कजरी तीज: आज सुहागनें इस व्रत कथा को पढ़कर करें अपने व्रत का पारण

By गुलनीत कौर | Published: August 29, 2018 07:57 AM2018-08-29T07:57:11+5:302018-08-29T07:57:11+5:30

इस तीज पर कुंवारी कन्याएं भी योग्य पति पाने, ववाह बाधा दूर करने या शीघ्र विवाह के लिए व्रत कर सकती हैं।

Kajri Teej 2018: Kajri Teej vrat katha, date, significance in hindi | कजरी तीज: आज सुहागनें इस व्रत कथा को पढ़कर करें अपने व्रत का पारण

कजरी तीज: आज सुहागनें इस व्रत कथा को पढ़कर करें अपने व्रत का पारण

हिन्दू धर्म में सुहागनों से संबंधित कई त्योहार आते हैं जिसमें से तीज सबसे महत्वपूर्ण होता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार साल में तीन बार तीज मनाई जाती है- हरतालिका तीज, हरियाली तीज और कजरी तीज। इन सभी पर्वों पर सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए उपवास करती हैं। इस साल 29 अगस्त को कजरी तीज है। इस तीज पर कुंवारी कन्याएं भी योग्य पति पाने, ववाह बाधा दूर करने या शीघ्र विवाह के लिए व्रत कर सकती हैं।

तो इस बार यदि आप व्रत कर रही हैं तो कजरी तीज की व्रत कथा को पढ़ना ना भूलें। इस कथा को पढ़ने मात्र से ही व्रत सफल कहलाता है। यहां पढ़ें कजरी तीज व्रत कथा:

एक बार की बात है, एक गांव में गरीब ब्राह्मण का परिवार रहता था। उसकी पत्नी ने भादो मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर व्रत रखा। व्रत के दौरान उसे चने के सत्तू की आवश्यक्ता पड़ी तो उसने ब्राह्मण से कहा कि 'आज मेरा व्रत है, तो आप मेरे लिए कहीं से चने का सत्तू ले आइए'। लेकिन ब्राह्मण इस बात से परेशान हो गया और कहने लगा किब 'मैं सत्तू कहां से लेकर आऊं'। परंतु उसकी पत्नी ना मानी और आखिरकार ब्राह्मण रात के समय सत्तू लेने के लिए घर से निकल पड़ा।

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लेकिन रात के समय उसे सत्तू कौन देगा और अगर घर खाली हाथ लौटा तो पत्नी उसपर चिल्लाएगी। यह सोच ब्राह्मण चुपचाप एक दुकान में गया और वहां जाकर चने की दाल, घी, शक्कर आदि मिलाकर उसने सत्तू बना लिया। सत्तू को पोटली में बांधकर ब्राह्मण दुकान से निकल ही रहा था कि अचानक खटपट की कुछ आवाज हुई और आवाज सुनते ही दुकान का मालिक और नौकर सब उठ गए। 

चोर-चोर का शोर हुआ और उन्होंने झट से ब्राह्मण को पकड़ लिया। गहराकर ब्राह्मण ने कहा कि 'मुझ गरीब पर दया करें। मेरी पत्नी ने आज व्रत रखा है और उसे सत्तू चाहिए था। इसलिए मैंने यहां से केवल सवा किलो का सत्तू लिया है। इसके अलावा किसे भी अन्य वस्तु को छूआ भी नहीं है'।

नौकरों ने ब्राह्मण की तलाशी ली और वाकई उसके पास केवल सत्तू ही निकला। इस बात से उन्हें यकीन हो गया कि ब्राह्मण सच कह रहा है। दूसरी ओर चांद भी निकला आया था और व्रत की पूजा का समय हो चला था। ब्राह्मण के अनुरोध पर दुकानदार ने उसे छोड़ा और कहा कि 'आज केवल तुम्हारी पत्नी के लिए मैं तुम्हें छोड़ रहा हूं। तुम जाओ और उसे यह सत्तू देकर उसका व्रत सम्पूर्ण कराओ'।

दुकानदार ने ब्राह्मण से कहा कि 'आज की रात मैं तुम्हारी पत्नी को अपनी धर्म बहन मानता हूं।' यह कहकर उसने ब्राह्मण को एक किलो सत्तू के साथ कुछ गहने, रुपये और श्रृंगार का आवश्यक सामान भी दिया। यह सब लेकर ब्राह्मण अपने घर पहुंचा। 

उसकी पत्नी, ब्राह्मण और दुकानदार सभी ने उस रात कजली माता की पूजा की। पूजा के फल स्वरूप सभी के दिन फिर गए। सभी संपन्न हुए। इस प्रकार कजली माता ने सभी पर अपनी कृपा की। इस कथा को आधार मानकर ही आज भी कजरी या कजली तीज का व्रत किया जाता है। 

Web Title: Kajri Teej 2018: Kajri Teej vrat katha, date, significance in hindi

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