हरियाली तीज 2020: मां पार्वती की पूजा करते समय बरतें ये सावधानियां, कुंवारी कन्याएं..

By गुणातीत ओझा | Published: July 20, 2020 03:17 PM2020-07-20T15:17:31+5:302020-07-23T10:57:38+5:30

आज श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन पार्वतीजी के पूजन का विधान होता है। सावन में वर्षा से सारा माहौल हरा भरा हो जाता है। इसलिए भी इसको हरियाली तीज कहते है एवं तृतीया तिथि की स्वामी माता गौरी होती हैं।

Hariyali Teej 2020: Take these precautions while worshiping Maa Parvati | हरियाली तीज 2020: मां पार्वती की पूजा करते समय बरतें ये सावधानियां, कुंवारी कन्याएं..

हरियाली तीज पर बरतें ये सावधानियां।

Highlightsश्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है।इस दिन पार्वतीजी के पूजन का विधान होता है। सावन में वर्षा से सारा माहौल हरा भरा हो जाता है।

Hariyali Teej: आज श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन पार्वतीजी के पूजन का विधान होता है। सावन में वर्षा से सारा माहौल हरा भरा हो जाता है। इसलिए भी इसको हरियाली तीज कहते है एवं तृतीया तिथि की स्वामी माता गौरी होती हैं। इसलिए इसको गौरी तीज या कजली तीज भी कहते हैं। उज्जैन के पंडित मनीष शर्मा के अनुसार जिस स्त्री का विवाह के पश्चात प्रथम सावन आया हो उसे ससुराल में नहीं रखा जाता। पकवान बनावकर बेटियों को सिंघारा भेजा जाता है। ससुराल में भी नई वधुओं को वस्त्र, गहने आदि दिए जाते हैं। इसके पश्चात वह मायके आ जाती है एवं नए वस्त्र, गहनों आदि से सुसज्जित हो अपनी सहेलियों के साथ उत्सव मनाती है।

कुंवारी कन्याएं भी कर सकती हैं हरियाली तीज का व्रत

विभिन्न क्षेत्रो में इसे भिन्न-भिन्न प्रकार से मनाया जाता है। सावन में झूले डलते हैं एवं सभी कृष्ण मंदिरों में भगवान के श्रीविग्रहों को हिंडोले में झुलाया जाता है। यह पर्व विशेषकर देवी पार्वतीजी के पूजन के लिए होता है। कुंवारी कन्याएं मनभावन पति की कामना के लिए इस पूजन को करती हैं एवं विवाहित स्त्राीयां वैवाहिक सुखों के साथ सदा सुहागन बनी रहने के लिए इस व्रत को करती हैं। शिवपुराण में भी वर्णन है कि इस तीज को जो माता पार्वतीजी का व्रत रख उन्हें झूले पर पर बैठाता है, वह कभी भी दुख को प्राप्त नहीं करता।

पुरुष भी रख सकते हैं व्रत

स्त्रीयों के अलावा पुरुष भी इस व्रत को कर सकते हैं। जिनके घर में अत्यधिक क्लेश होता हो एवं जहां पति-पत्नि के मध्य सामंजस्य नहीं हो वह यह व्रत करें तो दांपत्य जीवन सुखमय हो जाता है एवं गृह-क्लेश नहीं होता। सभी प्रकार के सुख संपत्ति की प्राप्ति होती है।

मां पार्वती को चढ़ाएं ये चीजें

इस दिन देवी को जो गाय के दूध से बना घी अर्पण करता है वह समस्त रोगों से मुक्ति पाता है। मधु अर्पण करने से सुदंरता को प्राप्त करता है। शकर का अर्पण करने से संपत्ति को प्राप्त करता है। कच्चा दूध अर्पण करने से पितरों को शांती एवं सुहाग सामग्री अर्पण करने से परिवार से सुख प्राप्त होता है। देवी को दही अर्पण करने से धन की प्राप्ति होती है तथा सदा सुख बना रहता है।

हरियाली तीज का मुहूर्त

(बुधवार) जुलाई 22, 2020 को 19:23:49 से तृतीया आरम्भ
(गुरुवार) जुलाई 23, 2020 को 17:04:45 पर तृतीया समाप्त

हरियाली तीज के अलग-अलग नाम

इस दौरान पृथ्वी पर चारों ओर हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है और यही कारण है कि इसे हरियाली तीज कहा जाता है। ये पर्व उत्तर भारत के राज्यों का मुख्य त्यौहार है, जिसके चलते इसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखंड में हर साल हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ये पर्व विदेशों में रह रहे भारतीयों द्वारा भी मनाया जाता है। वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे कजली तीज के नाम से जाना जाता है।

सालभर सावन और भाद्रपद के महीने में, कुल 3 तीज आती है। जिनमें पहली हरियाली तीज व छोटी तीज, दूसरी कजरी तीज और फिर अंत में हरतालिका तीज मनाई जाती है। हरियाली तीज हर वर्ष नागपंचमी पर्व से, ठीक 2 दिन पूर्व मनाई जाती है। हरियाली तीज से लगभग 15 दिन बाद कजली तीज आती है। तीज का त्योहार मुख्य रूप से महिलाओं में बेहद प्रसिद्ध होता है। इस दौरान महिलाओं द्वारा व्रत कर और सुंदर-सुंदर वस्त्र पहनकर, तीज के गीत गाए जाने की परंपरा है जिसे सालों से निभाया जा रहा है।

हरियाली तीज का महत्व

मान्यता है कि हरियाली तीज के ही दिन भगवान शिव पृथ्वी पर अपने ससुराल आते हैं, जहां उनका और मां पार्वती का सुंदर मिलन होता है। इसलिए इस तीज के दिन, महिलाएं सच्चे मन से मां पार्वती की पूजा-आराधना करते हुए उनसे आशीर्वाद के रूप में अपने खुशहाल और समृद्ध दांपत्य जीवन की कामना करती हैं। इस पर्व में हरे रंग का भी अपना एक अलग महत्व होता है। विवाहित महिलाएं इस दिन अपने पीहर जाती हैं, जहां वो हरे रंग के ही वस्त्र जैसे साड़ी या सूट पहनती हैं।

सुहाग की सामग्री के रूप में इस दिन हरी चूड़ियां ही पहने जाने का विधान है। साथ ही महिलाएं इस पर्व पर खास झूला डालने की परंपरा भी निभाती हैं। यही कारण है कि इस दिन विवाहित और कुंवारी महिलाओं को भी पूर्ण श्रृंगार करके झूला झूलते देखा जाता है। विवाहित महिलाओं के ससुराल पक्ष द्वारा इस दौरान सिंधारा देने की परंपरा है जो एक सास अपनी बहू को उसके मायके जाकर देती हैं। सिंधारे के रूप में महिला को मेहंदी, हरी चूड़ियां, हरी साड़ी, घर के बने स्वादिष्ट पकवान और मिठाइयां जैसे गुजिया, मठरी, घेवर, फैनी दी जाती हैं। सिंधारा देने के कारण ही, इस तीज को सिंधारा तीज भी कहा जाता है। सिंधारा सास और बहु के आपसी प्रेम और स्नेह का प्रतिनिधित्व करता है।

Web Title: Hariyali Teej 2020: Take these precautions while worshiping Maa Parvati

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