गुरु रामदास जयंती: तो इस तरह सिखों को मिले थे चौथे गुरु, इस उपाधि के लिए देनी पड़ी थी बड़ी परीक्षा

By गुलनीत कौर | Updated: October 26, 2018 08:02 IST2018-10-26T08:02:10+5:302018-10-26T08:02:10+5:30

Guru Ram Das Jayanti: गुरु राम दास द्वारा ही अमृतसर नगर बसाया गया जिसे उस समय 'चक रामदास पुर' के नाम से जाना जाता था।

Guru Ram Das Jayanti: History and life story of Guru Ram Das Ji, Parkash Utsav of Guru Ram Das ji | गुरु रामदास जयंती: तो इस तरह सिखों को मिले थे चौथे गुरु, इस उपाधि के लिए देनी पड़ी थी बड़ी परीक्षा

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सिख कैलेंडर के अनुसार 26 अक्टूबर, 2018 को सिखों के चौथे नानक, गुरु राम दास जी का प्रकाश उत्सव मनाया जाएगा। यह दिन सभी सिखों के लिए और खासतौर पर अमृतसर शहर के लोगों के लिए बेहद खास होता है। क्योंकि गुरु राम दास द्वारा ही अमृतसर नगर बसाया गया जिसे उस समय 'चक रामदास पुर' के नाम से जाना जाता था। उनके जन्मोत्सव के मौके पर पूरा शहर दीप-लाइटों से सजाया जाता है। 

गुरु राम दास जी का जन्म कार्तिक वदी 2 संवत 1561 को चूना मंडी (जो आज लाहौर पाकिस्तान में है) में हुआ था। इनके पिता का नाम हरिदास मल सोढी और माता का नाम अनूप देवी था। सिख गुरुगद्दी पर बैठने के बाद इनका नाम गुरु राम दास रखा गया। इससे पहले इनका नाम जेठा जी था।

आइए जानते हैं गुरु राम दास जी को सिख धर्म की गुरुगद्दी कैसे मिली:

यह तब की बात है जब सिखों के तीसरे नानक, गुरु अमर दास जी के हाथ सिख संगत की बागडोर थी। लेकिन उनकी उम्र काफी हो गई थी और उन्होंने फैसला लिया कि अब वे सिखों को उनके अगले गुरु से जल्द ही परिचित कराएंगे।

गुरु अमर दास जी की दो पुत्रियां थीं- बीबी धानी और बीबी भानी। बड़ी बेटी धानी का विवाह राम नाम के एक व्यक्ति से हुआ था और छोटी बेटी भानी का विवाह उन्होंने जेठा (राम दास) से करवाया था।

एक दिन उन्होंने राम और राम दास दोनों की परीक्षा लेने की सोची। उन्होंने कहा कि मैं एक बड़े सरोवर का निर्माण करवा रहा हूं लेकिन सरोवर का कैसा चल रहा है यह देखने के लिए मुझे एक ऊंचे चौबारे की जरूरत है। तुम दोनों उसका मेरे लिए अपने हाथों से निर्माण करो।

आज्ञा पाकर दोनों ने अच्छी लकड़ी और आवश्यक औजारों को एकत्रित किया और कार्य में लग गए। पूरी लग्न और निष्ठा से उन्होंने रातो रात चौबारा खड़ा कर दिया। अगले दिन गुरु अमर दास उन दोनों चौबारों को देखने के लिए पहुंच गए।

पहले उन्होंने राम द्वारा बनाया चौबारा देखा और देखते ही कहा कि यह मेरे कहे मुताबिक नहीं बना है, इसे तोड़ो और दोबारा बनाओ। आज्ञा पाकर उसने वैसा ही करना स्वीकार किया। इसके बाद गुरु जी राम दास के पास गए और उसे भी वही बात कही। राम दास ने गुरु जी के आगे सिर झुकाया और काम के लिए वापस लौट गए।

दोनों ने रातभर फिर से काम किया और दोबारा चौबारा बनाया। अगले दिन गुरु अमर दास दोनों के सामने गए और फिर से कहा कि उन्हें दोनों का काम पसंद नहीं आया। इस बार राम को थोड़ा बुरा लगा लेकिन वह चुप रहा। दोनों फिर से काम में लग गए।

आखिरकार तीसरी बार फिर से दो अलग अलग चौबारों का निर्माण किया गया। लेकिन इस बार फिर गुरु जी ने सिर 'ना' की मुद्रा में हिलाते हुए कहा कि उन्हें काम पसंद नहीं आया। 

इस बार राम चुप नहीं रहा और उसने कहा कि वह समझ नहीं पा रहा है कि गुरु जी क्या चाहते हैं। वो इससे अच्छी इमारत नहीं बना सकता इसलिए और नहीं बनाएगा। इतना कहते हुए वो वहां से चला गया।

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अब बचा था राम दास, जिसने फिर से गुरु जी की आज्ञा पाकर दोबारा काम शुरू किया। एक के बाद एक कितने ही दिनों तक वो काम करता रहा लेकिन गुरु जी बार-बार उसके कार्य को असफल बताते रहे। 

आखिरकार एक शाम वह गुरु जी के पांव में आकर गिर गया और उनसे विनती करने लगा कि गुरु जी मैं आपकी बात समझ पाने में असमर्थ हूं। कृप्या आप ही बताएं कि आपको किस तरह का काम चाहिए। 

तब गुरु जी ने उसे उठाया और गले लगाया। कहा कि मैं तुम्हारी मेहनत और लग्न से बेहद खुश हूं। तुम में वो सारी गुण हैं जो एक गुरु में होने चाहिए। अगले दिन उन्होंने राम दास को नए वस्त्र दिए। सिख संगत के सामने लेकर गए, स्वयं गुरुगद्दी पर बिठाया और बाबा बूढ़ा जी से तिलक करवाया। 

खुद भी राम दास के आगे सिर झुकाया और संगत को कहा कि आज से ये आपके गुरु हैं। यही आपको धर्म का सही मार्ग बताएंगे। इतना कहते हुए उन्होंने जेठा जी को 'राम दास' के नाम से संबोधित किया।

English summary :
Guru Ram Das Jayanti on 26th October,2018. According to the Sikh calendar, Parkash Utsav of the fourth Guru of Sikhs, Guru Ram Das, will be celebrated on October 26, 2018. This day is very special for all Sikhs and especially for the people of Amritsar city as Guru Ram Das founded the city Amritsar, which was then known as 'Ramdass Pur'.


Web Title: Guru Ram Das Jayanti: History and life story of Guru Ram Das Ji, Parkash Utsav of Guru Ram Das ji

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