शारदीय नवरात्रि 2018: प्रथम दिन इस मंत्र से करें देवी शैलपुत्री को प्रसन्न, पूजा में पहनें पीले वस्त्र

By गुलनीत कौर | Updated: October 9, 2018 17:34 IST2018-10-09T17:34:43+5:302018-10-09T17:34:43+5:30

मां शैलपुत्री का व्रत करने से कुँवारी कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है।

Navratri: Maa Shailputri katha puja vidhi mantra and vrat benefits | शारदीय नवरात्रि 2018: प्रथम दिन इस मंत्र से करें देवी शैलपुत्री को प्रसन्न, पूजा में पहनें पीले वस्त्र

शारदीय नवरात्रि 2018: प्रथम दिन इस मंत्र से करें देवी शैलपुत्री को प्रसन्न, पूजा में पहनें पीले वस्त्र

10 अक्टूबर से 18 अक्टूबर, 2018 तक हिन्दुओं का महापर्व शारदीय नवरात्रि मनाया जाएगा। यह पर्व दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है और इस दौरान सभी रूपों की पूजा और व्रत किया जाता है। प्रथम दिन यानी 10 अक्टूबर को आदि शक्ति के प्रथम स्वरूप 'मां शैलपुत्री' की पूजा की जाएगी। आइए जानते हैं देवी से जुड़ी पौराणिक कथा, पूजा विधि एवं जानें किस मंत्र के जाप से देवी प्रसन्न होती हैं। 

प्रथम देवी शैलपुत्री

नवदुर्गा के नौ स्वरूपों में से प्रथम स्वरूप है देवी शैलपुत्री। इन्हें 'हिमालय की पुत्री' के नाम से भी जाना जाता है. देवी का वाहन वृषभ है, इसलिए इन्हें 'वृषारूढ़ा' के नाम से भी जाना जाता है। इनके एक हाथ में त्रिशूल है और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प सुशोभित है।

देवी शैलपुत्री व्रत कथा

कहते हैं कि एक बार राजा प्रजापति ने यज्ञ आयोजित किया, सभी देवी-देवताओं को उसमें आमंत्रित किया लेकिन भगवान शिव को बुलावा नहीं भेजा। भगवान शिव की पत्नी सती इस यग्य में जानें के लिए व्याकुल हो रही थीं लेकिन शिवजी ने उन्हें समझाया कि उन्हें यज्ञ के लिए आमन्त्रित नहीं किया गया है, ऐसे में उनका वहां जाना सही नहीं है।

किन्तु सती के बहुत आग्रह करने पर भगवान शिव ने उन्हें अकेले ही वहां जाने के लिए कह दिया। वहां पहुंचने पर सती को माहौल कुछ ठीक नहीं लगा। ना माता-पिता ने सही से बात की और बहनों की बातों में भी व्यंग्य और उपहास के भाव थे।

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दक्ष ने भगवान शिव के बारे में कटु वचन भी कहे जिससे क्रोधित होकर यज्ञ की अग्नि से ही सती ने खुद को जलाकर भस्म कर लिया। कहा जाता है कि देवी शैलपुत्री के रूप में ही सती को अगले जन्म की प्राप्ती हुई थी। शैलपुत्री भी भगवान शिव की पत्नी थीं। पुराणों में इनका महत्व और शक्ति अनंत है।

देवी शैलपुत्री का व्रत करने के लाभ

- कुँवारी कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है
- वैवाहिक जीवन में सुख आता है
- देवी की अराधना से साधक का मूलाधार चक्र जागृत होता है
- विभिन्न सिद्धियों की भी प्राप्ति होती है

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देवी से जुड़ा रंग एवं मंत्र

नवरात्रि के पहले दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करें, आदि शक्ति, मां दुर्गा या भगवती की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठकर निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जप कर उनकी अराधना करें: 

वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌ । 
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥

Web Title: Navratri: Maa Shailputri katha puja vidhi mantra and vrat benefits

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