Ganesh Chaturthi 2019: लंबे समय बाद गणेश चुतर्थी पर बन रहा है ये शुभ संयोग, सुख-समृद्धि के लिए जरूर करें ये काम

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 1, 2019 11:48 AM2019-09-01T11:48:29+5:302019-09-01T11:48:29+5:30

हिंदू मान्यताओं के अनुसार इसे भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस मौके पर लोग अपने घरों में भगवान गणेश की  स्थापित करते हैं और फिर कुछ दिन के अंतराल पर विसर्जन कर दिया जाता है।

Ganesh Chaturthi 2019: shubh sanyog on Ganesh Chaturthi, know all about | Ganesh Chaturthi 2019: लंबे समय बाद गणेश चुतर्थी पर बन रहा है ये शुभ संयोग, सुख-समृद्धि के लिए जरूर करें ये काम

Ganesh Chaturthi 2019: लंबे समय बाद गणेश चुतर्थी पर बन रहा है ये शुभ संयोग, सुख-समृद्धि के लिए जरूर करें ये काम

Highlightsगणपति को जब आप लेने जाएं तो स्नान आदि कर लें और नये या साफ कपड़े पहनें।अगर चांदी का बर्तन नहीं है तो पीतल या तांबे का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

भगवान गणेश के जन्मोत्सव के तौर पर मनाये जाना वाला गणेश चतुर्थी का त्योहार कल (2 सितंबर) को है। लंबे समय के बाद इस गणेश चतुर्थी दो बड़े शुभ संयोग बन रहे हैं। इस शुभ संयोग में अगर आप शांति और सुख-समृद्धि चाहते हैं तो कुछ चीजें आपको जरूर करनी चाहिए। 

दरअसल, इस गणेश चतुर्थी एक तरफ ग्रह-नक्षत्रों की शुभ स्थिति से शुक्ल और रवियोग बनेगा, तो वहीं, दूसरी ओर सिंह राशि में चतुर्ग्रही योग भी बन रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ग्रहों और सितारों की इस शुभ स्थिति की वजह से इस त्योहार का महत्व और शुभता और बढ़ जाता है। अगर आप चाहते हैं कि सुख-समृद्धि और शांति मिले तो आपको गणेश प्रतिमा की स्थापना करना होगा। 

हिंदू मान्यताओं के अनुसार इसे भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस मौके पर लोग अपने घरों में भगवान गणेश की  स्थापित करते हैं और फिर कुछ दिन के अंतराल पर विसर्जन कर दिया जाता है। महाराष्ट्र में बहुत धूमधाम से मनाये जाने वाले इस त्योहार के दौरान भक्त अमूमन 7 से 11 दिन के लिए अपने घर में गणपति को विराजमान कराते हैं। वहीं, कुछ लोग 3, 5, 7 या 10 दिन में भी गणपति का विसर्जन करते हैं। इस तरह से 11 दिन चलने वाला गणेशोत्सव अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त हो जाता है। 

मूर्ति कैसे करें स्थापित

गणपति को जब आप लेने जाएं तो स्नान आदि कर लें और नये या साफ कपड़े पहनें। चांदी की थाली में स्वास्तिक बनाकर उसमें गणपति को विराजमान करके लाएं। अगर चांदी का बर्तन नहीं है तो पीतल या तांबे का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। आप चाहें तो बड़ी मूर्ति को हाथों में लाकर भी विराजमान कर सकते हैं। भगवान की मूर्ति स्थापित करने के बाद उनकी विधिवत पूजा करें। साथ ही लड्डू का भोग लगाएं और सुबह-शाम आरती करें।

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