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Ravidas Jayanti 2024: माघ पूर्णिमा को मनाई जाएगी संत रविदास जयंती, जानिए समाज के लिए इनका योगदान

By रुस्तम राणा | Published: February 16, 2024 2:23 PM

Ravidas Jayanti 2024 Date: इस साल रविदास जयंती 24 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन संत रविदास के भक्त बड़ी संख्या में एकत्रित होकर भव्य कार्यक्रम का आयोजन करते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं।

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Ravidas Jayanti 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार संत रविदास की जयंती हर साल माघ पूर्णिमा को मनाई जाती है और इस साल रविदास जयंती 24 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन संत रविदास के भक्त बड़ी संख्या में एकत्रित होकर भव्य कार्यक्रम का आयोजन करते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं। संत गुरु रविदास 15वीं सदी के महान समाज सुधारक, दार्शनिक कवि और ईश्वर के अनुयायी थे। उन्होंने दुनिया को भेदभाव से ऊपर उठकर समाज कल्याण की सीख दी। उनके दोहो में भगवान के प्रति प्रेम स्पष्ट झलकता है। उनकी गिनती भारत के उन महान व्यक्तित्व में होती है जिन्होंने समाज सुधार का अभूतपूर्व कार्य किया। 

रविदास जी को ही संत रैदास भी कहा जाता है। महान संतों में शामिल रविदास जी का जन्म वाराणसी के पास एक गांव में हुआ था। विक्रम संवत 1376 में माघ मास की पूर्णिमा तिथि पर संत रविदास जी का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम संतोखदास (रग्घु) और माता का नाम करमा देवी (कलसा) था। इनकी पत्नी का नाम लोना और पुत्र का नाम श्रीविजयदास बताया जाता है। 

संत रविदास कृष्णभक्त मीराबाई के गुरु थे और उनके द्वारा दी गई शिक्षा से ही मीरा ने कृष्ण भक्ति का मार्ग अपनाया था। संत रविदास की भक्ति भावना और प्रतीभा को देखकर स्वामी रानानंद ने उन्हें अपने शिष्य के रूप में स्वीकार किया था। संत रविदास जी ने कई दोहे और भजन की रचना की थी, जिनमें उन्होंने ईश्वर का गुणगान किया था। साथ ही यह भी बताया था कि व्यक्ति को किन कर्मों से ईश्वर के चरणों में स्थान मिलता है। उन्होंने कई ऐसे दोहों, कविताओं, कहावतों की रचना की जो आज भी समाज को प्रेरणा देने और जागरुक करने का काम करते हैं।

मान्यता है कि बचपन से ही उनके पास अलौकिक शक्तियां थीं। बचपन में अपने दोस्त को जीवन देने, पानी पर पत्थर तैराने, कुष्ठरोगियों को ठीक करने समेत उनके चमत्कार के कई किस्से प्रचलित हैं। जैसे-जैसे समय बीतता गया, उन्होंने अपना अधिकांश समय भगवान राम और भगवान कृष्ण की पूजा में लगाना शुरू कर दिया और धार्मिक परंपराओं का पालन करते हुए, उन्होंने एक संत का दर्जा प्राप्त किया। 

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