Swami Vivekananda Jayanti: स्वामी विवेकानंद की बात सुनकर जब शर्म से झुका अंग्रेजों का सिर, पढ़ें ये दिलचस्प कहानी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 12, 2022 08:09 AM2022-01-12T08:09:25+5:302022-01-12T08:13:14+5:30

स्वामी विवेकानंद भारत के ऐसे संतं में शामिल हैं जिनकी ख्याती दुनिया भर में हुई। उनसे जुड़ी कहानियां प्रेरणा देने का काम करती हैं। भारत में उनकी जयंती को 'युवा दिवस' के तौर पर मनाया जाता है।

Swami Vivekananda Jayanti: quotes and story British bowed in shame | Swami Vivekananda Jayanti: स्वामी विवेकानंद की बात सुनकर जब शर्म से झुका अंग्रेजों का सिर, पढ़ें ये दिलचस्प कहानी

संयम और शालीनता की मिसाल स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद से जुड़ी कई ऐसी कहानियां हैं जो प्रेरणा देने का काम करती हैं। स्वामी विवेकानंद का जन्म पश्चिम बंगाल के एक साधारण परिवार में 12 जनवरी 1863 को हुआ था। साल 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना करने वाले स्वामी विवेकानंद ने हमेशा मानवता की सेवा को ही अपना सबसे बड़ा धर्म माना। अमेरिका के शिकागो में धर्मसभा में दिए उनके भाषण की चर्चा आज भी होती है।

स्वामी विवेकानंद की जयंती के मौके को पूरे देश में 'राष्ट्रीय युवा दिवस' के तौर पर भी मनाया जाता है। उनकी जयंती के आज के मौके पर उनसे जुड़ी एक बेहद ही दिलचस्प कहानी हम बताने जा रहे हैं।

संयम और शालीनता की मिसाल स्वामी विवेकानंद

कोई हमें कुछ कह दे या बुराई कर दे तो हम अक्सर अपना आपा खो देते हैं लड़ने-भिड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं। स्वामी विवेकानंद पर ऐसे व्यवहार से बिल्कुल अलग थे। उनमें संयम और शालीनता ऐसी थी जिससे हर किसी को सीखना चाहिए। स्वामी विवेकानांद एक बार ट्रेन से कहीं जा रहे थे। वे ट्रेन के जिस डब्बे में थे, उसमें कुछ अंग्रेज यात्री भी मौजूद थे।  

उन अंग्रेजों ने स्वामी जी को देखकर उन्हें भला-बुरा कहना शुरू कर दिया। वे अंग्रेज न केवल स्वामी जी की निंदा कर रहे थे बल्कि अपनी भाषा में गालियों का भी इस्तेमाल उनके लिए कर रहे थे। अंग्रेजों को लगा कि स्वामीजी अंग्रेजी नहीं जानते होंगे। इसलिए उन्होंने आपसी बातचीत में स्वामी विवेकानंद और साधुओं को काफी बुरा-भला कहा। 

अंग्रेजी बोलते स्वामी विवेकानंद को देख अंग्रेज हुए दंग

सफर के रास्ते में एक बड़ा स्टेशन आया। स्वामी विवेकानंद के स्वागत के लिए वहां हजारों लोग मौजूद थे। उनमें कुछ विद्वान और अधिकारी भी थे। स्टेशन पर लोगों को संबोधित करने के बाद स्वामी विवेकानंद अंग्रेजी में पूछे गये सवालों का जवाब अंग्रेजी में ही दे रहे थे। 

स्वामी विवेकानंद को इस तरह अंग्रेजी बोलते देखकर डिब्बे में सवार अंग्रेज यात्री दंग रह गए। ऐसा लगा जैसे मानो सांप सूंघ गया। इसके बाद अवसर मिलने पर वे विवेकानंद के पास गए और उनसे नम्रतापूर्वक बोले, 'आपने हमारी बातों का बुरा माना होगा?'

इस पर स्वामी विवेदानंद ने बेहद शालीनता से जवाब देते हुए कहा, 'मेरा मस्तिष्क अपने ही कार्यों में इतना व्यस्त था कि आप लोगों की बातें सुनने के बावजूद उन पर ध्यान देने और उनका बुरा मानने का अवसर नहीं मिला।' इतना सुनते ही अंग्रेजों का सिर शर्म से झुक गया और वे स्वामीजी के चरणों में गिर गए।

Web Title: Swami Vivekananda Jayanti: quotes and story British bowed in shame

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