Good Friday: गुड फ्राइडे का क्या है इतिहास, यीशु को क्यों और किसने सूली पर चढ़ाया, जानिए
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 2, 2021 07:24 IST2021-04-02T07:24:26+5:302021-04-02T07:24:26+5:30
Good Friday: गुड फ्राइडे एक तरह से शोक का दिन है। इस दिन ईसाई धर्म के लोग अपना दिन चर्च में प्रार्थना, दूसरों की सेवा और उपवास में व्यतीत करते हैं।

ईसाई धर्म में गुड फ्राइडे एक तरह से शोक का दिन (फाइल फोटो)
Good Friday: ईसाई धर्म में गुड फ्राइडे और फिर ईस्टर का बहुत महत्व है। ये दिन बेहद पवित्र माने गए हैं। इस दिन ईसाई धर्म को मानने वाले चर्च में जाते हैं यीशु को याद करते हैं। दरअसल, माना जाता है कि जिस दिन यीशु को सूली पर चढ़ाया गया वो यही शुक्रवार था।
ऐसे में इसे 'गुड फ्राइडे' इसलिए कहते हैं कि उन्होंने इंसानों के लिए आत्म-बलिदान देकर एक उदाहरण प्रस्तुत किया था। इस कई जगहों पर पवित्र या महान फ्राइडे या ब्लैक फ्राइडे भी कहने की परंपरा है।
मान्यता है कि सूली पर चढ़ाए जाने के तीन दिन बाद यीशु वापस जीवित हो गए थे। इसे ईस्टर या ईस्टर संडे के नाम से जाना जाता है। इस बार गुड फ्राइडे 2 अप्रैल को मनाया जा रहा है। वहीं ईस्टर 4 अप्रैल को होगी।
Good Friday: यीशु को किसने और क्यों मारा?
कहते हैं कि करीब 2000 साल पहले यरुशलम के गैलिली प्रांत में ईसा मसीह लोगों को मानवता, एकता और अहिंसा का उपदेश देते थे। कई लोग उन्हें ईश्वर मानने लगे थे। हालांकि उनकी बातों से कुछ लोग काफी नाराज हो गए।
इसमें तब के कई धर्मगुरु थे। ईसा मसीह की बढ़ती लोकप्रियता उन्हें अच्छी नहीं लग रही थी। ऐसे में इन्होंने ईसा मसीह की शिकायत रोम के शासक पिलातुस से की। उन्होंने पिलातुस से कहा कि यह व्यक्ति खुद को ईश्वर पुत्र बता रहा है।
ईसा मसीह पर इसके बाद धर्म की अवमानना का आरोप लगाया गया। साथ ही राजद्रोह का आरोप भी लगाया गया। इसके बाद उन्हें क्रूज पर मत्यु दंड देने का फरमान दिया गया।
इससे पहले ईसा को कई तरह की यातनाएं दी गई। कांटों का ताज पहनाया गया। फिर कीलों से ठोकते हुए उन्हें सूली पर लटका दिया गया।