Karva Chauth History: ऐसे शुरू हुआ था करवाचौथ का व्रत, जानिए क्या है इसकी पौराणिक कहानी
By मेघना वर्मा | Updated: October 15, 2019 11:55 IST2019-10-15T11:55:09+5:302019-10-15T11:55:09+5:30
Karva Chauth Fast History in Hindi: इस बार के करवाचौथ पर सालों बाद दुर्लभ संयोग पड़ रहा है। शारदीय नवरात्रि के बाद मनाए जाने वाले इस त्योहार पर महिलाएं सुबह से व्रत रखती हैं।

Karva Chauth History: ऐसे शुरू हुआ था करवाचौथ का व्रत, जानिए क्या है इसकी पौराणिक कहानी
करवाचौथ का व्रत इस साल 17 अक्टूबर को पड़ रहा है। करवाचौथ पर सुहागिन महिलाएं अपने पति के लिए निरजला व्रत रखती हैं। साथ ही करवा माता से पति की लम्बी उम्र के लिए प्रार्थना भी करती हैं। करवाचौथ के इस व्रत को टीवी और फिल्मों पर भी बड़ी तरीके से दिखाया जाता है। मगर क्या आप जानते हैं कि इस व्रत की शुरूआत कहां से हुई थी
चलिए आपको बताते हैं कि पति-पत्नी के खूबसूरत रिश्ते को दर्शाने वाले इस त्योहार की शुरूआत कहां से हुई थी। साथ ही जानते हैं कि क्या है करवाचौथ की पौराणिक कहानी।
करवाचौथ की पौराणिक कथाएं
पौराणिक कथाओं की मानें तो देवताओं की पत्नियों ने उनकी मंगलकामना और असुरों पर जीत पाने के लिए करवा चौथ जैसा व्रत रखा था। वहीं एक बार असुरों और देवों में युद्ध छिड़ गया। असुर देवताओं पर भारी पड़ रहे थे। वहीं असुरों को हराने के लिए उनको कोई उपाय नहीं सूझ रहा था।
ऐसे में सारे देवता ब्रह्मा जी के पास असुरों को हराने का उपाय जानने गए। ब्रह्मा जी ने देवताओं की समस्या को पहले से जानते थे। उन्होंने देवताओं से कहा कि वो अपनी-अपनी पत्नियों से कहें कि वो अपने पति की मंगलकामना और असुरों पर विजय के लिए व्रत रखें। इससे निश्चित ही देवताओं को विजय प्राप्त होगी। इसके बाद जब देवियों ने ये व्रत किया तो देवताओं की जीत हो गई।
बन रहा है दुर्लभ संयोग
इस बार के करवाचौथ पर सालों बाद दुर्लभ संयोग पड़ रहा है। शारदीय नवरात्रि के बाद मनाए जाने वाले इस त्योहार पर महिलाएं सुबह से व्रत रखती हैं। बिना पानी पिएं शाम को चांद देखकर ही व्रत खोलती हैं। करवाचौथ की कथा पढ़ने के बाद ही यह व्रत शुरू हो जाता है।

