Jaya Ekadashi 2024 Date: कब है जया एकादशी? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत पारण का समय
By रुस्तम राणा | Published: February 15, 2024 02:20 PM2024-02-15T14:20:48+5:302024-02-15T14:20:58+5:30
Jaya Ekadashi 2024 Date: इस साल जया एकादशी व्रत 20 फरवरी को रखा जाएगा। मान्यता है कि जो कोई जातक जया एकादशी व्रत को सच्चे मन और विधि-विधान से करता है उसे जीवन में सुख-शांति, धन-वैभव की प्राप्ति होती है।
Jaya Ekadashi 2024: हिन्दू धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों में माघ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन जया एकादशी व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि जो कोई जातक जया एकादशी व्रत को सच्चे मन और विधि-विधान से करता है उसे जीवन में सुख-शांति, धन-वैभव की प्राप्ति होती है। उसे मृत्यु के बाद भूत-प्रेत नहीं बनना पड़ता है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति पितृ, कुयोनि को त्याग कर स्वर्ग में चला जाता है। इस साल जया एकादशी व्रत 20 फरवरी को रखा जाएगा।
जया एकादशी 2024 व्रत शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ - 19 फरवरी 2024 को सुबह 08 बजकर 49 मिनट पर शुरू
एकादशी तिथि समाप्त - 20 फरवरी 2024 को सुबह 09 बजकर 55 मिनट पर समाप्त
व्रत पारण मुहूर्त - 21 फरवरी 2024 को सुबह 06 बजकर 55 मिनट से सुबह 09 बजकर 11 मिनट तक
जया एकादशी 2024 पूजा विधि
प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में जगें और स्नान आदि के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें।
एकादशी व्रत का संकल्प लें।
चौकी पर लाल कपड़ा डाल कर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
फूल आदि से पूजा स्थल को सजाएं और तुलसी जी को जल चढ़ाएं।
भगवान विष्णु के सामने घी के दीये जलाएं और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
इसके बाद उनकी आरती उतारें।
शाम के समय भी भगवान विष्णु की पूजा करें और फिर आरती उतारें।
पूजा के अगले दिन ब्रह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिण आदि देने के बाद पारण करें।
जया एकादशी का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को जया एकादशी के पुण्य के बारे में बताया था, जिसके अनुसार, इंद्रलोक की अप्सरा को श्राप के कारण पिशाच योनि में जन्म लेना पड़ा, उससे मुक्ति के लिए उसने जया एकादशी व्रत किया। भगवान विष्णु की कृपा से वह पिशाच योनि से मुक्त हो गई और फिर से उसे इंद्रलोक में स्थान प्राप्त हो गया। हर एकादशी की तरह जया एकादशी में भी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। ऐसा कहा गया है कि इस व्रत को करने वाले को अग्निष्टोम यज्ञ के बराबर फल मिलता है। पाप का अंत होता है और घर-परिवार में समृद्धि आती है।