यहां जानें करवा चौथ की तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा के समय इन नियमों का जरूर करें पालन
By मेघना वर्मा | Updated: October 20, 2018 12:27 IST2018-10-20T12:27:41+5:302018-10-20T12:27:41+5:30
Karva Chauth puja date and time: करवा चौथ पर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवाना गणेश की पूजा होती है। शाम के समय होने वाली इस पूजा में सभी विवाहित और उपवास रखने वाली महिलाएं एक-साथ बैठकर कथा कहती हैं।

यहां जानें करवा चौथ की तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा के समय इन नियमों का जरूर करें पालन
पति की लम्बी उम्र के लिए हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को महिलाएं करवाचौथ का व्रत रखती हैं। इस दिन शादी-शुदा महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करती हैं। सिर्फ विवाहित ही नहीं कुवांरी लड़कियां भी अच्छे वर के लिए यह व्रत रखती हैं। इस साल करवाचौथ के इस व्रत की तिथी को लेकर लोगों में कंन्फ्यूजन देखी जा सकती है।
कुछ लोगों का मनाना है कि इस बार करवाचौथ शनिवार यानी 27 अक्टूबर को पड़ रही है वहीं कुछ लोगों का ये भी मानना है कि इस बार 28 अक्टूबर यानी रविवार को करवाचौथ पड़ रहा है। आइए हम आपको बताते हैं क्या है करवाचौथ की सही तिथी और पूजा का शुभ मुहूर्त।
शनिवार को ही है करवाचौथ
करवाचौथ इस साल 27 अक्टूबर यानी शनिवार को ही पड़ रहा है। 27 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 36 मिनट से 6 बजकर 54 मिनट तक का मुहूर्त है। जबकि रात 8 बजे तक चंद्रोदय का अनुमान लगाया जा रहा है। इसी दिन विवाहित महिलाएं चांद की पूजा करके उसे अर्घ देकर अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करती हैं।
ये है पूजा-विधि
करवा चौथ पर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवाना गणेश की पूजा होती है। शाम के समय होने वाली इस पूजा में सभी विवाहित और उपवास रखने वाली महिलाएं एक-साथ बैठकर कथा कहती हैं। पूजा विधि की बात करें तो चौथ माता की स्थापित मूर्ती पर फूल-माला और कलावा चढाया जाता है जिसके बाद प्रतिमा के आगे करवा में जल भर कर रखा जाता है।
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देशी घी का दिया जलाकर कथा पढ़ते हैं और इसके बाद चांद को देखकर उसकी पूजा की जाती है। इसके बाद महिलाएं चांद को छलनी से देखती हैं और फिर अपने पति को देखती है। पूजा के बाद पति अपने हाथों से पानी पिलाकर व्रत तोड़ते हैं।
व्रत के ये है नियम
करवाचौथ के दिन महिलाओं को सूर्योदय से पहले उठना चाहिए और सारे नित्य काम करने के बाद माता चौथ की प्रतिमा का स्थापित करते हैं।
माता की मूर्ति के सामने चावल और गंगाजल लेकर संपल्प करें और वह मूर्ति के सामने रखें।
सरगी में सिर्फ अपने सास की भेजी हुई चीजें ही खाएं।
याद रखें ये सरगी सूर्योदय से पहले ही खाएं। सूर्योदय के बाद कतई ना खाएं।