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Sheetala Ashtami 2021: शीतला अष्टमी कब है? इस दिन क्यों खाते हैं बासी प्रसाद और खाना, जानिए

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: March 8, 2021 12:28 IST

शीतला अष्टमी का व्रत हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को किया जाता है। इस दिन कई घरों में चूल्हा नहीं जलाने की परंपरा है।

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ठळक मुद्देचैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी मनाया जाता है शीतला अष्टमी, इस बार 4 अप्रैल को है व्रतशीतला अष्टमी के व्रत को देश के कई हिस्सों में बसौड़ा या बसोरा भी कहा जाता हैशीतला माता को पूजा में बासी प्रसाद चढ़ाने की है परंपरा, मान्यताओं के अनुसार इस दिन के बाद से बासी खाना नहीं खाना चाहिए

Sheetala Ashtami:शीतला अष्टमी का व्रत इस बार 4 अप्रैल को है। हिंदी पंचांग के अनुसार हर साल शीतला अष्टमी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इसे व्रत को कई जगहों पर बसौड़ा या बसोरा भी कहते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि शीतला अष्टमी के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाना चाहिए।

ऐसे में इस दिन शीतला माता को बासी प्रसाद ही चढ़ाया जाता है। इसके मायने ये हुए कि प्रसाद को एक दिन पहले ही बना लिया जाता है। इस दिन माता को प्रसाद चढ़ाने के बाद खुद भी बासी भोजन करना चाहिए।

Sheetala Ashtami 2021: शीतला माता कौन हैं और क्यों चढ़ाते हैं बासी प्रसाद

शीतला माता दरअसल शक्ति की देवी मां दुर्गा का एक ही रूप हैं। वे रोगों को हरने वाली देवी हैं। उन्हें चेचक जैसे रोग की देवी भी कहा गया है। वे अपने हाथों में कलश, सूप, मार्जन (झाड़ू) और नीम के पत्ते धारण किए होती हैं और उनकी गर्दभ (गधे) की सवारी है।

ऐसी मान्यता है कि शीतला माता को ठंडी और मीठी चीजें बहुत प्रिय हैं। इसलिए उन्हें प्रसाद में ठंडी चीजें चढ़ाई जाती है। उनके लिए चावल गुड़ या गन्ने के रस से बनाए जाते हैं। इन्हें चैत्र के कृष्ण पक्ष की सप्तमी की रात को बनाया जाता है। 

शीतला अष्टमी व्रत को लेकर ये भी मान्यता है कि इसे करने से परिवार के सदस्यों को त्वचा रोग संबंधी बीमारियां नहीं होती हैं। ये व्रत ऐसे समय आता है जब मौसम बदल रहा होता है। सर्दियों के दिन खत्म होते हैं और गर्मियां आती हैं। इसलिए ऐसा कहते हैं कि इस अष्टमी के बाद बासी खाना नहीं खाया जाना चाहिए।

Sheetala Ashtami 2021: शीतला अष्टमी पूजन शुभ मुहूर्त

शीतला अष्टमी इस बार 4 अप्रैल (रविवार) को है। अष्टमी तिथि की शुरुआत 4 अप्रैल को तड़के 04.12 बजे से हो रही है। इसका समापन 5 मार्च को तड़के 02.59 बजे होगा। ऐसे में पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त 4 अप्रैल को सुबह 6.08 बजे से शाम 6.41 बजे तक का होगा।

शीतला अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि के बाद पूजा की तैयारी करें। इसके लिए थाली में दही, पुआ, रोटी, बाजरा, सप्तमी के दिन बने मीठे चावल आदि रखें। एक दूसरी थाली भी लें। उसमें आटे से बना दीपक, रोली, वस्त्र, अक्षत, हल्दी, मोली, सिक्के और मेहंदी रखें। दोनों थाली में ठंडे पानी का लोटा भी रखें।

इसके बाद शीतला माता की पूजा करें और दीपक को बिना जलाए मंदिर में रखें। एक-एक कर सभी चीजें माता शीतला को समर्पित करें। अंत में जल चढ़ाए और बचे हुए जल को घर के सभी सदस्यों के आंखों पर लगाए। कुछ जल घर के हिस्सों में भी छिड़के। पानी अगर बचा हुआ है तो उसे घर पर पूजा के स्थान पर रख दें। वहीं, पूजा समग्री और प्रसाद गाय और ब्राह्मण को भी दें। 

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