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नवरात्रि: अष्टमी और महानवमी एक ही दिन, जानिए कन्या पूजन में क्यों जरूरी है एक लड़का

By मेघना वर्मा | Published: October 16, 2018 2:52 PM

Shardiya Navratri Maha navami, Ashtami kanya pujan Date time, Significance, Pujan vidhi: नवरात्रि के महीने में कन्या पूजन का काफी महत्व होता है। लोग उपवास रहे ना रहें मगर कन्या पूजन अवश्य करते हैं।

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हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र त्योहार नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। आदि शक्ति दुर्गा की कृपा पानें के लिए ज्यादातर लोग नवरात्रि पर 9 दिनों का व्रत रखते हैं। वहीं लोग नवरात्रि के 9 दिनों तक मां की पूजा करते हैं और अष्टमी या महानवमी के दिन कंजक खिलाते हैं। चूंकी इस बार एक तिथी कम हो रही है  इसलिए महानवमी का पर्व इस बार 18 अक्टूबर को पड़ रही है मगर अभी भी बहुत से लोगों में नवमी और अष्टमी की तिथी को लेकर दुविधा है। 

उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक पंडित दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली ने बताया कि इस बार  महाष्टमी का व्रत 17 अक्टूबर दिन बुधवार को है तथा महानवमी 18 अक्टूबर दिन गुरुवार को होगा। नवमी तिथि का मान 18 अक्टूबर को दिन में 2 बजकर 31 मिनट तक ही है इसीलिए नौ दिन से चले आ रहे व्रत ,पूजन एवं श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ से सम्बंधित हवन का कार्य नवमी तिथि में ही किया जाएगा। 

सप्तमी तिथी से शुरू हो जाता है कन्या पूजन

नवरात्रि के महीने में कन्या पूजन का काफी महत्व होता है। लोग उपवास रहे ना रहें मगर कन्या पूजन अवश्य करते हैं। घर पर छोटी कन्याओं को बुलाकर उन्हें मान-सम्मान से कंजक खिलाए जाते हैं। नवरात्रि की सप्तमी तिथी से कन्या पूजन शुरू हो जाते हैं। कुछ लोग अष्टमी और कुछ लोग महानवमी के दिन भी कन्याओं का पूजन करते हैं जिसमें तरह-तरह के पकवान बनाकर कन्याओं को खिलाया जाता है।

कन्या पूजन में लड़के जरूरी क्यों

आपको बता दें लंगूर को हनुमान का रूप माना जाता है। जिस तरह वैष्णों देवी के दर्शन के बाद भैरव बाबा के दर्शन जरूरी हैं उसी तरह कन्या पूजन के बाद लंगूर को कन्याओं के साथ पूजना सफल माना जाता है। इसलिए ही कन्याओं के साथ एक लड़के को कंजक खिलाना जरूरी होता है। 

ऐसे करें कन्या पूजन

* कन्याओं के घर आने के बाद पूरे परिवार के साथ उनका स्वागत करें। * सभी कन्याओं के पैर साफ जल से धुलाएं और स-सम्मान के साथ उनको आसन पर बिठाएं। * इसके बाद कन्याओं के माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाएं। * मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छानुसार भोजन कराएं। * भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा या उपहार दें। 

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