लाइव न्यूज़ :

हवन में हर मंत्र के बाद स्वाहा कहने पर ही अग्नि में क्यों डाली जाती है सामग्री, आखिर क्या है इसकी वजह?

By विनीत कुमार | Updated: March 4, 2020 14:39 IST

श्रीमद्भागवत तथा शिव पुराण में स्वाहा से संबंधित वर्णन आए हैं। स्वाहा का एक मतलब बताया गया है सही रीति से पहुंचना। दूसरे शब्दों में कहें तो इसका मतलब भक्त की ओर से किसी अर्पण का अपने देव तक पहुंचना है।

Open in App
ठळक मुद्देहर यज्ञ या हवन के दौरान अग्नि में सामग्री अर्पित करने से पहले कहा जाता है स्वाहामंत्रों के उच्चारण के बाद आखिर में स्वाहा कहने की है परंपरा, इसके पीछे है एक पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में 'स्वाहा' शब्द का बहुत महत्व है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या हवन में मंत्र पाठ करते हुए स्वाहा कहने के बाद अग्नि में समाग्री अर्पित करने की परंपरा है। ऐसा कहते हैं कि स्वाहा कहे जाने से पहले हमे हाथ में रखी हवन की सामग्री अग्नि में नहीं डालनी चाहिए।

वैसे, क्या आप जानते हैं कि ऐसा आखिर क्यों किया जाता है। आखिर क्यों हर हवन में स्वाहा के उच्चारण के बाद ही सामग्री को अग्नि को अर्पित किया जाना चाहिए। इसके पीछे एक दिलचस्प पौराणिक कथा है। आईए जानते हैं।

स्वाहा का मतलब और इससे जुड़ी कथा

स्वाहा का मतलब होता है, सही रीति से पहुंचना। एक पौराणिक कथा के अनुसार सृष्टि की शुरुआत में एक बार देवों के सामने भोजन का संकट आ खड़ा हुआ। उन्होंने इस समस्या के लिए ब्रह्माजी से संपर्क किया।

ब्रह्माजी ने इसका निदान निकाला और धरती पर ब्राह्मणों द्वारा अर्पित किये जाने वाले 'हविष्य' को देवताओं तक सीधे पहुंचाने के बारे में सोचा। दरअसल, ब्राह्मणों की ओर से तब अर्पित कोई भी चीज अग्नि में जल जाती और उसका कोई उपयोग देवता भी नहीं कर सकते थे।

ब्रह्मा जी ने इस समस्या के हल के लिए एक देवी का आह्वान किया। उन्हें ही स्वाहा कहा गया। ब्रह्माजी ने उनसे अग्नि के साथ रहने और देवताओं के नाम अर्पित किये जाने वाली सामग्रियों को बिना जले देवताओं तक पहुंचाने का आग्रह किया। इसलिए देवताओं को कुछ भी अर्पित करने से पहले स्वाहा का उच्चारण किया जाता है।

श्रीमद्भागवत तथा शिव पुराण में स्वाहा से संबंधित वर्णन आए हैं। एक कथा के अनुसार स्वाहा दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं। इनका विवाह अग्निदेव के साथ किया गया था। अग्नि देव अपनी पत्नी स्वाहा के माध्यम से ही हविष्य ग्रहण करते हैं। उनके माध्यम से यही हविष्य आह्वान किए गए देवता को प्राप्त होता है। 

एक कथा ये भी है कि स्वाहा प्रकृति की एक कला थी जिनका विवाह अग्नि के साथ देवताओं के आग्रह पर किया गया। भगवान कृष्ण ने स्वयं स्वाहा को ये वरदान दिया था कि केवल उन्हीं के माध्यम से अग्नि को अर्पित चीजें भक्त द्वारा उनके पसंदीदा भगवान तक पहुंच सकेंगी।

टॅग्स :हिंदू त्योहारभगवान कृष्ण
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठMargashirsha Purnima 2025 Date: कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा? जानिए तिथि, दान- स्नान का शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय और महत्व

पूजा पाठBhagwat Geeta: गीता की विचारधारा सदियों से मानवीय चिंतन को प्रभावित करती रही है?

पूजा पाठDecember Vrat Tyohar 2025 List: गीता जयंती, खरमास, गुरु गोबिंद सिंह जयंती, दिसंबर में पड़ेंगे ये व्रत-त्योहार, देखें पूरी लिस्ट

पूजा पाठठाकुर जी की कृपा के बिना श्रीमद भागवत का श्रावण संभव नहीं: चारु लाडली

पूजा पाठमथुरा के बांके बिहारी मंदिर में बड़ा बदलाव, जगमोहन में प्रवेश और दर्शन पर रोक

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठगोवा अग्निकांड: कौन हैं सौरभ लूथरा? अरपोरा के बर्च नाइट क्लब के संस्थापक आग में 25 लोगों की मौत के बाद अब पुलिस जांच के दायरे में

पूजा पाठPanchang 07 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 07 December 2025: आज इन 3 राशियों के लिए दिन रहेगा चुनौतीपूर्ण, वित्तीय नुकसान की संभावना

पूजा पाठसभ्यता-संस्कृति का संगम काशी तमिल संगमम

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 06 December 2025: आज आर्थिक पक्ष मजबूत, धन कमाने के खुलेंगे नए रास्ते, पढ़ें दैनिक राशिफल