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रवींद्रनाथ टैगोर जयंती: 'आईए,हम यह प्रार्थना न करें कि हमारे ऊपर खतरे न आएं, बल्कि यह प्रार्थना करें कि हम उनका निडरता से सामना करें', पढ़ें उनके अनमोल वचन

By मेघना वर्मा | Updated: May 4, 2020 15:20 IST

रवींद्रनाथ टैगोर ने भारत के 'जन गण मन' के अलावा बांग्लादेश का राष्ट्रीगान 'आमार सोनार' बांग्ला की भी रचना की है।

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ठळक मुद्देरवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 में कोलकाता में जोरासंको हवेली में हुआ था। बंगला पंचाग के अनुसार वैशाख की 25 तारीख को उनका जन्म हुआ था।

भारत के राष्ट्रगान रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर ऐसे कवि थे जिनकी रचनाएं आज भी लोगों का दिल जीत जाती है। रवींद्रनाथ टैगोर ने भारत के जन गण मन के अलावा बांग्लादेश का राष्ट्रीगान आमार सोनार बांग्ला की भी रचना की है। हर साल बंगाली समुदाय धूम-धाम से रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती को मनाता है। 

साहित्य को देश और विदेश में एक अगल स्तर की पहचान दिलाने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की 7 मई को 159वीं जयंती मनाई जाएगी। रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 में कोलकाता में जोरासंको हवेली में हुआ था। मगर बंगला पंचाग के अनुसार वैशाख की 25 तारीख को उनका जन्म हुआ था जो इस बार 8 मई को पड़ रहा है। 

रवींद्रनाथ टैगोर ना सिर्फ एक कवि थे बल्कि संगीतकार, चित्रकार और लेखकर भी थे। रवींद्रनाथ टैगोर ने जिंदगी को लेकर भी कई सारे विचार दिए हैं। आइए आपको बताते हैं उनके कुछ अनमोल विचार-

इस समय देश की स्थिती है उसे देखते हुए रवींद्रनाथ टैगोर की ये पंक्तियां बहुत याद आती हैं-

1. 'आईए हम यह प्रार्थना न करें कि हमारे ऊपर खतरे न आएं, बल्कि यह प्रार्थना करें कि हम उनका निडरता से सामना कर सकें।'

2. कोशिश ना करके सिर्फ खुद को कोसने वालों और सपना देखने वालों पर टैगोर जी की ये पंक्तियां बिल्कुल फिट बैठती हैं- 'सिर्फ खड़े होकर पानी को ताकते रहने से आप समुंद्र को पार नहीं कर सकते।' 

3. 'आश्रय के एवज में यदि आश्रितों से काम ही लिया गया, तो वह नौकरी से भी बदतर है। उससे आश्रयदान का महत्त्व ही जाता रहता है।'

4. 'हमेशा तर्क करने वाला दिमाग धार वाला वह चाकू है जो प्रयोग करने वाले के हाथ से ही खून निकाल देता है।'

5. अपने समय में रवींद्रनाथ टैगोर वो बातें बता गए जिन्हें आज भी लोग अपने जिंदगी में उतार रहे हैं। आज के मॉर्डन समय में मां-बाप और बच्चों के रिश्ते पर लिखी ये पंक्ति इसी बात का सुबूत है।- 'किसी बच्चे की शिक्षा अपने ज्ञान तक सीमित मत रखिए, क्योंकि वह किसी और समय में पैदा हुआ है।'

6. प्रेम पर भी रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने विचार रखें - 'केवल प्रेम ही वास्तविकता है, ये महज एक भावना नहीं है। यह एक परम सत्य है जो सृजन के ह्रदय में वास करता है।'

7. 'चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है।'

8. 'जिस तरह घोंसला सोती हुई चिड़िया को आश्रय देता है उसी तरह मौन तुम्हारी वाणी को आश्रय देता है।'

9. 'यदि आप सभी गलतियों के लिए दरवाजे बंद कर देंगे तो सच अपने आप बाहर रह जाएगा।'

10. 'तर्कों की झड़ी, तर्कों की धूलि और अन्धबुद्धि। ये सब आकुल व्याकुल होकर लौट जाती है, किन्तु विश्वास तो अपने अन्दर ही निवास करता है, उसे किसी प्रकार का भय नहीं है।'

टॅग्स :रवींद्रनाथ टैगोर
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