिहाज से जुलाई का महीना खास है क्योंकि अमूमन किसी भी महीने में दो ही एकादशी पड़ती हैं।
जानें देवशयनी एकादशी और कामिका एकादशी की तिथि
देवशयनी एकादशी 2024: तिथि और समय
एकादशी प्रारंभ - 16 जुलाई 2024 - 08:33 अपराह्न
एकादशी समाप्त - 17 जुलाई 2024 - रात्रि 09:02 बजे
पारण का समय- 18 जुलाई 2024 - प्रातः 05:17 बजे से। 07:56 पूर्वाह्न
द्वादशी समाप्ति क्षण - 18 जुलाई 2024 - 08:44 पूर्वाह्न
कामिका एकादशी 2024: तिथि और समय
एकादशी आरंभ - 30 जुलाई 2024 - 04:44 अपराह्न
एकादशसी समाप्त - 31 जुलाई 2024 - 03:55 अपराह्न
पारण का समय - 1 अगस्त 2024 - प्रातः 05:23 बजे से। 07:59 पूर्वाह्न
द्वादशी समाप्ति क्षण - 1 अगस्त 2024 - 03:28 अपराह्न
एकादशी का महत्व
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह दिन पूरी तरह से इस ब्रह्मांड के संरक्षक भगवान विष्णु को समर्पित है। भक्त हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के दौरान एकादशी व्रत रखते हैं।
यह व्रत आपके शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करने की क्षमता रखता है। यह आपके जीवन को नकारात्मक से सकारात्मक में बदल सकता है। जो भक्त आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के इच्छुक हैं, उन्हें हर महीने यह व्रत करने की सलाह दी जाती है।
उन्हें पूजा करना, मंदिर जाना जैसी आध्यात्मिक और धार्मिक गतिविधियों में शामिल होना चाहिए। गंगा नदी में पवित्र स्नान करना, ब्राह्मणों को भोजन और कपड़े दान करना, पक्षियों और जानवरों को खाना खिलाना। समाज के कल्याण के लिए दान करना अत्यधिक फलदायी होता है। यह व्रत जाति, पंथ और धर्म से परे कोई भी कर सकता है, लेकिन आपको भगवान विष्णु पर अंध विश्वास रखना चाहिए।
जानें पूजा विधि
1. पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले सुबह जल्दी उठें और पवित्र स्नान करें।
2. भगवान विष्णु, भगवान कृष्ण और लड्डू गोपाल जी की एक मूर्ति रखें।
3. उन्हें पहले सामान्य जल से और फिर पंचामृत से स्नान कराएं।
4. देसी घी का दीया जलाएं और फिर फूलों से सजाएं।
5. उन्हें तुलसी पत्र और पंचामृत अर्पित करें।
6. विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और भगवान विष्णु को समर्पित मंत्रों का जाप करें।
7. इस दिन हवन अनुष्ठान करना, ब्राह्मणों को भोजन और कपड़े दान करना, जानवरों को खाना खिलाना, गंगा नदी में पवित्र स्नान करना, गरीब और जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाना अत्यधिक सराहनीय है।
8. भक्तों को आभार व्यक्त करने के लिए भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु के मंदिरों में अवश्य जाना चाहिए।