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Shab-e-Barat 2024: जानिए फरवरी में कब मनाई जाएगी 'शब-ए-बारात', क्या है मनाने का तरीका और महत्व

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: February 20, 2024 12:42 IST

माना जाता है कि रहमत की इस रात में अल्लाह पाक कब्र के सभी मुर्दों को आजाद कर देता है। मुस्लिम समुदाय मानता है कि उनके वो अपने इस रात वापस अपने घर का रुख कर सकते हैं, इसलिए शब ए बारात की रात मीठा बनाने का रिवाज है।

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ठळक मुद्देइस साल 25 फरवरी 2024, रविवार को शब-ए-बारात मनाई जा सकती हैमान्यता है कि इस रात में सभी गुनहगारों को माफी दी जाती हैपैगंबर हज़रत मुहम्मद साहब ने इसे रहमत की रात कहा है

Shab-e-Barat 2024 Date: इस साल 25 फरवरी 2024, रविवार को शब-ए-बारात मनाई जा सकती है। इस्लामिक मान्यता है कि इस रात में सभी गुनहगारों को माफी दी जाती है। इस्लाम के प्रवर्तक पैगंबर हज़रत मुहम्मद साहब ने इसे रहमत की रात कहा है। इसलिए मुसलमानों के लिए इस दिन का खास महत्व है।

शब-ए-बारात क्यों मनाई जाती है

माना जाता है कि रहमत की इस रात में अल्लाह पाक कब्र के सभी मुर्दों को आजाद कर देता है। मुस्लिम समुदाय मानता है कि उनके वो अपने इस रात वापस अपने घर का रुख कर सकते हैं, इसलिए शब ए बारात की रात मीठा बनाने का रिवाज है। मस्जिदों और कब्रिस्तानों में इस दिन मुस्लिम लोग अपने पूर्वजों को याद करने के लिए पहुंचते हैं। मुसलमान पूरी रात नमाज, कुरान पढ़ते हैं और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। मुस्लिम समुदाय के लोग शब-ए-बारात को अपने पुरखों की कब्र पर भी जाते हैं और दुआ पढ़ते हैं।

शब-ए-बारात,दो शब्दों, शब और बारात से मिलकर बना है, जहाँ शब का अर्थ रात होता है वहीं बारात का मतलब बरी होना होता है। शब-ए-बारात को मुसलमान सामूहिक रूप से पूजा करते हैं और अपने गलत कामों की क्षमा मांगते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह उन्हें पूरे वर्ष के लिए सौभाग्य प्रदान करता है और उन्हें उनके पापों से मुक्त करता है।, यह एक ऐसी रात भी है जब अपने मृत पूर्वजों को क्षमा करने के लिए प्रार्थना की जाती है।

एक हदीस परंपरा के अनुसार यह ज्ञात है कि मुहम्मद इस रात बाकी के कब्रिस्तान में गए थे और उन्होंने वहां दफन किए गए मुसलमानों के लिए प्रार्थना की थी। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार यह रात साल में एक बार शाबान महीने की 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरू होती है। मुसलमानों के लिए यह रात बेहद फज़ीलत(महिमा) की रात मानी जाती है, इस दिन विश्व के सारे मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं। वे दुआएं मांगते हैं और अपने गुनाहों की तौबा करते हैं।

माना जाता है कि सच्चे दिल से माफी मांगने और दुआ करने वाले लोगों के लिए अल्लाह जन्नत का दरवाजा खोलते हैं। इस दिन घरों में लजीज पकवान जैसे, बिरयानी, कोरमा, हलवा आदि बनाया जाता है और इबादत के बाद गरीबों में बांटा जाता है।

टॅग्स :इस्लामपैगंबर हज़रत मुहम्मद
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