पटना स्थित महावीर मंदिर की आमदनी पर अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी के महंत प्रेम दास की नजर, विवाद गहराया

By एस पी सिन्हा | Updated: August 19, 2021 21:00 IST2021-08-19T20:59:41+5:302021-08-19T21:00:38+5:30

पटना के महावीर मन्दिर में अपने पसंदीदा महंत को नियुक्त कर दिया है. जबकि पहले से यहां का कार्यभार श्री महावीर स्थान न्यास समिति के सचिव आचार्य किशोर कुणाल की देखरेख में किया जाता था.

Mahant Prem Das Hanuman Garhi in Ayodhya income of Mahavir Mandir in Patna controversy deepens | पटना स्थित महावीर मंदिर की आमदनी पर अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी के महंत प्रेम दास की नजर, विवाद गहराया

महावीर मन्दिर में किसी साधु को बैठा कर हनुमान गढ़ी का गद्दीनशीं महंत घोषित कर दिया जाए.

Highlightsहनुमान गढ़ी के गद्दीनशीन महंत प्रेम दास के इस कदम से अब नया विवाद उठ खड़ा हुआ है.अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर के गद्दीनशीन प्रेमदास महाराज ने महेंद्र दास को पटना के महावीर मंदिर का महंत नियुक्त कर दिया है. पटना में न तो कोई महन्त होते हैं और न ही अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी से इस मन्दिर के प्रबंधन का कोई आधिकारिक संबंध है.

पटनाः बिहार की राजधानी पटना स्थित महावीर मंन्दिर में होने वाली आमदनी पर अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी के गद्दीनशीन महंत प्रेम दास की नजर लग गई है.

 

शायद यही कारण है कि उन्होंने पटना के महावीर मन्दिर में अपने पसंदीदा महंत को नियुक्त कर दिया है. जबकि पहले से यहां का कार्यभार श्री महावीर स्थान न्यास समिति के सचिव आचार्य किशोर कुणाल की देखरेख में किया जाता था. हनुमान गढ़ी के गद्दीनशीन महंत प्रेम दास के इस कदम से अब नया विवाद उठ खड़ा हुआ है.

बुधवार को अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर के गद्दीनशीन प्रेमदास महाराज ने महेंद्र दास को पटना के महावीर मंदिर का महंत नियुक्त कर दिया है. इस संबंध में पूछे जाने पर आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि कुछ समाचार माध्यमों से उन्हें जानकारी मिली है कि हनुमान गढ़ी के गद्दीनशीन महंत ने अयोध्या में रामानन्दी निर्वाणी अखाड़ा के पंचों की कथित रूप से कोई बैठक कर किसी व्यक्ति को महावीर मन्दिर का महंत घोषित कर दिया है. ये गतिविधियां पूरी तरह से निराधार और भ्रम फैलाने के उद्देश्य से की गई प्रतीत हो रही हैं.

महावीर मन्दिर, पटना में न तो कोई महन्त होते हैं और न ही अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी से इस मन्दिर के प्रबंधन का कोई आधिकारिक संबंध है. उन्होंने कहा कि हनुमान गढ़ी के गद्दीनशीन महंत की इस गतिविधि का इतना ही महत्व है जैसे कि महावीर मन्दिर में किसी साधु को बैठा कर हनुमान गढ़ी का गद्दीनशीं महंत घोषित कर दिया जाए.

अभी तो हनुमान गढ़ी के गद्दीनशीं महंत की ओर से बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड में दिए गए आवेदन पर कोई सुनवाई ही नहीं हुई है. यदि बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड या किसी सक्षम न्यायालय द्वारा कोई आदेश पारित होता है तो और बात है. महावीर मंदिर पटना के प्रबंधन और संचालन के लिए श्री महावीर स्थान न्यास समिति वैध रूप में कार्यरत है.  

आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि हनुमान गढ़ी के पास कोई ऐसा दस्तावेज नहीं है जिससे उनका अधिकार बनता है. उन्होंने बताया कि 1948 के पटना हाई कोर्ट के फैसले में महावीर मन्दिर का पूरा इतिहास लिखा हुआ है. इसमें कहीं भी हनुमान गढ़ी की चर्चा नहीं है. 1987 में जब धार्मिक न्यास बोर्ड द्वारा महावीर मन्दिर के संचालन के लिए स्कीम बनी, उसमें मन्दिर में कहीं भी हनुमानगढी या महन्ती की चर्चा नहीं है.

उस स्कीम के खिलाफ गोपाल दास जी पटना हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गये. दोनों शीर्ष अदालतों से वर्तमान ट्रस्ट की सम्पुष्टि हुई और उसीके अनुसार ट्रस्ट काम कर रहा है. हनुमानगढी के गद्दीनशीं प्रेम दास सुप्रीम कोर्ट के ऊपर नहीं हैं और न ही उनके बयान से हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट सकता है.

यहां उल्लेखनीय है कि प्रेमदास ने कहा है कि बाबा महेंद्र दास पहले महावीर मंदिर के महंत रह चुके हैं. उनका दावा है कि उन्हें हनुमान गढ़ी के पंचों ने महावीर मंदिर का महंत बनाया है. वे अब वहां की देखरेख करेंगे. अखाडे की परंपरा के अनुसार, प्रधान पुजारी सूर्यवंशी महाराज जिन्हें किशोर कुणाल ने हटा दिया था, उन्हें फिर वहीं बैठया गया है.

यहां बता दें कि हनुमान गढ़ी की आय सार्वजनिक करने की मांग आचार्य किशोर कुणाल ने की थी. कुणाल ने बताया कि महावीर मंदिर में जब हनुमान गढ़ी के पुजारी थे, तब अधिकतम आय 11,000 रुपये सालाना थी. अभी आय 18 करोड़ रुपये है. करीब 150 करोड़ रुपये का बजट बोर्ड को प्रस्तुत किया जाता है.

प्रतिवर्ष मंदिर के आय-व्यय को अखबारों के माध्यम से सार्वजनिक किया जाता है. पिछले 10 साल में करीब 5 करोड़ रुपये बोर्ड को शुल्क के रूप में दिया जा चुका है. आचार्य कुणाल ने कहा था कि हनुमानगढी भी क्या अपना आय-व्यय सार्वजनिक करती है? उन्होंने गद्दीनशीन से अनुरोध किया था कि पिछले 10 वर्षों का आय-व्यय सार्वजनिक करें.

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