लाइव न्यूज़ :

Papmochani Ekadashi: मुनि ने एक अप्सरा के साथ गुजारे 57 साल और फिर दिया पिशाचनी होने का शाप, पढ़िए पापमोचिनी एकादशी व्रत कथा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 17, 2020 8:50 AM

Papmochani Ekadashi 2020: पापमोचिनी एकादशी की कथा के बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं अर्जुन को बताया है। यह एकादशी इस बार 19 मार्च को है।

Open in App
ठळक मुद्देPapmochani Ekadashi: पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने से नाश होते हैं सभी पापहोलिका दहन और चैत्र नवरात्रि के बीच पड़ती है ये एकादशी, चैत्र माह की ये पहली एकादशी

Papmochani Ekadashi 2020: हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को ही पापमोचिनी एकादशी कहा गया है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। यह एकादशी होलिका दहन और चैत्र नवरात्रि के बीच पड़ती है। इस बार पापमोचिनी एकादशी 19 मार्च को है।

इस एकादशी के व्रत को करने वाले के न केवल सभी पापों का नाश होता है बल्कि मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। हिंदू मान्यताओं में वैसे भी सभी एकादशी व्रतों का बहुत महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है और इस दिन उन की विशेष पूजा की जाती है। आईए, आज हम आपको पापमोचिनी एकादशी की कथा के बारे में बताते हैं।

Papmochani Ekadashi 2020: पापमोचिनी एकादशी व्रत की कथा

पापमोचिनी एकादशी की कथा स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताई है। भगवान श्रीकृष्ण पापमोचिनी एकादशी के बारे में बताते हुए अर्जुन से कहते हैं, - 'हे पार्थ। यही प्रश्न एक बार पृथ्वीपति मान्धाता ने भी लोमश ऋषि से किया था। लोमश ऋषि ने तब जो कहा था, आज मैं वहीं तुम्हे बताने जा रहा हूं। मान्धाता ने तब ऋषि से उस सरल उपाय के बारे में पूछा था जिससे सभी पापों से छुटकारा मिल जाए। इस सवाल पर ऋषि ने पापमोचिनी एकादशी की महिमा बताते हुए इस कथा को सुनाया।

पापमोचिनी एकादशी कथा के अनुसार प्राचीन समय में चित्ररथ नाम का एक रमणिक वन था। इस वन में देवराज इन्द्र गंधर्व कन्याओं तथा देवताओं सहित स्वच्छंद विहार करते थे।

एक बार च्वयवन नाम के ऋषि भी वहां तपस्या करने पहुंचे। वे ऋषि शिव उपासक थे। इस तपस्या के दौरान एक बार कामदेव ने मुनि का तप भंग करने के लिए उनके पास मंजुघोषा नाम की अप्सरा को भेजा। 

वे अप्सरा के हाव भाव, नृत्य, गीत तथा कटाक्षों पर काम मोहित हो गए। रति-क्रीडा करते हुए 57 साल व्यतीत हो गए।

एक दिन मंजुघोषा ने देवलोक जाने की आज्ञा मांगी। उसके द्वारा आज्ञा मांगने पर मुनि को अहसास हुआ उनके पूजा-पाठ आदि छूट गये। उन्हें ऐसा विचार आया कि उनको रसातल में पहुंचाने का एकमात्र कारण अप्सरा मंजुघोषा ही हैं। क्रोधित होकर उन्होंने मंजुघोषा को पिशाचनी होने का शाप दे दिया।

शाप सुनकर मंजुघोषा ने कांपते हुए ऋषि से मुक्ति का उपाय पूछा। तब मुनिश्री ने पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने को कहा। इसके बाद च्वयवन ऋषि ने भी पापमोचिनी एकादशी का व्रत किया ताकि उनके पाप भी खत्म हो सके। व्रत के प्रभाव से मंजुघोष अप्सरा पिशाचनी देह से मुक्त होकर देवलोक चली गई और ऋषि भी तप करने लगे।

टॅग्स :एकादशीभगवान विष्णुहिंदू त्योहारपापमोचिनी एकादशी
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठBasant Panchami Upay: बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को कैसे करें प्रसन्न?, पढ़ें सरस्वती वंदना का पाठ, धन-दौलत में होगी वृद्धि

पूजा पाठRatha Saptami 2024 Date: रथ सप्तमी 16 फरवरी को, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

पूजा पाठBasant Panchami 2024: जानिए कैसे हुई मां सरस्वती की उत्पत्ति, बड़ी रोचक है इसकी कथा

पूजा पाठBasant Panchami 2024: बसंत पंचमी पर इस बार जरूर करें ये महाउपाय, मां सरस्वती होंगी प्रसन्न

पूजा पाठHolashtak 2024: कब से शुरू हो रहे हैं होलाष्टक? शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यों पर लगेगी रोक

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठब्लॉग: सौंदर्य और समग्रता का प्रतीक है बसंत

पूजा पाठLord Ganesh Ekadant: कैसे टूटा गणेश का एक दांत, क्यों कहे जाते हैं 'एकदंत', जानिए पूरी कथा

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 14 February: आज कन्या राशि के रहेंगे ऊर्जावान, वृषभ राशिवालों का होगा तनाव से सामना, पढ़ें दैनिक राशिफल

पूजा पाठआज का पंचांग 14 फरवरी 2024: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठBasant Panchami 2024: इन 5 मंत्रों से करें मां सरस्वती की पूजा, करियर से जुड़ी कोई भी बाधा होगी दूर