Ganesh Chaturthi 2019: गणेश चतुर्थी का क्या है इतिहास और महाराष्ट्र में कैसे शुरू हुई इसे मनाने की परंपरा?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 29, 2019 16:09 IST2019-08-29T08:41:18+5:302019-08-29T16:09:48+5:30

Ganesh Chaturthi: गणेश चतुर्थी को लेकर महाराष्ट्र में एक अलग ही रंग देखने को मिलता है। आमतौर पर 11 दिनों तक इस राज्य में मनाये जाने वाले गणेश उत्सव को मनाने की शुरुआत को लेकर इतिहास भी दिलचस्प है।

Ganesh Chaturthi history and its connection with India's independence | Ganesh Chaturthi 2019: गणेश चतुर्थी का क्या है इतिहास और महाराष्ट्र में कैसे शुरू हुई इसे मनाने की परंपरा?

महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का इतिहास (फाइल फोटो)

Highlightsमहाराष्ट्र में सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है गणेश चतुर्थी का त्योहारभारत की आजादी की लड़ाई से भी है गणेश उत्सव का कनेक्शन

Ganesh Chaturthi: गणेश चतुर्थी का त्योहार ऐसे तो पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र में इसे लेकर एक अलग ही रंग नजर आता है। महाराष्ट्र में यह केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं होकर उत्सव की तरह बन जाता है और 11 दिनों तक मनाया जाता है। राज्य के अलग-अलग शहरों, कस्बों और गांव में बड़े-बड़े पंडाल लगाये जाते हैं, मेलों का आयोजन होता है और बड़ी संख्या में लोग इन जगहों पर गणपति बप्पा के दर्शन के लिए उमड़ते हैं।

इस बार गणेश चतुर्थी 2 सितंबर को है। इस दौरान आम लोग के घरों सहित विभिन्न शहरों में चौक-चौराहों पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाएगी और फिर उन्हें अगले साल आने की मनोकामना के साथ 7 से 11 दिनों में विदाई दे दी जाएगी।

Ganesh Chaturthi: गणेश चतुर्थी मनाने की परंपरा

गणेश चतुर्थी का त्योहार बड़े पैमाने पर मनाने की परंपरा महाराष्ट्र में कब और कैसे शुरू हुई, इस संबंध में कोई सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार पुणे में शिवाजी के शासन काल के दौरान 1630 से लेकर 1680 के बीच गणेश चतुर्थी बहुत धूमधाम से मनाया जाता था। पेशवाओं के शासन के बाद गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र में एक पारिवारिक उत्सव बन कर रह गया था। हालांकि, कई सालों बाद अग्रेजों से आजादी की लड़ाई के बीच 1890 के दशक में लोकमान्य तिलक ने इस फिर से बड़े और सार्वजनिक पैमाने पर मनाने की परंपरा की शुरुआत की।

Ganesh Chaturthi: आजादी की लड़ाई से है इस उत्सव का गहरा संबंध

अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई के बीच शुरू में गणेश उत्सव का मकसद ब्राह्मण और गैर-ब्राह्मणों को एक साथ लाना रहा। साथ ही यह कोशिश भी रही कि गणेश उत्सव के बहाने बड़े पैमाने पर लोगों को एक मंच पर इकट्ठा किया जाए। धीरे-धीरे गणेश उत्सव के जरिये देशभक्ति की भावना भी जगाने की कोशिश की जाने लगी। इसका फायदा ये हुआ कि लोग एक साथ आकर मोहल्लों, कस्बों, गांव में गणेश चतुर्थी मनाने लगे। 

इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होने लगे। कुछ मौकों पर ड्रामे, भाषण, कविता, लोक-संगीत आदि के जरिये देशभक्ति की बातें की जाने लगी। यह तमाम कोशिश आखिरकार रंग लाने लगी और आगे चलकर भारत की आजादी की लड़ाई में इसका बड़ा फायदा भी मिला।

English summary :
The festival of Ganesh Chaturthi is celebrated all over the country, but in Maharashtra, there is a different color about it. In Maharashtra, it is not just a religious day but Ganesh utsav a festival and is celebrated for 11 days.


Web Title: Ganesh Chaturthi history and its connection with India's independence

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