लाइव न्यूज़ :

Sawan Putrada Ekadashi Vrat: इस बार सावन पुत्रदा एकादशी में बनेगा अद्भुत संयोग, जानें तिथि, शुभ मुहर्त, व्रत विधि और कथा

By रुस्तम राणा | Updated: August 4, 2022 14:03 IST

सावन पुत्रदा एकादशी पर पद्म योग और रवि योग का शुभ संयोग भी बन रहा है। ऐसे अद्भुत योग के दौरान यदि पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है तो पुण्य लाभ कई गुना अधिक हो जा रहा है।

Open in App
ठळक मुद्देसावन पुत्रदा एकादशी व्रत 8 अगस्त, 2022 को रखा जाएगाइस दिन पद्म योग और रवि योग का शुभ संयोग भी बन रहा हैइस एकादशी व्रत करने से निःसंतानों को मिलता है संतान प्राप्ति का आशीर्वाद

Sawan Putrada Ekadashi Vrat: सावन पुत्रदा एकादशी व्रत 8 अगस्त, 2022 को रखा जाएगा। हर साल हिन्दू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को सावन पुत्रदा एकादशी व्रत रखा जाता है। हिन्दू धर्म में हर एक व्रत का अपना अलग महत्व होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, सावन पुत्रदा एकादशी व्रत करने से निःसंतानों को संतान और आर्थिक तंगी जूझ रहे लोगों को धन प्राप्त होता है। श्रावण मास में आने वाली इस एकादशी का व्रत करने से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं। इस अवसर पर भगवान शंकर का अभिषेक करने से भी लाभ होता है।

सावन पुत्रदा एकादशी व्रत पर अद्भुत संयोग

हिन्दू पंचांग के अनुसार, श्रावण पुत्रदा एकादशी तिथि पर इस बार ग्रहों के कई शुभ संयोग बन रहे हैं। यह एकादशी व्रत सावन के चौथे और आखिरी सोमवार को पड़ रहा है। इस दिन पद्म योग और रवि योग का शुभ संयोग भी बन रहा है। ऐसे अद्भुत योग के दौरान यदि पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है तो पुण्य लाभ कई गुना अधिक हो जा रहा है। सावन सोमवार और एकादशी व्रत एक ही दिन होने के कारण भगवान शिव और भगवान विष्णु की कृपा एक साथ प्राप्त होगी और संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त होगा।

सावन पुत्रदा का शुभ मुहूर्त

श्रावण पुत्रदा एकादशी तिथि का आरंभ-7 अगस्त 2022 रात 11:50 बजे सेश्रावण पुत्रदा एकादशी तिथि का समापन- 8 अगस्त 2022 रात 9 बजे तक

सावन पुत्रदा एकादशी व्रत विधि

एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा करें। साथ ही नहाकर भगवान  शंकर और लक्ष्मी की उपासना करें। शिवजी को गंगाजल से जलाभिषेक करें। इस दिन गौ माता की सेवा करें।इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।द्वादशी के दिन भगवान विष्णु को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें। पारण के पश्चात गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

इस व्रत के बारे में एक कथा सबसे अधिक प्रचलित है जिसके अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर द्वारा श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी बारे में पूछने पर भगवान कृष्ण ने कहा कि द्वापर युग की शुरूआत में माहिष्मतीपुर में राजा महीजित राज करते थे। राजा का बहुत बड़ा शासन था परंतु उनकी कोई संतान नहीं थी। जिससे वह काफी दुखी रहा करते थे। एक दिन उन्होंने अपने दरबार में अपनी इस पीड़ा को बताया तो सभी नें राजा की इस समस्या का समाधान निकालने की ठान ली।

एक साथ मिलकर सब जंगल में ऋषि लोमश की साधना करने लगे। लोमश ने उन्हें बताया कि पिछले जन्म में राजा ने भूखी-प्यासी गाय और उसके बछड़े को खाना-पानी पीने से रोका था। जिसके कारण यह सब हुआ है। ऋषि ने कहा अगर राजा इस वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पख की एकादशी तिथि को व्रत करें तो उन्हें संतान की प्राप्ति हो सकती है। राजा ने ठीक वैसा ही किया और कुछ ही महीनों बाद उनको एक संतान की प्राप्ति हुई। इसी कथा को आधार मानकर पुत्रदा एकादशी का व्रत और पूजन किया जाता है। 

टॅग्स :एकादशीसावनभगवान शिवभगवान विष्णु
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठDecember Vrat Tyohar 2025 List: गीता जयंती, खरमास, गुरु गोबिंद सिंह जयंती, दिसंबर में पड़ेंगे ये व्रत-त्योहार, देखें पूरी लिस्ट

क्रिकेटVIDEO: सूर्यकुमार यादव पत्नी के साथ महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे और दर्शन किए, देखें वीडियो

पूजा पाठKarwa Chauth 2025: सरगी करने का सही समय क्या? जानें करवा चौथ व्रत के दौरान क्या करें, क्या न करें

पूजा पाठKarwa Chauth 2025: पहली बार किसने रखा था करवा चौथ का व्रत, कैसे हुई इसकी शुरुआत? जानें यहां

पूजा पाठShardiya Navratri 2025: तन, मन और आत्मा के जागरण का पर्व, धर्म, भक्ति, शक्ति और स्वास्थ्य

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठPanchang 07 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 07 December 2025: आज इन 3 राशियों के लिए दिन रहेगा चुनौतीपूर्ण, वित्तीय नुकसान की संभावना

पूजा पाठसभ्यता-संस्कृति का संगम काशी तमिल संगमम

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 06 December 2025: आज आर्थिक पक्ष मजबूत, धन कमाने के खुलेंगे नए रास्ते, पढ़ें दैनिक राशिफल

पूजा पाठPanchang 06 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय