रामायण: मूर्छित लक्ष्मण के लिए भारत के इस गांव से संजीवनी बूटी लाए थे श्री हनुमान-यहां के लोग नहीं करते बजरंग बली की पूजा-पढ़िए रोचक कथा

By मेघना वर्मा | Updated: April 16, 2020 12:11 IST2020-04-16T10:37:23+5:302020-04-16T12:11:09+5:30

संजीवनी बूटी, श्री हनुमान कहां से लाए इस चीज का काफी प्रसंग मिलता है।

hanuman ji sanjeevani booti parvat in india, sanjeevani mountain is still exists in sri lanka | रामायण: मूर्छित लक्ष्मण के लिए भारत के इस गांव से संजीवनी बूटी लाए थे श्री हनुमान-यहां के लोग नहीं करते बजरंग बली की पूजा-पढ़िए रोचक कथा

रामायण: मूर्छित लक्ष्मण के लिए भारत के इस गांव से संजीवनी बूटी लाए थे श्री हनुमान-यहां के लोग नहीं करते बजरंग बली की पूजा-पढ़िए रोचक कथा

Highlights श्रीलंका की खूबसूरत जगहों में से एक उनावटाना बीच इसी पर्वत के पास है।पूरे गांव ने हनुमान जी की पूजा करना बंद कर दिया।

इन दिनों देश कोरोना वायरस की चपेट में है इसी से बचने के लिए लॉकडाउन की अवधि को 3 मई तक बढ़ा दिया गया है। वहीं सरकार ने लोगों के मनोरंजन के लिए दूरदर्शन पर एक बार फिर से रामानंद सागर वाली रामायण का प्रसारण शुरू करवा दिया है। वहीं रामायण में जिस समय भगवान हनुमान लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लाए उस समय के प्रसंग को भी लोग काफी पसंद कर रहे हैं। 

वैसे तो संजीवनी बूटी, श्री हनुमान कहां से लाए इस चीज का काफी प्रसंग मिलता है। मगर देश का एक गांव ऐसा भी है जो आज तक पवनपुत्र से नाराज है। ये गांव है देवभूमि उत्तराखंड का जिसका नाम है द्रोणागिरी। आइए आपको बताते हैं रामायण से जुड़ा ये दिलचस्प किस्सा।

द्रोणागिरी पर्वत से ले गए थे संजीवनी बूटी

बताया जाता है कि जिस समय भगवान लक्ष्मण मूर्छित होकर गिर गए थे तब इसी गांव के पर्वत से भगवान हनुमान उनके लिए संजीवनी बूटी लेकर गए थे। चमोली क्षेत्र में आने वाले इस गांव के लोगों की मान्यता है कि वह द्रोणागिरि पर्वत की पूजा करते थे। 

ग्रामिणों के मुताबिक जिस समय हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने आए तब पहाड़ देवता ध्यान मुद्र में थे। हनुमान जी ने उनसे अनुमति भी नहीं ली और ना ही उनकी साधना पूरी होने का इंतजार किया। इसलिए यहां के लोग हनुमान जी द्वारा पर्वत उठा ले जाने से नाराज हो गए।

नहीं फराई जाती लाल पताका ना होती है बजरंग बली की पूजा

लोक कथाओं की मानें तो जिस समय हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने जाए उस समय उन्हें रास्ते में एक वृद्ध आदमी दिखाई पड़ा जिससे उन्होंने संजीवनी बूटी कहां मलेगी पूछा। बूढ़ें आदमी ने बता पर्वत की ओर रास्ता बता दिया। जब संजीवनी बूटी को हनुमान जी पहचान ना सके तो वो एक बड़ा हिस्सा पर्वत का उठा ले गए। जब लोगों को इस बात का पता चला तो उन्होंने उस वृद्ध का सामाजिक बहिष्कार किया और पूरे गांव ने हनुमान जी की पूजा करना बंद कर दिया।

श्रीलंका से ही आई थी संजीवनी बूटी

इस संजीवनी बूटी को लेकर एक और किदवंती काफी प्रचलित है। माना जाता है कि इस लक्ष्मण जी को बचाने के लिए श्रीलंका के पास रूमास्सला पर्वत पहाड़ से वह संजीवनी बूटी लाए थे। श्रीलंका की खूबसूरत जगहों में से एक उनावटाना बीच इसी पर्वत के पास है। श्रीलंका के दक्षिण समुद्री किनारे पर ऐसी कई जगहें हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वहां हनुमान के लाए पहाड़ के कई टुगड़े गिरे हैं।

English summary :
Chamoli Uttrakhand village in Devbhoomi Uttarakhand whose name is Dronagiri. Let us tell you this interesting story related to Ramayana.


Web Title: hanuman ji sanjeevani booti parvat in india, sanjeevani mountain is still exists in sri lanka

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