Ganga Saptami Katha: जब क्रोध में गंगा नदी को पूरा पी गए महर्षि जह्नु, फिर आगे क्या हुआ? पढ़ें गंगा सप्तमी की रोचक कथा

By रुस्तम राणा | Updated: May 13, 2024 15:28 IST2024-05-13T15:28:07+5:302024-05-13T15:28:18+5:30

Ganga Saptami 2024 Katha: हर वर्ष वैशाख के माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी को गंगा सप्तमी मनाई जाती है। इस वर्ष  वैशाख के माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 14 मई, मंगलवार को है।

Ganga Saptami Katha: When Maharishi Jahnu drank the entire river Ganga in anger, then what happened next? Read the interesting story of Ganga Saptami | Ganga Saptami Katha: जब क्रोध में गंगा नदी को पूरा पी गए महर्षि जह्नु, फिर आगे क्या हुआ? पढ़ें गंगा सप्तमी की रोचक कथा

Ganga Saptami Katha: जब क्रोध में गंगा नदी को पूरा पी गए महर्षि जह्नु, फिर आगे क्या हुआ? पढ़ें गंगा सप्तमी की रोचक कथा

Ganga Saptami 2024: हिन्दू धर्म में गंगा नदी को पवित्र और मोक्ष प्रदान करने वाली माना जाता है। इस नदी को पूज्य माता की संज्ञा दी गई है। मान्यता है कि गंगा स्नान से व्यक्ति के जीवनभर के पाप धुल जाते हैं। हर वर्ष वैशाख के माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी को गंगा सप्तमी मनाई जाती है। इस वर्ष  वैशाख के माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 14 मई, मंगलवार को है।

इस दिन विधि-विधान से मां गंगा की पूजा की जाती है। इस बार गंगा सप्‍तमी पर पुष्य नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग और रवियोग का संयोग बन रहा है। इन शुभ योगों में गंगा स्‍नान करना, दान करना, पूजा-पाठ करने से सारे पाप धुल जाते हैं। साथ ही अपार धन, यश मिलता है। मान्यता है कि इस दिन ही गंगा मां का धरती पर पुनः प्रकटीकरण हुआ था। इस संबंध में हिन्दू शास्त्रों में एक रोचक कथा पढ़ने को मिलती है। जो कि इस प्रकार है - 

गंगा सप्तमी की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार गंगा नदी को भागीरथ कड़ी तपस्‍या के बाद धरती पर लेकर आए थे, लेकिन गंगा नदी को वैशाख मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को दोबारा प्रकट होना पड़ा था। दरअसल एक बार महर्षि जह्नु तपस्या कर रहे थे। तब गंगा नदी के पानी की आवाज से बार-बार उनका ध्यान भटक रहा था। क्रोध में आकर अपने तप के बल से उन्‍होंने गंगा नदी के पूरे पानी को पी लिया था। बाद में क्रोध शांत होने और देवी-देवताओं के विनती करने पर महर्षि ने अपने दाएं कान से गंगा को पृथ्वी पर छोड़ दिया था। गंगा सप्‍तमी के दिन ही गंगा दोबारा प्रकट हुईं थीं। महर्षि जह्नु के कान से बाहर आने के कारण गंगा को जाह्नवी भी कहा जाता है।

इस दिन जरूर करें गंगा स्नान

गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान जरूर करें। यदि गंगा नदी में स्‍नान नहीं कर पाएं तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे मिलाकर स्‍नान कर लें। मान्यता है कि ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान विष्‍णु के बैकुंठ धाम में स्‍थान मिलता है। 

गंगा सप्तमी के दिन करें ये अनुष्ठान

गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्‍नान करने के साथ गंगा पूजा भी करनी चाहिए। गंगा स्नान के बाद साफ वस्‍त्र पहनकर गंगा पूजा करें। उनका ध्यान में स्मरण करें। घर के मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें। फिर देवी-देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें। पुष्प अर्पित करें। भोग लगाएं और आखिर में मां गंगा की आरती करें। 

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