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कैलाश मानसरोवर: अब अपने देश में रहकर ही कर सकते हैं कैलाश पर्वत के दुर्लभ दर्शन, जानिए कैसे

By मेघना वर्मा | Updated: May 15, 2020 09:37 IST

महादेव को संहार का देवता माना जाता है। बड़ी संख्या में लोग हर साल कैलाश मानसरोवर के दर्शन के लिए जाते हैं।

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ठळक मुद्देरक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पिथौरगढ़ से लिपूलेख तक जाने वाली सड़क का उद्धघाटन किया।लिपूलेख से 3 किलोमीट पहले ही कैलाश पर्वत के दुर्लभ दर्शन कर सकते हैं।

हिन्दू धर्म में कैलाश पर्वत का अत्यधिक महत्व बताया गया है। मान्यता है कि यही भगवान शिव का निवास है। इस पवित्र स्थान पर हर साल श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। कैलाश पर्वत की यात्रा कुछ सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक मानी जाती है मगर अब कैलाश पर्वत के दर्शन श्रद्धालुओं के लिए आसान होंगे। 

बता दें आईटीबीपी में डीआईजी एपीएस निंबाडिया ने बताया कि जो लोग कैलाश नहीं जा सकते वे मुख्य लिपूलेख से 3 किलोमीट पहले ही कैलाश पर्वत के दुर्लभ दर्शन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि जो श्रद्धालु वहां तक नहीं पहुंच सकते उनके लिए कैलाश पर्वत के दर्शन करने का ये अच्छा मौका है। 

क्या है लिपूलेख

बता दें रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पिथौरगढ़ से लिपूलेख तक जाने वाली सड़क का उद्धघाटन किया। जिसके द्वारा एक या दो दिन में ही श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर की यात्रा पूरी कर सकेंगे। पहले इस यात्रा में पूरे छह से सात दिन लग जाया करते थे। वहीं नेपाल ने इसके विरोध में उतर आया। नेपाल ने 1815 में अंग्रेजी शासकों के साथ हुई नेपाल के राजा की संधि का हवाला देते हुए सीमा पर विवाद उठाया। भारत और नेपाल मिलकर इस समस्या का समाधान निकालने का प्रयास कर रहे हैं। 

डीआईजी ने एक मीडिया संस्थान को बताया कि उत्तराखंड सरकार ने यह प्रस्ताव दिया गया था कि मुख्य लिपुलेख से तीन किलोमीटर पहले ओल्ड लिपुलेख से कैलाश पर्वत दिखाई देता है। जो लोग कैलाश पर्वत की यात्रा पर नहीं जा पा रहे वो यहीं से कैलाश पर्वत के दर्शन कर सकते हैं। 

बता दें हिंदू धर्म में भगवान शिव की महीमा अपरंपार बताई जाती है। महादेव को संहार का देवता माना जाता है। बड़ी संख्या में लोग हर साल कैलाश मानसरोवर के दर्शन के लिए जाते हैं। जहां उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। कई बार वीजा या पासपोर्ट की दिक्कत की वजह से भी लोगों की इच्छा पूरी नहीं हो पाती।

टॅग्स :कैलाश मानसरोवरभगवान शिवपूजा पाठराजनाथ सिंह
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