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Holika Dahan Date And Time 2024: जानिए होलिका दहन की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजाविधि और महत्व

By रुस्तम राणा | Updated: March 19, 2024 14:27 IST

Holika Dahan Date And Time 2024: इस बार होली 25 मार्च सोमवार को खेली जाएगी। जबकि इसके एक दिन पहले 24 मार्च की रात्रि को होलिका दहन किया जाएगा।

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Holika Dahan 2024:होली की पूर्व रात्रि फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन करने की परंपरा है। होलिका दहन के पश्चात अगले दिन होली का उत्सव मनाया जाता है। इस बार होली 25 मार्च सोमवार को खेली जाएगी। जबकि इसके एक दिन पहले 24 मार्च की रात्रि को होलिका दहन किया जाएगा। हिन्दू धर्म में होली जलाने (होलिका दहन) का भी विशेष महत्व है। होलिका दहन के समय परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ नया अन्न यानि गेहूं,जौ एवं चना की हरी बालियों को लेकर पवित्र अग्नि में समर्पित करना चाहिए ऐसा करने से घर में शुभता का आगमन होता है।

होलिका दहन 2024 मुहूर्त 

फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि पर यानी साल 2024 के 24 मार्च की सुबह 09.54 मिनट पर शुरू हो रही है। इसके बाद अगले दिन यानी 25 मार्च 2024 को दोपहर के 12.29 मिनट पर खत्म भी हो जाएगी। होलिक दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च रविवार को रात 11.13 बजे से देर रात 12.07 बजे तक रहेगा। शुभ मुहूर्त की अवधि कुल 1 घंटा 14 मिनट तक रहने वाली है। 

होलिका दहन पूजा विधि

होलिका दहन के लिए लकड़ी, कंडे या उपले एक जह एकत्रित करें। इन सारी चीजों को शुभ मुहूर्त में जलाएं। इसमें गोबर के उपले, गेंहू की नई बालियां और उबटन डालें। ऐसी मान्यता है कि इससे साल भर व्यक्ति को आरोग्य कि प्राप्ति हो और सारी नकारात्मक शक्तियां इस अग्नि में भस्म हो जाती हैं। होलिका दहन पर लकड़ी की राख को घर में लाकर उससे तिलक करने की परंपरा भी है।

होलिका दहन का महत्व

पौराणिक कथा के अनुसार, असुर हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, लेकिन यह बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी। बालक प्रह्लाद को भगवान की भक्ति से विमुख करने का कार्य उसने अपनी बहन होलिका को सौंपा, जिसके पास वरदान था कि अग्नि उसके शरीर को जला नहीं सकती। भक्त प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से होलिका उन्हें अपनी गोद में लेकर चिता में बैठ गयीं, चिता में आग लगाई गई, लेकिन प्रह्लाद अपनी भक्ति की शक्ति के कारण नहीं जले, खुद होलिका ही आग में जल गई। 

बरतें सावधानियां

मान्यता है कि नवविवाहित कन्याओं को होलिका की जलती हुई अग्नि को देखने से बचना चाहिए। होलिका का पूजन करते समय अपने सिर को रूमाल या अंगोछा से ढकना चाहिए। 

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