Ganesh Chaturthi 2025: भारत में गणेश चतुर्थी का त्योहार एक महत्वपूर्ण पर्व है जो पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गणपति को घर लाकर उनकी स्थापना करना बहुत ही शुभ माना जाता है। 2025 में गणेश चतुर्थी 27 अगस्त, बुधवार को मनाई जाएगी।
हर साल, भक्त प्रेम और आस्था के साथ बप्पा का अपने घरों में स्वागत करते हैं। वे सुंदर पंडाल लगाते हैं, उन्हें फूलों से सजाते हैं और उनके सम्मान में विशेष मिठाइयाँ तैयार करते हैं। हालांकि, गणपति को घर लाते समय और उनकी स्थापना करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी होता है ताकि पूजा का पूरा फल मिले और घर में सुख-समृद्धि बनी रहे।
गणपति को घर लाने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें
1- बप्पा के आगमन के लिए अपने घर को तैयार करें: मूर्ति को घर लाने से पहले, घर को साफ और शुद्ध करना ज़रूरी है। कई परिवार गणपति की स्थापना वाले स्थान पर एक छोटी सी पूजा करते हैं या पवित्र जल छिड़कते हैं। एक साफ़, ऊँची चौकी या चबूतरा लें, उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएँ, और फूल, तोरण और रंगोली सजाएँ। यह तैयारी एक भक्ति भाव से की जाती है, जो दर्शाती है कि परिवार भगवान गणेश का श्रद्धापूर्वक स्वागत करने के लिए तैयार है।
2- मूर्ति का चयन: मूर्ति चुनते समय देखें कि गणपति की सूंड बाईं ओर (वामवर्ती) मुड़ी हुई हो। यह रूप जल्दी शुभ फल देता है और इसकी पूजा के नियम भी सरल होते हैं। दाहिनी ओर सूंड वाली मूर्ति (सिद्धिविनायक) की पूजा के नियम बहुत सख्त होते हैं।
3- मूर्ति की सामग्री: मिट्टी से बनी ईको-फ्रेंडली मूर्ति लाना सबसे शुभ माना जाता है। इससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता है।
4- खंडित मूर्ति न लाएं: घर लाते समय या खरीदने से पहले सुनिश्चित करें कि मूर्ति कहीं से खंडित न हो। अगर मूर्ति खंडित हो जाए, तो उसकी स्थापना न करें।
5- पहली पूजा - प्राण प्रतिष्ठा: मूर्ति स्थापित करने के बाद, सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान प्राण प्रतिष्ठा है - मूर्ति में प्राण जागृत करने का अनुष्ठान। यह पूजा एक पुजारी या परिवार के किसी बुजुर्ग द्वारा फूल, चावल, कुमकुम, दूर्वा और दीये जलाकर की जाती है। मोदक, लड्डू और फल भोग के रूप में चढ़ाए जाते हैं क्योंकि इन्हें गणेश जी का प्रिय माना जाता है। यह घर पर गणेश चतुर्थी उत्सव की औपचारिक शुरुआत है।
6- विसर्जन - बप्पा को विदाई: गणेश चतुर्थी का अंतिम कार्य गणपति विसर्जन है, जहाँ मूर्ति को जल में विसर्जित किया जाता है। यह परंपरा सृजन और विनाश की प्रक्रिया का प्रतिनिधित्व करती है - जो हमें याद दिलाती है कि संसार स्थायी नहीं है, बल्कि एक सार्वभौमिक रचना का हिस्सा है। हालाँकि यह भक्तों के लिए एक भावुक समय होता है, फिर भी वे आशा और मुस्कान से भरे हुए "गणपति बप्पा मोरया, पुधच्या वर्षी लवकर या" (अगले साल जल्दी आना, प्यारे बप्पा) गाते हैं। अधिकांश परिवार अब नदियों और झीलों को बचाने के लिए घर पर ही बाल्टी या कुंड में मूर्ति विसर्जित करके पर्यावरण के अनुकूल विसर्जन का विकल्प चुनते हैं।
मूर्ति स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त
गणेश जी की स्थापना हमेशा मध्याह्न काल में करना सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी समय गणपति का जन्म हुआ था।
गणेश चतुर्थी 2025 की तिथि: 27 अगस्त, बुधवार
स्थापना का शुभ मुहूर्त: 27 अगस्त को सुबह 11:05 बजे से दोपहर 01:40 बजे तक।
यह समय पूजा के लिए सबसे श्रेष्ठ माना गया है।
स्थापना से जुड़े महत्वपूर्ण नियम
सही दिशा: गणपति की मूर्ति को घर के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में स्थापित करें। अगर यह संभव न हो, तो आप मूर्ति को उत्तर दिशा में भी रख सकते हैं। ध्यान रखें कि मूर्ति का मुख दक्षिण दिशा की ओर न हो।
साफ-सफाई: मूर्ति स्थापित करने से पहले पूरे घर और पूजा स्थल की अच्छी तरह से सफाई कर लें। गंगाजल से उस स्थान को पवित्र करें।
आसन पर स्थापित करें: गणपति की मूर्ति को कभी भी सीधे जमीन या फर्श पर न रखें। एक लकड़ी की चौकी पर लाल या पीले रंग का साफ कपड़ा बिछाकर ही मूर्ति को स्थापित करें।
घर को खाली न छोड़ें: मान्यता है कि जब तक गणपति घर में रहते हैं, तब तक घर को कभी खाली नहीं छोड़ना चाहिए। परिवार का कोई न कोई सदस्य हमेशा घर में मौजूद रहे।
ब्रह्मचर्य का पालन: गणेश उत्सव के दौरान घर के सदस्यों को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
इन नियमों का पालन करते हुए अगर आप गणपति बप्पा का स्वागत करेंगे तो वे निश्चित रूप से आपके घर में सुख, समृद्धि और सौभाग्य लेकर आएंगे।