लाइव न्यूज़ :

गंगा सप्तमी 2020: कब है गंगा सप्तमी? जानिए क्यों महादेव की जटाओं में बंधीं हैं मां गंगा

By मेघना वर्मा | Updated: April 28, 2020 11:37 IST

धरती की सबसे पवित्र मानी जाने वाली मां गंगा को भगवान शिव नें अपने जटाओं में क्यों बांधा इसे लेकर कई पौराणिक कथाएं मिलती हैं।

Open in App
ठळक मुद्देप्राचीन कथा के अनुसार मां गंगा को देव नदी कहा जाता है। महाराज भागीरथ की तपस्या से खुश होकर मां गंगा धरती पर आने को तैयार हो गई थीं।

गंगा नदी को देवों की नदी कहा जाता है। देवी गंगा की पूजा मां के रूप में पूजा जाता है। सनातन धर्म में गंगा सप्तमी या गंगा दशहरा को भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां गंगा का पुनर्जन्म हुआ था। माना ये भी जाता है कि इसी दिन मां गंगा धरती पर आईं थीं। 

गंगा दशहरा या गंगा सफ्तमी इस बार 29 अप्रैल को पड़ रही है। इस दिन लोग गंगा नदी में जाकर स्नान करते हैं मगर इस बार लॉकडाउन के चलते ऐसा करना ना तो संभव है और ना ही उचित। आइए आपको बताते हैं गंगा दशहरा का शुभ मुहूर्त और महत्व- 

सप्तमी तिथि प्रारम्भ - 29 अप्रैल को 3 बजकर 12 मिनटसप्तमी तिथि समाप्त - 30 अप्रैल को दो बजकर 39 मिनट पर गंगा सप्तमी मध्याम मुहूर्त 10 बजकर 38 मिनट से 1 बजकर 13 मिनट तकअवधि - 2 घंटे 36 मिनट

धरती की सबसे पवित्र मानी जाने वाली मां गंगा को भगवान शिव नें अपने जटाओं में क्यों बांधा इसे लेकर कई पौराणिक कथाएं मिलती हैं। लोक कथाओं में भी इसके अलग-अलग कारण बताए जाते हैं। आइए आपको बताते हैं ऐसी ही एक कथा जिसमें पता चलता है कि भगवान शिव ने आखिर क्यों गंगा को अपनी जटाओं में बांधा है। 

प्राचीन कथा के अनुसार मां गंगा को देव नदी कहा जाता है। मां गंगा को पृथ्वी पर लाने का काम लिए महाराज भागीरथ ने किया था। महाराज भागीरथ की तपस्या से खुश होकर मां गंगा धरती पर आने को तैयार हो गई थीं। मगर गंगा मां को इस बात का अभिमान था कि कोई उनका वेग सह नीं पाएगा।

भागीरथी ने मांगा वर

जब मां गंगा ने भागीरथी से कहा कि उनका वेग धरती का कोई मनुष्य सह नहीं पाएगा तो भागीरथी ने भगवान शिव की उपासना शुरू कर दी। अपने भक्तों का दुख हरने वाले शिव शम्भू प्रसन्न हुए उन्होंने भागीरथी से वर मांगने के लिए कहा। 

तब भागीरथी ने सारी बात भोले के सामने कही। गंगा जैसे ही स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरने लगीं तो गंगा का गर्व दूर करते हुए भगवान शिव ने उन्हें जटाओं में कैद कर लिया। वह छटपटाने लगी और शिव से माफी मांगी। तब शिव ने उन्हें अपनी चटा से एक छोटे से पोखर पर छोड़ दिया। जहां से गंगा सात धाराओं में प्रवाहित हुईं। इस तरह मां गंगा का आगमन धरती पर हुआ जो धरती की सबसे पवित्र नदी बताई जाती हैं।

टॅग्स :पूजा पाठ
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठDiwali Puja Time Today: दिवाली पूजा का समय और शुभ मुहूर्त कब है?, 20 अक्टूबर गणेश-लक्ष्मी पूजा...

पूजा पाठHappy Diwali 2025 Wishes: दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं, मैसेज, फोटो, स्टेटस...

भारतGanesh Chaturthi 2025: मूर्ति विसर्जन को लेकर सुविधा, मोबाइल ऐप से सभी जानकारी, ऐसे करें डाउनलोड, ठाणे नगर निगम ने जारी किया

भारतMadras High Court: कोई भी जाति मंदिर के स्वामित्व का दावा नहीं कर सकती?, मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा- पूजा और प्रबंधन सभी भक्त करें

पूजा पाठChhath Puja 2024 LIVE: छठ के तीसरे दिन 'संध्या अर्घ्य' का महत्व क्या है?, सूर्यास्त के समय नदी किनारे...

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठसभ्यता-संस्कृति का संगम काशी तमिल संगमम

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 06 December 2025: आज आर्थिक पक्ष मजबूत, धन कमाने के खुलेंगे नए रास्ते, पढ़ें दैनिक राशिफल

पूजा पाठPanchang 06 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय