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केरल सरकार ने किया बड़ा ऐलान, इस साल नहीं मनाएंगी ओणम का जश्न

By मेघना वर्मा | Updated: August 15, 2018 09:45 IST

ओणम का जश्न पूर 10 दिन अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। कहीं बोट रेस का आयोजन होता है तो कहीं तरह-तरह के पकवान बनते हैं।

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केरल के सबसे बड़े त्योहार ओणम की शुरूआत आज से हो गई है। 10 दिवसीय इस त्योहार में लोग अपने परिवार के साथ मिलकर उत्सव मनाते हैं। मगर इस साल केरल ने ऐलान किया है कि वह ओणम का उत्सव नहीं मनाएगा। केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने राज्य में बारिश और बाढ़ के कारण सदी के सबसे बुरे हालात के मद्देनजर इस साल के ओणम उत्सव को रद्द करने की घोषणा की है। 

जश्न की राशि से आपदा राहत में करेंगे इस्तेमाल

केरल सरकार हर साल इस त्योहार को मनाने केंलिए राज्य भर में सांस्कृतिक समारोह आयोजित करने के लिए राशि देती है। मगर इस साल केरल में बारिश की वजह से बहुत तबाही हुई है। जिसके चलते अब राज्य सरकार ये 30 करोड़ रुपये की राशि को मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में देने का फैसला किया है। सप्ताह भर चलने वाले यह त्याहोर अगस्त माह में मनाया जाता है। इस बार ओणम का यह त्योहार 15 अगस्त से शुरू होकर 27 अगस्त तक चलने वाला है। 25 अगस्त को थिरु ओणम त्योहार पड़ रहा है।

कुल 444 गांव हुए हैं प्रभावित

उन्होंने कहा, हमारे राज्य को अबतक की सबसे बड़ी आपदा का सामना करना पड़ रहा है। कुल 444 गांव इससे प्रभावित हुए हैं। विजयन ने कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया को बताया, ओणम के लिए दिए जाने पैसे राहत के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे। हम हमारे प्रयासों में सभी की मदद चाह रहे हैं। विजयन ने कहा कि कैबिनेट ने राहत और पुनर्वास कार्यक्रम को शीघ्र लागू करने के लिए एक मंत्रिमंडलीय उपसमिति के गठन का फैसला किया है।

उन्होंने कहा, तीन से 15 सितंबर तक विशेष अदालतें स्थापित की जाएंगी, ताकि जिन लोगों ने अपने मूल्यवान दस्तावेज खोए हैं, उन्हें मुफ्त में उनकी प्रतियां दी जा सकें। विजयन ने कहा, हमने राज्यस्तर की बैंकर समितियों से यह भी देखने को कहा कि कब मुआवजा राशि हस्तांतरित की गई। साथ ही उसके ऊपर किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए।

क्या होता है ओणम के जश्न में

ओणम का जश्न पूर 10 दिन अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। कहीं बोट रेस का आयोजन होता है तो कहीं तरह-तरह के पकवान बनते हैं। इस त्योहार के पहले आठ दिन फूलों की सजावट पोक्कलम (फूलों की रंगोली बनाई जाती है) का कार्यक्रम चलता है। नौवें दिन हर घर में भगवान विष्णु की मूर्ति बनाई जाती है। उनकी पूजा की जाती है तथा परिवार की महिलाएं इसके इर्द-गिर्द नाचती हुई तालियां बजाती हैं। रात को गणेशजी और श्रावण देवता की मूर्ति बनाई जाती है।

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