लाइव न्यूज़ :

क्या है बेलूर मठ का इतिहास, स्वामी विवेकानंद ने गुजारे थे यहां अंतिम दिन

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 13, 2020 17:48 IST

बेलूर मठ तैयार होने से पहले मां सारदा देवी यहां कई बार ठहरी थी. अपनी नयी जगह पर आने से पहले रामकृष्ण मठ 13 फरवरी 1898 से 1 जनवरी 1899 तक इसी बिल्डिंग में था.

Open in App
ठळक मुद्देबेलूर मठ तैयार होने से पहले मां सारदा देवी यहां कई बार ठहरी थी. मंदिर में शाम के समय आरती शुरू होने से पहले एक घंटी बजायी जाती है ताकि लोग आरती के वक्त रामकृष्ण मंदिर के वक्त कहीं और ना जाये.

 

बेलूर मठ हावड़ा जिले में गंगा के पश्चिमी किनारे पर चालीस एकड़ में फैला हुआ है. अलग अलग धर्मों को मानने वाले लोगों लिए एक महान तीर्थ है बेलूर मठ. जिन लोगों की किसी भी धर्म कोई रुचि नहीं है वो भी आध्यात्मि शांति के लिए बेलूर मठ आते हैं. बेलूर मठ में स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन के अंतिम दिन गुजारे थे. विवेकानंद इसी मठ भूमि में 1898 में श्री रामकृष्णदेव परमहंस के पवित्र अस्थि कलश अपने कंधों पर उठा कर लाये थे और पूजा वेदी स्थापित की थी.

गंगा तट पर बने बेलूर मठ परिससर में श्री रामकृष्ण देव, मां सारदा देवी और विवेकानंद के मंदिर हैं. जहां उनकी अस्थियां रखी गयी है. यहीं स्वामी विवेकानंद और श्री रामकृष्ण देव के अन्य शिष्य भी यहीं रहे थे. मां सारदा देवी भी खुद यहां कई बार आयीं थी. जिस कमरे में स्वामी विवेकानंद ने महासमाधि ली थी वो कमरा आज यहां आने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र है. रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय भी यहीं है. एक विश्वविद्यालय, एक डिग्री कॉलेज, एक पॉलीटेक्निक कई और एजुकेशनल इंस्टीट्यूट बेलूर मठ के पास ही बने कैंपस में चलते है.

थोड़ी जानकारी स्वामी विवेकानंद के बारे में भी. संन्यास लेने से पहले स्वामी विवेकानंद का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था. उनका जन्म कोलकाता के समृद्ध परिवार में 12 जनवरी 1863 को हुआ. नरेंद्रनाथ 16 साल की उम्र में कॉलेज के दौरान रामकृष्ण परमहंस के संपर्क में आये.

श्री रामकृष्ण की महासमाधि के बाद विवेकानंद ने संन्यासी के तौर पर पूरे देश की यात्राएं की. वो 1893 में अमेरिका चले गये और वहां 11 सितंबर से 27 सितंबर तक शिकागो धर्म महा सभा में अपना मशहूर भाषण दिया. अमेरिका और इंग्लैंड में साढे़ तीन साल तक भारत के प्राचीन आधात्मिक ज्ञान का प्रचार प्रसार करने के बाद 1897 में भारत वापस आये. भारत वापस आते ही विवेकांनद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की. 4 जुलाई 1902 को स्वामी विवेकानंद का निधन यहीं बेलूर मठ में हो गया.

रामकृष्ण मठ की शुरुआत श्री रामकृष्ण के संन्यासी शिष्यों ने 1886 में वराहनगर कोलकाता के एक पुराने घर से की थी. 1891 में मठ को आलमबाजार के एक दूसरे मकान में शिफ्ट किया गया. रामकृष्ण मिशन रामकृष्ण मठ के ही एक विशेष सेवा विभाग के तौर पर शुरू हुआ था. रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन का उद्देश्य है "आत्मनो मोक्षार्थ जगद्धिताय च" जिसका अर्थ है अपनी मुक्ति और दुनिया के कल्याण के लिए साधन. भारत और पूरी दुनिया में इस समय मठ और मिशन की कुल 194 शाखायें हैं. मठ और मिशन कुल 14 अस्पताल 116 क्लिनिक और 57 मोबाइल क्लिनिक चलाता है.

 बेलूर मठ परिसर में कुल आठ मंदिर है. पहला है श्री रामकृष्ण मंदिर जिसे 14 जनवरी 1938 में बनवाया गया. इस मंदिर में श्री रामकृष्ण का पवित्र अवशेष रखा गया है. दूसरा है  पुराना मंदिर जो कि रामकृष्ष देव के मुख्यमंदिर के उत्तर-पूर्व में है ये वही पुराना मंदिर है जहां जनवरी 1891 में नये मंदिर के बनने तक श्री रामकृष्ण देव की रोज पूजा होती थी.स्वामी विवेकानंद और उनके गुरू भाई यहां रोज पूजा, ध्यान किया करते थे. तीसरा है, स्वामी विवेकानंद कक्ष, ये पुराने मंदिर के दक्षिण-पूर्व में स्थित है. इसी कमरे में स्वामी विवेका नंद रहते थे. यहीं 4 जुलाई 1902 स्वामी विवेकानंद महासमाधि ने लीन हो गये .  

चौथा है स्वामी ब्रह्मानंद मंदिर जिनका स्थान श्री रामकृष्णदेव के सोलह शिष्यों में स्वामी विवेकानंद के ठीक बाद था. वो मठ और मिशन पहले अध्यक्ष थे. जिस जगह पर स्वामी ब्रहमानंद का अंतिम संस्कार हुआ वहीं पर ये मंदिर है. मंदिर का निर्माण 1924 में पूरा हुआ था. पांचवा है मां सारदा मंदिर -मां सारदा का मंदिर गंगा के स्नान घाट के पास मौजूद है. इस मंदिर का निर्माण 21 दिसंबर 1921 को पूरा हुआ था. जहां मां सारदा का देवी का अंतिम संस्कार हुआ था वहीं पर मंदिर बना है . मां सारदा को गंगा से बहुत लगाव था इस लिए मंदिर का द्वार गंगा की ओर है.

छठा है स्वामी विवेकानंद मंदिर, इस मंदिर का निर्माण 28 जनवरी 1924 को पूरा हुआ .ये मंदिर दो मंजिला है, ऊपरी मंजिल में संगमरमर से बना ओम का प्रतीक है जो कि बांग्ला में लिखा गया है. ये मंदिर ठीक उसी जगह पर बना है जहां स्वामी विवेकानंद का अंतिम संस्कार हुआ था. मंदिर के बगल में एक बेल का पेड़ है जिसके नीचे स्वामी विवेकानंद अक्सर बैठा करते थे.

सातवीं है समाधी पीठ, इस जगह पर श्री रामकृष्ण देव के सोलह सन्यासी शिष्यों में से 7 शिष्यों का अंतिम संस्कार हुआ था. उन सभी के नाम संगरमर पर खुदे हुए हैं. आठवां है पुराना मठ. ये गंगा के किनारे बेलूर मठ के दक्षिण में बना है. पहले ये जगह नीलांबर मुखर्जी नाम के एक आदमी का था जिस वजह से इसे नीलांबर मुखर्जी गार्डन हाउस के नाम से जाना जाता है.

बेलूर मठ तैयार होने से पहले मां सारदा देवी यहां कई बार ठहरी थी. अपनी नयी जगह पर आने से पहले रामकृष्ण मठ 13 फरवरी 1898 से 1 जनवरी 1899 तक इसी बिल्डिंग में था. इसी कारण लोग इसे पुराना मठ कहते हैं. मंदिर में शाम के समय आरती शुरू होने से पहले एक घंटी बजायी जाती है ताकि लोग आरती के वक्त रामकृष्ण मंदिर के वक्त कहीं और ना जाये.

टॅग्स :स्वामी विवेकानंदकोलकाता
Open in App

संबंधित खबरें

कारोबारLPG Prices December 1: राहत की खबर, रसोई गैस की कीमतों में बड़ा बदलाव, मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, पटना और चेन्नई में घटे दाम, चेक करें

क्राइम अलर्ट3 माह पहले दोस्ती, रात 9 बजे बस स्टॉप पर इंतजार, 3 लोग कार से आए और जबरन बैठाया, मादक पदार्थ देकर छेड़छाड़, अल्ताफ आलम अरेस्ट और 2 की तलाश जारी

क्राइम अलर्टKolkata CA Murder: डेटिंग ऐप पर दोस्ती, होटल के कमरे में सीए की हत्या, पुलिस ने डेटिंग ऐप्स इस्तेमाल करने वालों के लिए जारी की एडवाइजरी

क्राइम अलर्ट60 वर्षीय प्रेमिका जोशीना ने 45 साल के प्रेमी इमरान से कहा- मुझसे शादी करो और अपने घर ले चलो?, बीवी-बच्चों के रहते दूसरी शादी नहीं करना चाहता था, आगरा में गला घोट ली जान

भारतEarthquake in Kolkata: कोलकाता समेत पश्चिम बंगाल के अन्य इलाकों में आया भूकंप, बांग्लादेश में रहा केंद्र

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 06 December 2025: आज आर्थिक पक्ष मजबूत, धन कमाने के खुलेंगे नए रास्ते, पढ़ें दैनिक राशिफल

पूजा पाठPanchang 06 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठPanchang 04 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय