नवरात्रि 2020: इन देवी धामों पर मिलती है मां अम्बे की सीधी कृपा, मात्र एक बार के दर्शन से पूरी होती है मनोकामना
नवरात्रि 2020: इन देवी धामों पर मिलती है मां अम्बे की सीधी कृपा, मात्र एक बार के दर्शन से पूरी होती है मनोकामना
By गुणातीत ओझा | Updated: October 17, 2020 17:06 IST2020-10-17T17:06:10+5:302020-10-17T17:06:55+5:30
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भारत एक ऐसा देश है जहां स्त्रियों को देवी की तरह पूजा जाता है। हिन्दू धर्म के मतानुसार सृष्टि का सृजन आदि शक्ति ने किया है। आदि शक्ति को देवताओं से भी अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली माना जाता है।
navratri 2020
Highlightsभारत एक ऐसा देश है जहां स्त्रियों को देवी की तरह पूजा जाता है।आदि शक्ति को देवताओं से भी अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली माना जाता है।
Navratri 2020: भारत एक ऐसा देश है जहां स्त्रियों को देवी की तरह पूजा जाता है। हिन्दू धर्म के मतानुसार सृष्टि का सृजन आदि शक्ति ने किया है। आदि शक्ति को देवताओं से भी अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली माना जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार देवी की उपासना से हर रोग, शोक, शत्रु, भय दूर हो जाता है। इसलिए भक्त देवी को प्रसन्न करने की प्रयास करते हैं और आदि शक्ति और उनके स्वरूपों की पूजा-अर्चना करने के उत्तम समय मना जाता है नवरात्रि का पर्व। इस दौरान देवी दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस वर्ष नवरात्रि 17 अक्टूबर से प्रारंभ हो चुकी है। इस दौरान देवी की पूजा अर्चना के अलावा भक्त उनके पवित्र धामों के दर्शन भी करते हैं ताकि देवी की कृपा प्राप्त कर सकें। आज हम आपको ऐसे ही कुछ देवी धामों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आप इस नवरात्रि मां दुर्गा या अम्बे की पूजा करके अपना जीवन सफल बना सकते हैं।
1. वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू
हिन्दू धर्म में वैष्णो देवी धाम एक अहम धाम माना जाता है। यहां देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने आते हैं। जम्मू में स्थित इस देवी धाम पर साल भर भक्तों का मेला लगा रहता है। जमीन से 5000 फिट की उंचाई पर मौजूद इस धाम के दर्शन के लिए खास नवरात्री पर यहां भक्त आते हैं। पहाड़ पर 13 किलोमीटर का पैदल रास्ता पार करके माता वैष्णों के दर्शन को जाया जाता है। जो भक्त इस रास्ते को पैदल पार नहीं कर पाते वो खच्चर या पालकी से यहां पंहुच सकते हैं।
Vaishno Devi
कैसे पहुंचे माता वैष्णो धाम
माता वैष्णो देवी धाम की चढ़ाई कटरा से शुरू होती है। अगर आप रेल से यात्रा कर रहे हों तो जम्मू शहर अच्छी तरह बड़े नगरों से रेल मार्ग के द्वारा जुड़ा हुआ है, ट्रेन से यहां पहुंचकर आप लोकल साधन से कटरा पहुंच सकते हैं।
2. चामुंडा देवी, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल की हसीं वादियों में पालमपुर के पास बानेर नदी किनारे स्थित इस मंदिर में देवी लाल रंग के कपड़ों में मौजूद हैं। इस देवी धाम को नंदिकेश्वर नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है की चामुंडा देवी मंदिर शिव और शक्ति का स्वरुप हैं।
Chamunda Devi
माना जाता है कि लगभग 400 साल पहले एक राजा और ब्राह्मण पुजारी ने मंदिर को एक उचित स्थान पर मंदिर बनवाने की अनुमति मांगी थी। इसके बाद उनके सपने में देवी मां ने दर्शन देकर एक जगह खोदाई के निर्देश दिए। इस मंदिर को उसी जगह बनाया गया है जहां खोदाई में मां चामुंडा की प्रतिमा मिली थी।
Chamunda Devi
3. ज्वाला देवी मंदिर, कागड़ा
हिमाचल के कांगड़ा घाटी से 30 किलोमीटर दूरी पर मौजूद ज्वालादेवी का ये मंदिर आज भी लोगों के लिए अचम्भे से कम नहीं है। यह मंदिर माता दुर्गा के ज्वालामुखी रूप को समर्पित है। जहां लगातार जलती हुई नौ ज्योतियां मौजूद हैं। इन ज्योतियों या दीपकों को जलाने के लिए किसी भी तरह की घी या तेल का इस्तेमाल नहीं किया जाता।
Jwala devi
इन नौ ज्योतियों को महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, अंजीदेवी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का प्राथमिक निमार्ण राजा भूमि चंद के करवाया था। बाद में महाराजा रणजीत सिंह और राजा संसारचंद ने 1835 में इस मंदिर का पूर्ण निमार्ण कराया।
Jwala devi
4. मनसा देवी, हरिद्वार
हरिद्वार में शिवालिक की पहाड़ियों पर स्थित इस मनसा देवी मंदिर में जाकर आप देवी दर्शन के साथ यहां के अच्छे मौसम का भी लुत्फ़ उठा सकते हैं। माना जाता है कि मनसा देवी मंदिर में भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती है। यह मंदिर हिंदू देवी मनसा देवी को समर्पित है जो ऋषी कश्यप के दिमाग की उपज है। कश्यप ऋषी प्राचीन वैदिक समय में एक महान ऋषी थे। मनसा देवी, सापों के राजा नाग वासुकी की पत्नी हैं। इस मंदिर में भ्रमण के दौरान भक्त एक पवित्र वृक्ष के चारों ओर एक धागा बांधते हैं एवं भगवान से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं। मनोकामना पूर्ण होने के बाद वृक्ष से इस धागे को खोलना आवश्यक है। पर्यटक इस मंदिर तक केबल कार द्वारा पहुंच सकते हैं। केबल कार यहां 'देवी उड़नखटोला' के नाम से प्रसिद्ध है।
Mansa Devi
5. देवीपाटन मंदिर, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के गोंडा से 70 किलोमीटर दूर मौजूद इस मंदिर के बारे में कई पौराणिक मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि आग में समाधि लेने के बाद देवी सति का दाहिना हाथ इसी जगह पर आकर गिरा था। जिसके बाद से यह जगह मशहूर हो गयी। इस मंदिर का निर्माण महाराजा विक्रमादित्य के समय हुआ था। देवीपाटन की देवी का एक दूसरा भी प्रसिद्ध नाम तथा इतिवृत्त पातालेश्वरी देवी के रूप में प्राप्त होता है। कहते हैं कि अयोध्या की महारानी सीताजी लोकापवाद से खिन्न होकर अंततः यहीं पर धरती माता की गोद में बैठकर पाताल में समा गईं थीं। इसी पाताल-गामी सुरंग के ऊपर देवीपाटन-पातालेश्वरी देवी का मंदिर बना हुआ है।
Patan Devi Temple
6. विन्ध्याचल, उत्तर प्रदेश
जैसा कि नाम से प्रतीत होता है देवी विन्ध्यवासिनी उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जिले के विन्ध्याचल स्थान की संरक्षक मानी जाती हैं। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार वे देवी दुर्गा की अवतार हैं। उनके आसान को हिन्दू भक्तों द्वारा सबसे पवित्र शक्तिपीठ माना जाता है। उन्हें प्रेम और करूणा का प्रतीक माना जाता है।
Vindhyachal Temple
विन्ध्याचल देवी मन्दिर एक विशाल संरचना है जो विन्ध्याचल शहर के व्यस्त बाजार के बीचो-बीच स्थित है। इस तीर्थस्थल में देवी की प्रतिमा एक शेर पर स्थित है। मर्ति को काले पत्थर से तराशा गया है। मन्दिर परिसर में कई शिव लिंगों के अलावा धामध्वजा देवी, बारह भुजा देवी और महाकाली के भी मन्दिर स्थित हैं।
Web Title: Navratri 2020: Maa durga direct blessings on these Goddess shrines only one-time visit will change your life