इस्लामिक नव वर्ष 1446 आज से प्रारंभ, हिजरत की याद में हिजरी सन् की हुई थी शुरुआत

By नईम क़ुरैशी | Updated: July 7, 2024 20:17 IST2024-07-07T20:17:04+5:302024-07-07T20:17:04+5:30

इस्लामिक कैलेंडर का नया साल हिजरी सन् 1446 आज 7 जुलाई से शुरू हो गया। 15 जुलाई सन् 622 ईसवी को पैग़म्बर ए इस्लाम हज़रत मोहम्मद सअवस ने मक्का से मदीना हिजरत की, जिसकी याद में हिजरी सन् की शुरुआत की गई।

Islamic New Year 1446 begins today, Hijri year was started in memory of Hijrat | इस्लामिक नव वर्ष 1446 आज से प्रारंभ, हिजरत की याद में हिजरी सन् की हुई थी शुरुआत

इस्लामिक नव वर्ष 1446 आज से प्रारंभ, हिजरत की याद में हिजरी सन् की हुई थी शुरुआत

शाजापुर: दुनिया में विभिन्न धर्मों को मानने वालों का अपना नया साल होता है, जैसे प्रतिपदा अर्थात गुड़ी पड़वा चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि से विक्रमी नवसंवत्सर का आरंभ हो जाता है। उसी तरह चांद के दीदार के साथ ही इस्लामिक कैलेंडर का नया साल हिजरी सन् 1446 आज 7 जुलाई से शुरू हो गया। 15 जुलाई सन् 622 ईसवी को पैग़म्बर ए इस्लाम हज़रत मोहम्मद सअवस ने मक्का से मदीना हिजरत की, जिसकी याद में हिजरी सन् की शुरुआत की गई।

मोहर्रम माह की पहचान इस्लामिक कैलेंडर की शुरुआत से ज़्यादा नबी ए करीम हज़रत मोहम्मद सलल्लाहो अलैही वसल्लम के नवासों की शहादत के तौर पर अधिक है। जबकि मोहर्रम इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने का नाम है। हालांकि ये 12 माह में सबसे पवित्र 4 महीनों में शामिल है।

कुरआन के पारा नम्बर 10 में सूरह तोबा की आयत नम्बर 36 के मुताबिक इस पवित्र माह में हज़रत आदम अलैहि सलाम दुनिया में आये, हज़रत नूह अलैहि सलाम की कश्ती को दरिया के तूफान में किनारा मिला, हज़रत मूसा अलैहि सलाम और उनकी कौम को फिरऔन के लश्कर से निजात मिली और फिरऔन दरिया ए नील में समा गया।  

सूरज डूबते ही होती है नई तारीख़

इस कैलेंडर की ख़ास बात ये है कि जहां ईस्वी कैलेंडर में नई तारीख की शुरुआत रात को 12 बजे से होती है वहीं, हिजरी साल यानि इस्लामिक कैलेंडर में नई तारीख की शुरुआत शाम को सूरज डूबने के बाद, मगरिब के वक्त से होती है। इस्लामिक कैलेंडर चंद्र कैलेंडर के हिसाब से चलता है। हिजरी संवत में 12 चन्द्र मास होते हैं, जिसमें 29 और 30 दिन के मास एक-दूसरे के बाद पड़ते हैं। वर्ष में 354 दिन होते हैं। इसलिए यह सौर या संवत के वर्ष से 11 दिन छोटा हो जाता है। इस अन्तर को पूरा करने के लिए 30 वर्ष बाद ज़िलहिज्ज महीने में कुछ दिन जोड़ दिए जाते हैं।

हज़रत अली ने तय करवाया ईस्लामी वर्ष 

हिजरी की शुरुआत दूसरे ख़लीफ़ा हज़रत उमर फ़ारुख रजि. के दौर में हुई, ये हज़रत अली रजि. के मशवरे से तय हुआ था। 15 जुलाई सन् 622 ईसवी को इस्लाम धर्म के आखरी प्रवर्तक हज़रत मोहम्मद सलल्लाहो अलैहि व सल्लम के पवित्र शहर मक्का से मदीना हिजरत कर जाने के समय से हिजरी सन् को इस्लामी वर्ष के आरंभ की मान्यता दी गई। इसी तरह हज़रत अली रजि. और हज़रत उस्मान गनी रजि. की सलाह पर ही ख़लीफ़ा हज़रत उमर रजि.ने मोहर्रम को हिजरी सन् का पहला माह तय कर दिया, तभी से विश्वभर के मुस्लिम मोहर्रम माह से इस्लामी नव वर्ष की शुरुआत मानते हैं। इससे पहले ईसवी कैलेंडर प्रचलन में था। जबकि हिब्रू और ग्रेगोरियन कैलेंडर मौजूद था।

इस्लामिक कैलेंडर के 12 महीने

1. मुहर्रम  
2. सफ़र   
3. रबीउल-अव्वल 
4. रबीउल-आखिर 
5. जुमादिल-अव्वल
6. जुमादिल-आखिर  
7. रज्जब  
8. शाअबान  
9. रमज़ान  
10. शव्वाल  
11. ज़िल काअदह  
12. ज़िल हिज्जा

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